B'day Special: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक नरोत्तम मिश्रा शिवराज सरकार के संटक मोचक कहे जाते हैं. दतिया सीट से 6 बार विधायक रहे नरोत्तम मिश्रा को सियासी गलियों में चंबल की धार कहा जाता है. मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं नरोत्तम. डालिए एक नजर उनके राजनीतिक सफर पर....
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नई दिल्ली: मध्यप्रदेश के गृहमंत्री और बीजेपी के कद्दावर नेता नरोत्तम मिश्रा का आज जन्मदिन है. राजनीति में उत्तम नरोत्तम दतिया सीट से विधायक और शिवराज कैबिनेट का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सबसे भरोसेमंद नेताओं में से एक नरोत्तम मिश्रा एमपी सरकार के संटक मोचक कहे जाते हैं. 2019 में 15 महीने की कमलनाथ सरकार को सत्ता से गिराने और प्रदेश में दोबारा कमल खिलाने के लिए शुरू किए ऑपरेशन लोटस में नरोत्तम मिश्रा की अहम भूमिका थी. दतिया सीट से 6 बार विधायक रहे नरोत्तम मिश्रा का जन्म 15 अप्रैल, 1960 को ग्वालियर में हुआ. उन्हें सियासी गलियों में चंबल की धार कहा जाता है. डालिए एक नजर उनके राजनीतिक सफर पर...
बीजेपी के संकट मोचक
डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने राजनीतिक राह की शुरुआत कॉलेज के दिनों से कर दी थी. 1977 में ही उन्होंने इस ओर कदम बढ़ाया और जीवाजी विश्वविद्यालय में छात्रसंघ के सचिव बने. आज बीजेपी के संकट मोचक कहे जाने वाले मिश्रा ने जब भी मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी की नैया डगमगाई तो उसे पार लगाया. 2018 में हारने के बाद दोबारा बीजेपी को सत्ता दिलाने के बाद उनका कद इतना ऊंचा हो गया कि उन्हें मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जाने लगा. हालांकि शीर्ष पद पर फिर शिवराज पहुंचे और नरोत्तम को गृह विभाग सौंपा गया. नरोत्तम हमेशा से सीएम शिवराज सिंह के भरोसेमंद माने जाते हैं. दिसंबर 2005 में जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री बने उसी समय उन्होंने नरोत्तम मिश्रा को मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया. इसके बाद से उनका कद बढ़ता ही गया. वो जहां से आते हैं वहां के पानी में ही उत्तम राजनीति का असर है. नरोत्तम भी उसी ग्वालियर चंबल क्षेत्र से आते हैं, जहां से ज्योतिरादित्य सिंधिया और केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर जैसे राजनीति में बड़े चेहरे आते हैं.
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RSS और ABVP से राजनीतिक करियर की शुरूआत
डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने आरएसएस और एबीवीपी से राजनीतिक करियर की शुरूआत की. 1977 में छात्रसंघ के सचिव बने, बीजेपी युवा मोर्चा के प्रान्तीय कार्यकारिणी के सदस्य रहे. साल 1985-87 में एमपी भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य भी रहे. इसके बाद मिश्रा साल 1990 में मध्य प्रदेश की नवम विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए और लोक लेखा समिति के सदस्य बने. साल 1990 में वो विधायक बने और विधासभा में सचेतक भी रहे. नरोत्तम 1998 में दूसरी बार, 2003, 2008. 2013 और 2018 में छठी बार मध्य प्रदेश विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए.
BJP के रणनीतिकार, अमित शाह के खास
बीजेपी अध्यक्ष रहते हुए दतिया के विधायक नरोत्तम मिश्रा को 2019 के यूपी लोकसभा चुनाव में कानपुर लोकसभा सीट का प्रभारी नियुक्त किया गया. कारण था कानपुर सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं का दबदबा रहता है. ऐसे में दबंग ब्राह्मणवाद वाली छवि के नरोत्तम मिश्रा को इलाके में ब्राह्मण समीकरण साधने के लिए भेजा गया. उस समय बीजेपी ने अपने दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी की जगह सत्यदेव पचौरी पर दांव खेला था. मध्य प्रदेश की सियासत में बीजेपी का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं नरोत्तम. ऐसे में शाह को भरोसा था कि वो यूपी में भी समीकरण बैठा लेंगे.
दबंग ब्राह्मणवाद वाली छवि
मिश्रा हमेशा से अपने बेबाक और ब्राह्मणवाद वाले बयानों के चलते सुर्ख़ियों में रहे हैं. उनसे जुड़े कई ऐसे बयान और किस्से हैं, जिसनें केंद्र की राजनीति में भी हलचल मचा दी. इंदौर में चूड़ीवाले के साथ हिंदू संगठनों की मारपीट के बाद उसे जेल भेजना हो या फैशन डिजाइनर सब्यसाची के मंगलसूत्र के विज्ञापन पर कड़ी कार्रवाई. डाबर का करवाचौथ वाला विज्ञापन हो या कॉमेडियन वीर दास और मुनव्वर फारूकी को बैन करना हो नरोत्तम मिश्रा ने हमेशा बेबाकी दिखाई. सियासी हल्को में अमित शाह के करीबी और मध्य प्रदेश की राजनीति के सुपर हीरो कहे जाने वाले नरोत्तम मिश्रा हिंदुत्व का दूसरा नाम बन गए हैं.
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