जशपुर में रक्षाबंधन की अनोखी परंपरा, शहीद भाई को सबसे पहले बांधी जाती है राखी, सालों पहले दी थी जान
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जशपुर में रक्षाबंधन की अनोखी परंपरा, शहीद भाई को सबसे पहले बांधी जाती है राखी, सालों पहले दी थी जान

Raksha Bandhan: जशपुर जिले के फरसाबहार विकासखंड के ग्राम पेरवाआरा में रक्षाबंधन का त्योहार एक अनोखे और सम्मानजनक तरीके से मनाया जाता है. यहां की बहनें सबसे पहले अपने शहीद भाई बशील टोप्पो की प्रतिमा को राखी बांधती हैं. फिर अपने बाकी भाइयों को रक्षा सूत्र बांधती हैं. यह परंपरा पिछले 12 वर्षों से चली आ रही है.

जशपुर में रक्षाबंधन की अनोखी परंपरा, शहीद भाई को सबसे पहले बांधी जाती है राखी, सालों पहले दी थी जान

Chhattisgarh News: 19 अगस्त को पूरे देश में रक्षाबंधन का त्यौहार पूरे धूमधाम से मनाया जा रहा है. भाई-पवन के प्यार के इस पवित्र त्यौहार पर बहनें अपने भाईयों को राखी बांधती हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में एक ऐसा गांव है जहां रक्षाबंधन का त्यौहार कुछ अलग ढंग से मनाया जाता है. यहां गांव की सभी बहनें सबसे पहले एक शहीद भाई को राखी बांधती हैं. यह परंपरा सालों से चली आ रही है. 

बशील टोप्पो, जो इस गांव के निवासी थे, 19 अगस्त 2011 को नक्सली मुठभेड़ में शहीद हो गए थे. उनकी याद में गांव के स्कूल चौक के पास एक प्रतिमा स्थापित की गई है. रक्षाबंधन के अवसर पर गांव की सभी बहनें थाल सजाकर प्रतिमा स्थल पर पहुंचती हैं. बशील टोप्पो की प्रतिमा को राखी बांधकर तिलक लगाती हैं और उनकी आरती उतारती हैं.

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शहादत के बाद स्थापित की गई थी प्रतिमा
स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि बशील टोप्पो की शहादत के बाद ग्रामीणों और शहीद के परिवार वालों की ओर से यह प्रतिमा स्थापित की गई थी. पहली बार साल 2012 में गांव की बहनों ने पहली राखी अपने शहीद भाई को बांधी थी. तब से यह परंपरा हर साल रक्षाबंधन पर निभाई जा रही है. बशील टोप्पो की प्रतिमा के साथ गांव के सभी त्योहार भी मनाए जाते हैं, जिसमें रक्षाबंधन और दीपावली विशेष रूप से शामिल हैं. 

देश की सेवा से बड़ा कुछ नहीं
गांव की बहनों ने बताया कि "हम सबसे पहले शहीद की प्रतिमा को राखी बांधते हैं, इसके बाद ही अपने भाइयों को राखी बांधते हैं. हमारा उद्देश्य यह है कि गांव के बाकी भाई भी शहीद बशील टोप्पो से प्रेरणा लें. देश की सेवा से बड़ी कोई दूसरी नौकरी या व्यवसाय नहीं है और शहीद भाई को इतना सम्मान मिलना चाहिए. इसलिए रक्षाबंधन के दिन हम शहीद भाई को पहला स्थान देते हैं."

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क्या है उद्देश्य?
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, इस परंपरा का उद्देश्य शहीद के प्रति सम्मान और गांव के युवाओं में देशभक्ति की भावना को प्रबल करना है. यह परंपरा पेरवाआरा गांव में सभी धर्म और जातियों के लोगों को एकजुट करती है, जो देश के प्रति उनके प्यार और समर्पण का प्रतीक है.

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