MP: भारी जल संकट से जूझ रहे बैतूल के दर्जन भर गांव के लोग, नहीं मिल रहा पीने के लिए पानी
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MP: भारी जल संकट से जूझ रहे बैतूल के दर्जन भर गांव के लोग, नहीं मिल रहा पीने के लिए पानी

 हालात इतने बदत्तर हो चुके हैं कि 1500 की आबादी वाले आमापठार गांव में रहने वाले ग्रामीणों को झिरिया में गंदे पानी के आने का भी 12 घंटे इंतजार करना पड़ता है. वे इस झिरिया और कुएं से 2 से 3 टंकी पानी निकालते हैं और बस पानी खत्म हो जाता है. 

दर्जन भर गांव के लोगों को नहीं मिल रहा पीने का पानी (फाइल फोटो)

नई दिल्लीः मध्य प्रदेश के PHE मंत्री सुखदेव पांसे के जिले बैतूल में लोग एक एक बूंद साफ पीने के पानी के लिए तरस रहे हैं. वो भी एक दो गांव नहीं दर्जन भर ऐसे गांव है जहां लोगों को पीने का पानी तलाशने कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है. लोग 3 किलोमीटर दूर कुएं और झिरिया से गंदा और मटमैला पानी पीने के लिए मजबूर हैं. हम बात कर रहे है जिले के कालापानी कहे जाने वाले भीमपुर ब्लॉक की, जहां दर्जन भर से ज्यादा गावों में पीने का पानी जुटाना ग्रामीणों के लिए सबसे बड़ी समस्या बन गया है.

इन गांवों के ग्रामीण गांव से 3 किलोमीटर दूर कुएं और झिरिया का गंदा पानी पीने को मजबूर हैं. हालात इतने बदत्तर हो चुके हैं कि 1500 की आबादी वाले आमापठार गांव में रहने वाले ग्रामीणों को झिरिया में गंदे पानी के आने का भी 12 घंटे इंतजार करना पड़ता है. वे इस झिरिया और कुएं से 2 से 3 टंकी पानी निकालते हैं और बस पानी खत्म हो जाता है. यही हाल डेढ़ हजार से ज्यादा आबादी वाली पात्री पंचायत का है. पात्री पंचायत के रैय्यत वाडी, हर्रा वन ग्राम सहित दर्जन भर गावो में यही दिक्कत बनी हुई है.

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वहीं कुछ गांवों में तो ग्रामीण पानी खरीदने को मजबूर हैं. ग्रामीण बताते हैं कि आजादी के बाद से ही उनके गावों में पीनी के पानी की कोई व्यस्था नहीं है और न ही जिला प्रशासन ने आज तक उनकी सुध ली है. जब वे अधिकारियों पास जाते हैं तो बस एक ही जवाब मिलता है कि आप लोगों की समस्या दूर कर दी जाएगी. सिर्फ पानी ही नहीं आजादी के सत्तर सालों के बाद भी ना तो इन गांवों तक बिजली पहुंची है और ना ही सड़क. गांवो में बिजली के खंभे लगे हुए कई साल बीत चुके हैं, लेकिन उनमें बिजली आपूर्ति शुरू नहीं की गई है. वहीं सड़क पर केवल मुरुम बिछा दी गई है. इन दिक्कतों को लेकर अधिकारियों का रटारटाया जवाब है. वे समस्या ठीक करवा रहे हैं.

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