कांग्रेस विधायक सोहनलाल वाल्मीकि ने विधानसभा में सवाल पूछा था कि राज्य में महिलाओं व बालिकाओं के साथ रेप और अपहरण के कितने केस दर्ज हुए हैं? इन मामलों में क्या-क्या कार्रवाई हुई? कितने आरोपियों पर दोष सिद्ध हुआ? ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए? जानिए गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का जवाब...
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भोपाल: मध्य प्रदेश में महिलाओं के विरुद्ध हो रहे अपराध को रोकने में पुलिस किस प्रकास विफल रही है इसका पोल शुक्रवार को विधानसभा में पेश आंकड़ों से खुल गया. इन आंकड़ों से यह बात समझ में आ रही है कि पुलिस आरोपियों को पकड़ तो लेती है, लेकिन उन पर आरोप साबित करने और सजा दिलवाने में कामयाब नहीं हो पाती है.
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कांग्रेस विधायक सोहनलाल वाल्मीकि ने विधानसभा में सवाल पूछा था कि 1 अप्रैल 2020 से प्रश्न पूछने तक राज्य में महिलाओं व बालिकाओं के साथ रेप और अपहरण के कितने केस दर्ज हुए हैं? इन मामलों में क्या-क्या कार्रवाई हुई? कितने आरोपियों पर दोष सिद्ध हुआ? ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सरकार ने क्या-क्या कदम उठाए?
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कांग्रेस विधायक के प्रश्न के जवाब में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री डॉ नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि बीते 11 महीने (1 अप्रैल 2020 से 12 फरवरी 2021 तक) में राज्य में महिलाओं और बालिकाओं के साथ रेप और अपहरण के 10,002 मामले दर्ज किए गए. रेप की 4,743 घटनाओं में 5,472 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया, लेकिन सिर्फ 64 आरोपियों पर ही पुलिस दोष सिद्ध कर पाई. वहीं अपहरण के 5,169 मामले दर्ज हुए, जिनमें 1295 आरोपियों को जेल भेजा गया और सिर्फ 13 आरोपियों के खिलाफ ही दोष साबित हो पाया.
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विधानसभा में कांग्रेस विधायक रविंद्र सिंह तोमर ने गृह मंत्री से सवाल पूछा कि प्रदेश में साल 2018-2019 और 2019-2020 में महिला उत्पीड़न के कितने प्रकरण आए हैं, क्या सरकार ने महिला उत्पीड़न के रोकथाम के लिए कोई नीति बनाई है, यदि हां तो क्या? यदि नहीं तो क्यों? इस प्रश्न के जवाब में गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने बताया कि मध्य प्रदेश में साल 2018 में महिला उत्पीड़न के 26634, साल 2019 में 28229 और साल 2020 में 27000 मामले दर्ज हुए हैं. विधानसभा में महिलाओं व बालिकाओं के साथ अपराध के जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे पुलिस की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं.
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इन मामलाें में पुलिस की विवेचना में अधिकांश आराेपियों पर दोष सिद्ध नहीं हो पाया, जबकि जेल भेजे जाने वाले आरोपियों की संख्या ज्यादा रही. यानी पुलिस केस दर्ज करने के बाद जांच में सबूत नहीं जुटा पाई. आपको बता दें कि 2020 में जिस अवधि में रेप और अपहरण के केस दर्ज हुए हैं, उस दौरान करीब 3 महीने तो कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन लागू था, जबकि अगले 3 महीने आंशिक छूट दी गई थी. इस दौरान पुलिस काफी मुस्तैद थी, लोग अपने घरों में ही रह रहे थे, यात्राएं प्रतिबंधित थीं, फिर भी बीते वर्षों की तुलना में महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में इस वर्ष भी कोई खास कमी दर्ज नहीं की गई.
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