Melody Flute by RSS bal swayamsevak: उज्जैन के इस्कॉन मंदिर में RSS के 93 बाल स्वयंसेवकों ने एक साथ बांसुरी बजाई. संघ के बाल गोपालों की बांसुरी की धुन सुनकर इस्कॉन मंदिर के आस पास का महौल आनंदमय हो गया. उज्जैन में संघ की ओर से ये आयोजन हर साल किया जाता है. हालांकि इसका स्थान बदलता रहता है.
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राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में हर त्यौहार बड़े धूम से मनाया जाता है. यहां का उल्लास देखने लायक होता है. दूर-दूर से लोग इसे दिखने आते हैं. महाकाल की नगरी संग भगवान कृष्ण की शिक्षास्थली भी है. इस कारण यहां कृष्ण जन्मोत्सव काफी समय तक चलता है. इसी क्रम में उज्जैन के इस्कॉन मंदिर परिसर RSS के 93 बाल स्वयंसेवकों ने एक साथ बांसुरी बजाई. इससे मंदिर के आस पास का महौल आनंदमय हो गया.
15 रचनाओं का मनमोहक प्रस्तुती
इस्कॉन मंदिर परिसर में आनंदमय कर देने वाली राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के 93 बाल गोपालों की एक लय एक ताल में बांसुरी की धुन सुनाई दी. भगवन कृष्ण, शिव, राम के भजनों की धुन सुन कर हर को आनंदमय हो गया. घोषवादकों द्वारा पंद्रह रचनाओं की आकर्षक प्रस्तुति हुई. इस घोषवादन कार्यक्रम में प्रमुख रूप से ॐ नमः शिवाय , छोटी छोटी गैय्या , प्राणों से प्रिय हमे है यह हिन्दू भू हमारी, रचना आकर्षण का केंद्र रही.
Melody Flute: RSS के बाल स्वयंसेवकों ने बजाई बांसुरी, सुनकर दिल हो जाएगा खुश
तीन महीने में लिया है प्रक्षिक्षण
दरअसल ये धुन संघ के प्रक्षिषित स्वयंसेवको ने 3 महीने के प्रक्षिक्षण शिविर के दौरान सीखी. 15 रचनाओं की शिव, कृष्ण व राम पर आधारित एक लय में एक धुन को एकसाथ प्रस्तुत करने जैसा चमत्कार बाल गोपालो ने कर दिखाया है. प्रत्येक वर्ष ये आयोजन शहर के गोपाल मंदिर पर होता है, लेकिन कोरोना के बाद अब स्थान परिवर्तन होने लगे पिछले साल भारत माता मंदिर के बाहर हुआ और इस वर्ष इस्कॉन मंदिर में हुआ.
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हर साल किया जाता है आयोजन
संघ के जिला प्रमुख ने जानकरी देते हुए बताया कि प्रतिवर्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बाल कार्य द्वारा जन्माष्टमी सप्ताह में वंशी वादन का कार्यक्रम किया जाता है. इस वर्ष यह इस्कॉन मंदिर में आयोजित किया गया, जिसमें कुल 93 संघ के स्वयंसेवकों द्वारा घोषवादन किया. इस कार्यक्रम में घोष में वादन किये जाने वाले वाद्यो में वंशी, वेणु, शंख, आनक, पणव, झल्लरी जैसे वाद्यों की सुमधुर प्रस्तुति हुई.
बंसी प्रेम और समर्पण का प्रतीक
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता ने अपने उद्बोधन में कहा कि बंसी और शंख दोनो ही वाद्य श्रीकृष्णा को प्रिय हैं और वे इसका वादन भी करते हैं. बंसी वाद्य का संदेश सम्पूर्ण समर्पण है, भगवान जैसा बजाते है वैसा बजती है. बंसी हमे प्रेम का संदेश देती है, कृष्णा जब तक गोकूल में रहे उन्होंने ने बंसी का वादन किया, किन्तु जैसे ही कर्म क्षेत्र में आये तो हम देखते है महाभारत में पांचजन्य शंख का वादन किया तो शत्रु भयभीत हुआ.
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सभी को दिलाया गया संकल्प
कार्यक्रम के वक्ताओं ने कहा कि जन्माष्टमी के बाद आयोजित कार्यक्रम में संघ का संकल्प हुआ. इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि शुभ अवसर पर हम सभी संकल्प लें कि समाज मे व्याप्त हर प्रकार की असमानता को खत्म कर सब एक दिशा में एक साथ इस देश को आगे बढ़ाएंगे.