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दुर्गेश सिंह बिसेन/पेंड्रा: खाद्य विभाग की ढिलाई ग्रामीणों को कुपोषण से बचाने के लिए शुरू की गई फोर्टिफाइड राइस स्किम पर भारी पड़ रही है. दरअसल ग्रामीण प्रचार-प्रसार की जानकारी के अभाव में राशन दुकानों से मिले चावल में डाले गए फोर्टिफाइड राइस को प्लास्टिक का चावल समझ कर चुनकर खाने से बाहर कर रहे हैं. गौरतलब है कि कुपोषण की समस्या दूर करने के लिए राशन दुकानों से मिलने वाले चावल मिलाया गया है.
देश में कुपोषण की चुनौतियों से निपटने के लिए फोर्टिफाइड चावल वितरण प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण-पीएम पोषण' के तहत किया जा रहा है. पहले चरण में देशभर के 90 जिलों को चिन्ह अंकित किया गया है, जबकि दूसरे चरण में 291 जिलों में फोर्टिफाइड चावल वितरण का लक्ष्य रखा गया है. वहीं 2024 तक पूरे देश में फोर्टिफाइड चावल वितरित किया जाएगा.
पहले चरण की शुरुआत अक्टूबर माह से
पहले चरण की शुरुआत अक्टूबर 2021 में कर दी गई थी, ग्रामीणों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए पूरक पोषण योजना अंतर्गत छत्तीसगढ़ के कई जिलों में फोर्टिफाइड चावल का वितरण किया जा रहा है. यह चावल देखने में बिल्कुल आम चावल की तरह ही नजर आता है. बस आकार में थोड़ा बड़ा एवं मोटा होता है. ग्रामीण इलाके में लोग प्लास्टिक का चावल समझ कर चावल चुनने के वक्त उसे निकालकर बाहर कर देते हैं. प्लास्टिक का चावल होने की जानकारी मिलने के बाद ग्रामीणों ने इसकी जानकारी मीडिया को दी कि उन्हें राशन दुकानों से इस बार प्लास्टिक का चावल मिला राशन दिया गया है. मामले पर पूरी जानकारी लेने पर पता चला कि यह फोर्टिफाइड चावल है. जो देखने में सामान्य चावल से थोड़ा बड़ा एवं मोटा है.
इस चावल में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 मिश्रित किया जाता है. यह चावल एनीमिया और आयरन की कमी से होने वाली मौतों को कम कर सकती है. स्वास्थ्य विभाग में इकाई के रूप में काम करने वाली स्वास्थ्य मितानी एवं एएनएम को इस के मामले में जानकारी नहीं है. वह खुद ही चावल से फोर्टिफाइड राइस को चुन चुन कर बाहर कर रही है. उसे डर है कि कहीं इसे खाने से उसके शरीर में दुष्प्रभाव ना पड़ जाए.
प्रचार की जिम्मेदारी खाद्य विभाग को
फोर्टिफाइड राइस के प्रचार प्रसार की जिम्मेदारी खाद्य विभाग के साथ-साथ शासन को सौंपी गई थी. खाद्य विभाग को अब तक फोर्टिफाइड चावल के संबंध में ग्रामीणों को कोई जानकारी नहीं थी. इतना ही नहीं प्रशासन में बैठे एसडीएम को भी इस संबंध में जानकारी का अभाव पाया गया है. हालांकि मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक अधिकारी अप फोर्टीफाइड चावल के लाभ की जानकारी मुनादी कराकर या कोटवारों के माध्यम से एवं शिविर के माध्यम से अब ग्रामीणों को देने की बात कह रहे हैं.
फोर्टिफाइड चावल के आंकड़े
प्रति किलो चावल फोर्टिफिकेशन में 50 पैसे से 73 पैसे का खर्च आता है, जबकि देश में कुपोषण से होने वाली बीमारियों और मौत से सालाना 77 हजार करोड़ रुपए की उत्पादकता प्रभावित होती है. एक आंकड़े में बताया गया है कि कुपोषण के चलते देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में एक फीसद (2.03 लाख करोड़ रुपए) की क्षति होती है, जो आयरन की कमी व एनीमिया से होता है, पोषक तत्वों पर एक रुपए खर्च करने से सार्वजनिक वित्त व्यवस्था में 34 से 38.6 रुपए की वृद्धि होती है.