Mandsaur News: मंदसौर किसान आंदोलन का जिन्न एक बार फिर बाहर आ गया है. दरअसल कांग्रेस के नेताओं ने खुलेआम स्वीकार किया है कि किसान आंदोलन उन लोगों ने ही किया था. माना जा रहा है कि इस खुलासे के बाद मध्य प्रदेश की सियासत गरमा सकती है.
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प्रमोद शर्मा/भोपालः साल 2017 में मंदसौर में हुए किसान आंदोलन का जिन्न एक बार फिर से जिंदा होता दिख रहा है. दरअसल मंदसौर किसान आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा में 6 किसानों की मौत हो गई थी और कांग्रेस ने तत्कालीन शिवराज सिंह सरकार को इस मुद्दे पर खूब घेरा था. अब एक वीडियो सामने आया है, जिसमें कांग्रेस नेता राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत के सामने स्वीकार करते दिख रहे हैं कि 'उन लोगों ने किसान आंदोलन किया, जिसके सहारे सरकार बनी लेकिन वह आपसी लड़ाई में गिर गई.'
गरमा सकती है सियासत
कांग्रेस नेता के इस वीडियो को मंदसौर से भाजपा विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर शेयर किया है. इस वीडियो में दिख रहा है कि कांग्रेस नेता राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत से कह रहे हैं कि "किसान आंदोलन भी हमने ही किया था और सरकार बनी थी लेकिन आपस में लड़े और सरकार नहीं रही, जिससे हमारी मेहनत भी पानी में चली गई." यह वीडियो राजस्थान के रामदेवरा का बताया जा रहा है.
बता दें कि वीडियो में दिख रहे नेता कांग्रेस के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं. इनमें एक श्यामलाल जोकचंद हैं, जो 2018 के विधानसभा चुनाव में वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा के खिलाफ चुनाव लड़ा था. वहीं दूसरे कांग्रेसी नेता कमलेश पटेल हैं. कांग्रेस नेताओं की इस वीडियो को बीजेपी विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने शेयर किया है.
बीजेपी ने कांग्रेस को घेरा
अपने ट्वीट में यशपाल सिंह सिसोदिया ने लिखा कि "मंदसौर जिले में किसान आंदोलन का सच आखिर जुबां पर आ ही गया. कांग्रेस के नेताओं ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सामने सच स्वीकार किया. सत्ता प्राप्ति के लिए घिनौना षड़यंत्र रचा था. 6 निर्दोष किसान कालकल्वित हुए थे. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की सरकार को बदनाम किया था." बीजेपी शुरू से ही कांग्रेस पर किसानों को भड़काने और किसान आंदोलन में हिंसा करवाने का आरोप लगाती रही है लेकिन कांग्रेस हमेशा से किसान आंदोलन में अपना हाथ होने से इंकार करती रही है. ऐसे में इस वीडियो के जरिए स्थानीय बीजेपी नेता सोशल मीडिया के माध्यम से कांग्रेस को घेरने का प्रयास कर रहे हैं और दावा कर रहे हैं कि आखिरकार मंदसौर से कई 100 किलोमीटर दूर कांग्रेसी नेताओं ने किसान आंदोलन की सच्चाई उगल ही दी.
2017 में भड़की थी हिंसा
बता दें कि 6 जून 2017 को मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा में 6 लोगों की मौत हो गई थी. इनमें से 5 किसानों की मौत पुलिस फायरिंग में हुई थी और एक किसान की मौत पुलिस कस्टडी में हुई थी. इस दौरान उग्र भीड़ ने पुलिस चौकियों को आग लगा दी थी और रेल की पटरियों को उखाड़ दिया था. हिंसा के दौरान कई वाहनों में भी आग लगा दी गई थी. सरकार ने हिंसा की जांच के लिए जेके जैन आयोग का गठन किया था, जिसने जून 2018 में अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इस रिपोर्ट में आयोग ने पुलिस और सीआरपीएफ को क्लीन चिट दे दी थी. दरअसल पुलिस और सीआरपीएफ कर्मियों की गोली से ही किसानों की मौत हुई थी. किसान पूर्ण कर्ज माफी की मांग, फसलों की बेहतर कीमत दिए जाने की मांग, प्याज की फसल से हुए घाटे से नाराज होकर आंदोलन कर रहे थे. इसी दौरान किसान उग्र हो गए और हिंसा भड़क गई.