शरद की शुरुआतः आज दिन-रात होंगे बराबर, कल से रातें होंगी बड़ी; साल में दो ही बार आता है अवसर
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शरद की शुरुआतः आज दिन-रात होंगे बराबर, कल से रातें होंगी बड़ी; साल में दो ही बार आता है अवसर

23 सितंबर को सूर्य विषुवत रेखा पर लंबित (Perpendicular) रहता है, जिस कारण आज दिन और रात दोनों 12-12 घंटे के होते हैं

प्रतीकात्मक तस्वीर

राहुल सिंह राठौर/उज्जैनः गुरुवार 23 सितंबर का दिन खगोलीय घटना के लिए विशेष दिन है. आज वैज्ञानिक दृष्टि से शरद ऋतु की शुरुआत होगी, साल में दो बार आने वालe अवसर भी आज ही रहेगा. आज दिन-रात बराबर होंगे. उज्जैन की जीवाजी वैद्य शाला के अधीक्षक ने बताया कि आज सूर्य उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश करेगा. अगले 6 महीनों तक दिन छोटे होंगे और रातें बड़ी होंगी. बता दें कि उज्जैन हमेशा से कालगणना का केंद्र रहा है. 

साल में दो ही बार होता है ऐसा 
महाकाल की नगरी उज्जैन की धार्मिक के साथ वैज्ञानिक महत्ता भी बहुत अधिक है. आज सूर्य उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश करेगा, जिससे आज दिन और रात बराबर होंगे, यानी दिन भी 12 घंटे का और रात भी 12 घंटे की. ऐसा अवसर साल में सिर्फ दो ही बार देखने को मिलता है, एक 23 सितंबर को और दूसरा 22 मार्च को. मार्च में सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करता है, तब दिन बड़े होने लग जाते हैं और रातें छोटीं.

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अनादि काल से रहा कालगणना का केंद्र
महाकालेश्वर की नगरी में अनादि काल से कालगणना का केंद्र रहा है, यहां स्थित जीवाजी वैद्य शाला में पृथ्वी, सूर्य, चंद्रमा व काल चक्र को आसानी से समझा जा सकता है. जीवाजी वैद्य शाला, उज्जैन के अधीक्षक राजेंद्र प्रसाद गुप्त से जी मीडिया संवाददाता ने जानकारी ली. उन्होंने बताया कि खगोलीय दृष्ठि से 23 सितंबर का दिन काफी महत्त्वपूर्ण है. 

सभी जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है, इसी कारण सूर्य की गति हमे कर्क (Tropic of Cancer), विषुवत (Equator) व मकर रेखा (Tropic of Capricorn) पर दिखाई देती है. 23 सितंबर को सूर्य विषुवत रेखा पर लंबित (Perpendicular) रहता है, जिस कारण आज दिन और रात दोनों 12-12 घंटे के होते हैं. वहीं आज से सूर्य उत्तरी गोलार्ध से दक्षिणी गोलार्ध में प्रवेश करेगा. इसी कारण दिन छोटे होंगे और रातें बड़ी होंगी. 

आज से शरद की शुरुआत
केंद्र अधीक्षक ने बताया कि जब किरणें तिरछी होती हैं तो इसे शरद समाप्ति कहते हैं, लेकिन आज से शरद ऋतु की शुरुआत हो रही है. इसे नापने के लिए वैध शाला में दो यंत्रों का प्रयोग होता है. पहला शंकु यंत्र, आज के दिन शंकु की परछाई पूरे दिन विषुवत रेखा पर ही रहते नजर आएगी. दूसरा नाड़ी वाला यंत्र, इसके दो हिस्से हैं, उत्तरी व दक्षिणी गोलार्ध, इस यंत्र के अभी तक उत्तरी हिस्से पर धूप थी, लेकिन आज किसी भी हिस्से पर धूप नहीं रहेगी, क्योंकि आज दिन-रात बराबर हैं. वहीं कल से दक्षिणी गोलार्ध पर धूप दिखाई, क्योंकि सूर्य भी दक्षिणी हिस्से पर प्रवेश करेगा. 

आम जन भी इस दृश्य को आकर देख सकेंगे, प्रशासन ने इसके लिए कोविड प्रोटोकॉल बनाए हैं, इसके तहत सभी लोग इस घटना को स्पष्ट रूप से देख सकेंगे.

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21 जनवरी को मिली थीं नई सौगातें
उज्जैन स्थित काल गणना केंद्र को 21 जनवरी को नई सौगातें मिली थीं. मंत्री इंदर सिंह परमार व मोहन यादव इस दौरान शहर में आए थे, उन्होंने वैद्यशाला में नक्षत्र वाटिका का शुभारंभ किया था. माना जाता है कि करीब 300 साल पहले राजा सवाई जय सिंह ने 5 वैद्यशाला में से एक का उज्जैन में निर्माण करवाया था. वहीं MP सरकार के मंत्रियों ने वाटिका में 9 ग्रह, 12 राशि और 27 नक्षत्रों के पौधे लगाए. 

विशेषज्ञों के अनुसार इन सभी से बच्चों व बड़ों का ज्ञान बढ़ेगा, उन्हें जानने को मिलेगा कि धरती पर किस तरह की वनस्पति के माध्यम से हम ग्रहों को देख सकते हैं और उनकी क्रियाओं को समझ सकते हैं. 

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