बीजेपी ने महापौर के टिकटों के साथ पार्षदों के लिए भी फॉर्मूला तय कर दिया है. इस फॉर्मूले के बाद 20-25 साल से जनप्रतिनिधि हैं तो बदले जाएंगे. वहीं, इस बार के निकाय चुनाव में परिवारवाद पर भी कैची चलने की बात कही जा रही है.
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भोपाल: बीजेपी में 20 साल पुरानी परंपरा इस बार के निकाय चुनाव में टूटने जा रही है. क्योंकि पार्टी की तरफ से इस बार के निकाय चुनाव में किसी भी विधायक को टिकट नहीं दिया जाएगा. निकाय चुनाव में विधायकों को टिकट देने की परंपरा की शुरुआत आज से 20 वर्ष पहले हुई थी. पहली बार विधायक होते हुए भी कैलाश विजयवर्गीय महापौर बने थे. इसके बाद मालिनी गौड़ भी विधायक रहते मेयर बनीं थी. लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा.
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पार्षदों के लिए भी तय किया गया फॉर्मूला
बीजेपी ने महापौर के टिकटों के साथ पार्षदों के लिए भी फॉर्मूला तय कर दिया है. इस फॉर्मूले के बाद 20-25 साल से जनप्रतिनिधि हैं तो बदले जाएंगे. वहीं, इस बार के निकाय चुनाव में परिवारवाद पर भी कैची चलने की बात कही जा रही है. केंद्रीय नेतृत्व ने इसके संकेत गुजरात के अहमदाबाद में निकाय चुनाव के दौरान दे दिए हैं. यहां हुए चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भतीजी व भाई प्रहलाद की बेटी सोनल मोदी को टिकट नहीं दिया गया.
हालांकि, पार्टी द्वारा कुछ जगहों पर पुराने पार्षदों को भी दोहराना पड़ सकता है, लेकिन इस पर संगठन के वरिष्ठ नेताओं से फीडबैक लेकर काम किया जाएगा. इस दौरान उनकी आयु भी देखी जाएगी. ऐसा माना जा रहा है कि 60 वर्ष से ज्यादा के व्यक्ति को पार्षदी का टिकट नहीं दिया जाएगा.
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जानकारी के मुताबिक अगर ऐसा होता है तो आसपास की 5-10 सीटे प्रभावित हो सकती हैं. प्रदेश संगठन इस बारे में वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करके निर्णय लेगा. आपको बता दें कि बीजेपी की तरफ से लगभग 800 से अधिक पार्षदों को टिकट दिए जाने हैं.
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