MP में बलात्कारियों को सजा मिलने में इस कारण हो रही देरी,पीड़ित बेटियों को इंसाफ का इंतजार!
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MP में बलात्कारियों को सजा मिलने में इस कारण हो रही देरी,पीड़ित बेटियों को इंसाफ का इंतजार!

एमपी में फांसी की सजा का कानून तो बना हुआ है, लेकिन आज भी पीड़ित बेटियों को इंसाफ का इंतजार है. कारण है बाकी व्यवस्थाएं दुरुस्त नहीं की जा रही हैं. फॉरेंसिक साइंस लैब स्टाफ की भारी कमी के चलते  इस समय करीब 9 हजार DNA सैंपल पेंडिंग पड़े हैं, जिससे पुलिस  चार्जशीट दाखिल नहीं कर पा रही.

 

MP में बलात्कारियों को सजा मिलने में इस कारण हो रही देरी,पीड़ित बेटियों को इंसाफ का इंतजार!

प्रमोद शर्मा/भोपालः मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने बलात्कारियों को फांसी की सजा का प्रावधान बनाया हुआ है. बावजूद इसके महिलाओं और बच्चियों के साथ दुष्कर्म के दोषियों को सजा मिलने में देरी होती है. इस समय करीब 9 हजार DNA सैंपल पेंडिंग पड़े हैं, जिसके चलते इनकी सजा में रोड़ा लगा हुआ है. इसका कारण बताया जा रहा है FSL. 

9 हजार से ज्यादा सेंपल जांच के इंतजार में
FSL यानि फोरेंसिक साइंस लेब में दुष्कर्म मामलों के 9 हजार से ज्यादा सेंपल जांच के इंतजार में सालों से पड़े हुए हैं. ये मामले साल 2018 से पेंडिंग हैं. इन्ही पेंडिंग केस के चलते पुलिस दुष्कर्म के मामलों में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाती और दुराचार के आरोपियों की सजा में देरी हो रही है. इस पर ज़ी संवाददाता प्रमोद शर्मा की खास रिपोर्ट देखिए. 

फॉरेंसिक साइंस लैब क्यों है लाचार?
मध्य प्रदेश का एफएसएल यानी फॉरेंसिक साइंस लैब लाचार नजर आ रहा है. इसका कारण है मध्य प्रदेश की सागर, भोपाल, जबलपुर, इंदौर और ग्वालियर लाइव साइंटिस्ट और सपोर्टिंग स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं. इस समय सिर्फ 20% स्टाफ के साथ एफएसएल लैब चल रही हैं. 60% स्टाफ की कमी के चलते जो सैंपल पेंडिंग हैं, वो आंकड़े चौंकाने वाले हैं. 42 हजार से ज्यादा सैंपल पेंडिंग हैं,10 हजार DNA सैंपल 2018 से पेंडिंग हैं. इसी के चलते कहा जा रहा है कि फांसी की सजा का कानून बनाने से ही काम नहीं चलेगा. बाकी व्यवस्थाएं भी दुरुस्त करना होगी. फॉरेंसिक साइंस लैब स्टाफ की भारी कमी को जल्द दूर करना होगा.

40% स्टाफ ही पदस्थ
सागर स्टेट फॉरेंसिक लैब और भोपाल,जबलपुर,ग्वालियर,इंदौर रीजनल फॉरेंसिक लैब में स्टाफ की भारी कमी है. एफएसएल विभाग में स्वीकृत पदों के मुकाबले 40% स्टाफ ही पदस्थ है. नियमों के मुताबिक साइंटिस्ट के साथ 3 सपोर्टिंग टेक्निकल स्टाफ होना चाहिए, लेकिन एमपी की एफएसएल लैब में एक भी साइंटिस्ट के साथ सपोर्ट स्टाफ नहीं है. मजबूरन एफएसएल विभाग को आरक्षक से ही काम चलाना पड़ रहा है. अलग-अलग जांच सैंपल पर नजर डालें तो 42322 केस पेंडिंग हैं. इनमें डीएनए के 10 हजार केस हैं. दुष्कर्म के मामले यानी बलात्कार के 90 फ़ीसदी मामले इसी के चलते पेंडिंग है. 

अब होगी संविदा पर नियुक्ति
मध्य प्रदेश फॉरेंसिक साइंस लैब डायरेक्टर शशिकांत शुक्ला का कहना है कि स्टाफ की कमी है और इसी स्टाफ की कमी के चलते पेंडिंग केस का सिलसिला सालों से बना हुआ है. बलात्कार के मामलों की डीएनए रिपोर्ट समय से ना आने के चलते पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने में देरी होती है और बलात्कारियों को सजा मिलने में. बता दें FSL में 284 पद स्वीकृत हैं. इनमें से 122 साइंटिस्ट के पद खाली हैं. पूरे भारत मे एमपी के FSL सांइटिस्ट ही सबसे ज्यादा सैंपल की जांच करते हैं.अब परमानेंट भर्ती नहीं होने के चलते संविदा पर नियुक्ति की जा रही है, जिन्हें प्रत्येक सैंपल की जांच के 500 रुपये दिए जाएंगे.

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