राजधानी भोपाल के सभी बड़े जल स्रोत मौत की ओर, 60 से 70 मीटर नीचे पहुंचा वॉटर लेवल
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राजधानी भोपाल के सभी बड़े जल स्रोत मौत की ओर, 60 से 70 मीटर नीचे पहुंचा वॉटर लेवल

प्रदेश में जून के पहले हफ्ते में अक्सर मानसून की आमद हो जाती है, लेकिन इस बार मानसून लेट हो रहा है. मौसम विभाग की मानें तो 20 जून तक मानसून के मध्य प्रदेश में सक्रिय होने की संभावना है. ऐसे में पीने के पानी का संकट चिंता का विषय बन गया है.

बड़ी झील में भी पानी का स्तर नीचे पहुंचा

भोपालः मौसम विभाग ने मानसून के देरी से आने की संभावना जताई है. जिससे प्रदेश में लोगो के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं. पिछले बारिश के सीजन में हुई कम बारिश के कारण प्रदेश के अधिकांश जल स्त्रोत सूख गए हैं या सूखने की कगार पर हैं. ग्राउंड वॉटर भी नीचे चला गया है. मध्य प्रदेश के अधिकांश इलाको में जल संकट गहरा रहा है, ऐसे में राजधानी भोपाल भी भीषण पेयजल संकट की चपेट में आ सकता है. प्रदेश में जून के पहले हफ्ते में अक्सर मानसून की आमद हो जाती है, लेकिन इस बार मानसून लेट हो रहा है. मौसम विभाग की मानें तो 20 जून तक मानसून के मध्य प्रदेश में सक्रिय होने की संभावना है. ऐसे में पीने के पानी का संकट चिंता का विषय बन गया है.

मध्यप्रदेश में आसमान से आग गोले बरस रहे हैं. प्रदेश भीषण गर्मी से झुलस रहा है और इस भीषण गर्मी में जबरदस्त जलसंकट देखने को मिल रहा है.एमपी के अधिकतर जिलों में लोग कई किलोमीटर पैदल चलकर पीने का पानी लाने को लिए मजबूर हो रहे हैं. राजधानी भोपाल की बात की जाए तो यहां के हाल तो और भी बुरे हो चुके हैं. शहर में जितने भी जल स्त्रोत है आखिरी सांस ले रहे हैं. जिससे आने वाले समय में स्थिति और भायवाह हो सकती है. निगम ने पहले कोई रोडमैप बनाया नहीं और अब कह रहे हैं बैठक कर मंथन किया जा रहा है और इस बात पर विचार किया जा रहा है कि कैसे शहर को जलसंकट से बाहर निकाला जाए.

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राजधानी वासियों की प्यास बुझाने के लिए चार बड़े जल स्त्रोत से पानी आता है. यह चार जल स्त्रोत नर्मदा, कैरवा डैम, कोलार डैम और बड़ा तालाब हैं, लेकिन चार की हालत खराब हो चुकी है. बड़ा तालाब डेड स्टोरेज लेवल से निचे पहुंच चुका है. जिसके बाद अब पुराने शहर में जहां बड़े तालाब से पानी की सप्लाई होती है वहां सबसे ज्यादा स्थिति विकराल हो सकती है. कलियासोत डैम और कैरवा डैम की भी यही स्थिति बनी हुई है. दोनों डैम में भी 15 से 20 दिन का पानी बचा है. उधर मौसम विभाग ने पहले ही संभावना जता दी है कि इस बार मानसून 15 जून के बजाए 20 जून के आसपास आएगा.

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बड़े तालाब का पानी डेड स्टोरेज लेबल  1652 फ़ीट  के नीचे 1650.70 फ़ीट पहुंच चुका है 2018 में ये स्थिति 28 मई को बनी थी. डेड स्टोरेज से नीचे आने के बाद भी बड़े तालाब से 20 एमजीडी ( 9 करोड़ लीटर) पानी सप्लाई जारी है... बड़े तालाब का जलस्तर रोजाना 0.05 फीट घट रहा है. कैरवा डैम में 0.7 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी बचा है जो सिर्फ एक हफ्ते का है. कोलार डैम का डेड स्टोरेज लेबल (500.79) मीटर के करीब पहुंच चुका है, आने वाले दिनों यहां से सप्लाई मुश्किल होगी. नर्मदा का पानी अभी तक भोपाल के पूरे हिस्से में नहीं पहुंच पाया है. शाहगंज में नर्मदा का पानी कम होने के कारण कम दबाव से पानी आ रहा है.

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शहर के कई इलाकों में लोग टैंकर से पानी खरीदकर अपना काम चला रहा हैं, लेकिन सवाल निगम परिषद पर उठ रह हैं. क्योंकि निगम को पहले से पता था कि बारिश कम हुई है और गर्मी में जलसंकट की भारी आशंका है. लेकिन उसके बावजूद भी एक दिन छोड़कर पानी देने के अधिकारियों के प्रस्ताव को लटका रखा और अब बैठक कर रहे हैं. वहीं दूसरी तरफ जनता पानी के इस भयावह संकट से परेशान हो रही है.

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