रायपुर पहुंचे गोवर्धन मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज (Shankaracharya Nischalanand Saraswati) ने मीडिया से बात की इस दौरान उन्होंने एक के बाद एक कई बड़े बयान दिए. उन्होंने बीजेपी कांग्रेस समेत सीएम बघेल (Bhupesh Baghel) , योगी (CM Yogi) और पीएम मोदी (PM Modi)को भी नहीं बख्सा. जानिए क्या-क्या बोले निश्चलानंद.
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Raipur News: रायपुर। गोवर्धन मठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज (Shankaracharya Nischalanand Saraswati) रायपुर पहुंचे. यहां उन्होंने मीडिया से बात की इस दौरान गौ हत्या (Cow Slaughter) , राम मंदिर (Ram Mandir), बाबरी (Babri Masjid) के साथ-साथ छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण (Conversion) के मुद्दे पर उन्होंने खुलकर अपनी बात रखी. इस दौरान शंकराचार्य मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel), राज्यपाल के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ (CM Yogi) और पीएम मोदी (PM Modi) को भी नहीं बख्शा
शंकराचार्य के पद को लेकर कही बड़ा बात
शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि अगर कोई किसी भी गुप्तदल का प्रकट पक्षधर हैं वो शंकराचार्य का नहीं बन सकता. शंकराचार्य भगवान शिव का पद है. मैं शंकराचार्य के पद पर 30 साल पहले प्रतिष्ठित हुआ. मेरे अपहरण का प्रयास किया गया. लेकिन, नहीं हुआ.
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मेरी एक हस्ताक्षर से बन जाती मस्जिद
अयोध्या में राम मंदिर के साथ मस्जिद बनाने का प्रस्ताव आया तो मैंने हस्ताक्षर नहीं किया. मैंने हस्ताक्षर किया होता तो नरसिंहराव के शासनकाल में मंदिर के साथ मस्जिद का निर्माण भी हो गया होता. मोदी और योगी बस श्रेय ले रहे हैं. अच्छी बात है.
मैंने 1100 गाय कटने से रोकी
पूर्व में जगन्नाथ पुरी में मुस्लिमों का बड़ा सम्मेलन होना था. तब 1100 गाय कटने के लिए आईं थी. तब मैंने विरोध किया इसके बाद 1100 गाय किसानों को बांट दी गई. वे लोग खिचड़ी खाकर गए. देश मे गाय कट रही है क्या यही हिंदुत्व की पहचान है.
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छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण का दोषी कौन?
छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने कहा- धर्मांतरण के लिए मुख्यमंत्री और राज्यपाल दोषी है. ये अपने दायित्व का निर्वाहन नहीं करते इसलिए धर्मांतरण हो रहा है. लोग सेवा के नाम पर हिन्दू को अल्पसंख्यक बनाने का काम कर रहे हैं. जिसके लिए हिन्दू भी जिम्मेदार है. हमें अपनी समस्या का समाधान मिलकर करना चाहिए.
बीजेपी और कांग्रेस की भगवान राम पर सियासत
भाजपा कांग्रेस समेत अन्य दलों द्वारा धर्म के नाम पर हो रही राजनीति को लेकर उन्होंने कहा कि राजनीति राजधर्म का ही नाम है. परोपकार सेवा संयम धर्म की सीमा है. धर्म की सीमा का अतिक्रमण कर राजनीति नहीं की जानी चाहिए. लेकिन, इसका दुरुपयोग नहीं होनी चाहिए.
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