MP के 2000 साल पुराने चिंतामण गणेश मंदिर की अनोखी मान्यता, उल्टा स्वास्तिक बनाने दूर-दूर से आते हैं लोग
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MP के 2000 साल पुराने चिंतामण गणेश मंदिर की अनोखी मान्यता, उल्टा स्वास्तिक बनाने दूर-दूर से आते हैं लोग

Chintaman Siddha Ganesh Temple: मध्य प्रदेश के सीहोर जिला स्थित 2000 साल पुराने चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर को लेकर अनोखी मान्यता है. कहा जाता है कि यहां उल्टा स्वास्तिक बनाने से हर मनोकामना पूरी हो जाती है. गणेश उत्सव के मौके पर हर साल यहां दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं. 

 

sehore Chintaman Ganesh Temple

Sehore 2000 Year Old Chintaman Siddha Ganesh Temple: मध्य प्रदेश में अनके प्रसिद्ध गणेश मंदिर हैं, जिनकी अपनी अलग-अलग अनोखी मान्यताएं हैं. कहीं पर्ची से अर्जी लगती है तो दर्शन मात्र से ही मनोकामना पूर्ण हो जाती है. ऐसा ही एक मंदिर सीहोर जिले में स्थित है, जहां उल्टा स्वास्तिक बनाने को लेकर अनोखी मान्यता है. करीब 2000 साल पुराने चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर में आधी जमीन में धंसी भगवान गणेश की स्वयंभू प्रतिमा है. यहां उल्टा स्वास्तिक बनाने से बप्पा का आशीर्वाद मिलता है और सभी मनोकामना पूरी होती है. 

चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर, सीहोर
सीहोर का चिंतामण सिद्ध गणेश मंदिर देश भर में प्रसिद्ध गणेश मंदिरों में से एक है. यह चिंतामण गणेश भारत में स्थित चार स्वयंभू मूर्तियों में से एक माने जाते हैं.  सीहोर के गणपति के बारे में कहा जाता है कि भगवान गणपति आज भी यहां साक्षात मूर्ति रूप में निवास करते हैं. साथ ही ये भी कहा जाता है कि यहां बप्पा को सच्चे मन से पूजने पर वे कभी भी अपने भक्तों को खाली हाथ नहीं जाने देते. मान्यता है कि सीहोर के चिंतामण गणेश जी प्रार्थना जल्दी सुनते हैं, चिंता दूर करते हैं और मुरादें पूरी करते हैं. 

जमीन में आधी धंसी हुई है मूर्ति
MP की राजधानी भोपाल से महज 40 किलोमीटर दूर सीहोर जिला स्थित चिंतामण गणेश मंदिर अपने आप में अनोखा है. यहां श्रीगणेश जी की मूर्ति जमीन के अंदर आधी धंसी है, जिस वजह से आधी मूर्ति के दर्शन होते हैं. कहा जाता है कि यह स्वयंभू प्रतिमा है. 

राजा विक्रमादित्य ने की थी स्थापना
माना जाता है कि इस मंदिर की स्थापना राजा विक्रमादित्य ने की थी. साथ ही ये भी कहा जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य की पूजा से प्रसन्न होकर भगवान गणपति ने उन्हें दर्शन दिए और मूर्ति रूप में स्वयं ही यहां स्थापित हो गए. उन्होंने सदैव भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने का आशीर्वाद भी दिया.

चिंता दूर करने की मन्नत
स्थानीय लोग बताते हैं कि जब भी महाराजा विक्रमादित्य संकट में होते थे या उन्हें कोई चिंता परेशान करती थी, तो वे गणपति बप्पा की शरण में यहां आया करते थे. इसके बाद उन्हें अपनी समस्या का समाधान मिलने में ज्यादा देर नहीं लगती थी. इसी मान्यता के चलते लोग यहां अपनी समस्याओं को लेकर आते हैं और बप्पा से अपनी चिंता दूर करने की मन्नत मांगते हैं.

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गणेश उत्सव
यहां हर साल गणेश उत्सव के मौके पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं. न सिर्फ देसी बल्कि विदेशी भक्तों की भीड़ भी उमड़ती है. गणेश चतुर्थी से शुरू होकर दस दिनों तक यहां विशाल मेला लगता है. चिंतामण गणेश मंदिर दर्शन के लिए सुबह सूर्योदय से रात्रि 9 बजे तक खुला रहता है. यहां प्रसाद के रूप में गणपति को मोदक चढ़ाया जाता है. यहां दुकानदार विशाल आकार के मोदक बनाते हैं. 

इनपुट- सीहोर से दिनेश नागर की रिपोर्ट, ZEE मीडिया

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