मध्य प्रदेश: शिवराज सरकार में करोड़ों का घोटाला, CAG की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
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मध्य प्रदेश: शिवराज सरकार में करोड़ों का घोटाला, CAG की रिपोर्ट में हुआ खुलासा

कैग रिपोर्ट में बताया गया कि पेंच परियोजना, वाटर टैक्स, सार्वजनिक उपक्रमों और छात्रावास संचालन में करोड़ों रुपए की गड़बड़ी हुई है.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में वित्त विभाग ने बेहिसाब खर्च किया. (फाइल फोटो)

संदीप भम्मरकर, भोपाल: भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार पर घोटाले का आरोप लगा है. खुलासा हुआ है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में वित्त विभाग ने बेहिसाब खर्च किया.

कैग रिपोर्ट में बताया गया कि पेंच परियोजना में 376 करोड़ की अनियमितता की गई. इसके अलावा वाटर टैक्स में 6270 करोड़ का नुकसान, सार्वजनिक उपक्रमों में 1224 करोड़ का नुकसान, छात्रावास संचालन में 147 करोड़ की अनियमितता हुई है. मार्च 2017 को खत्म हुए वित्तीय वर्ष की कैग रिपोर्ट में कहा गया कि शिवराज सरकार के दौरान 2016-17 के वित्तीय वर्ष में हुई भारी अनियमितताएं हुईं.

बिगड़ा रहा फायनेंशल मैनेजमेंट
CAG की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि सरकारी विदेश दौरों के खर्च को नहीं दर्शाया गया. विदेशी दौरा में 8.96 करोड़ इन्वेस्टमेंट ड्राइव के मद से का खर्च हुआ. वहीं, सरकार ने बजटीय जांच से 8.96 करोड़ का खर्च बचा लिया.

निगम-मंडलों पर कैग की टिप्पणी
इस रिपोर्ट के अनुसार, 2012 से 2017 के दौरान राज्य के निगम-मंडल लगातार घाटे में रहे. इसमें सरकार को 4 हजार 857 करोड़ का नुकसान हुआ. वहीं 2017 में 1 हजार 224 करोड़ का नुकसान हुआ था. बताया गया कि निगम-मंडलों पर सरकार इनवेस्ट करती रही लेकिन रिटर्न नहीं मिल पाया.

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CAG की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल ने टैक्स छिपाया. कर्मकार कल्याण टैक्स के 1218 करोड़ रुपए एकाउंट में दर्ज नहीं है. 2012-13 के बाद से ही अकाउंट तैयार नहीं किए गए.

सरकारी विभागों ने 18 हजार करोड़ रुपए का हिसाब नहीं दिया. उपयोगिता प्रमाण पत्र वित्त विभाग को उपलब्ध नहीं कराया. सामाजिक और सामान्य क्षेत्र के विभागों ने राशि खर्च नहीं की गई. सरकार अधिक बजट के दावे करती रही लेकिन विभागों ने  खर्च नहीं किया. कुल 54 विभागों में से 35 विभाग सामान्य और सामाजिक क्षेत्र के अंतर्गत हैं.

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एससी, एसटी, अल्पसंख्यक, नगरीय प्रशासन समेत कई विभाग सीएजी ने 2012-13 से 2017 तक के आंकड़े पेश किए. इन आंकड़ों में बताया गया कि 2017 में 2 लाख करोड़ का बजट था जबकि 1 लाख 61 करोड़ खर्च किए गए. 2015-16 में एक लाख 66 हजार करोड़ का बजट था जबकि 1 लाख 25 हजार खर्च किए गए.

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