MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश में कांग्रेस के टिकट बटने के बाद बगावत भी शुरू हो गई है. वहीं सियासी बाजार में टिकट बटवारे को लेकर कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच में अनबन का बाजार गरम है. इस मुद्दे पर Expert Comment में पढ़िए वरिष्ठ पत्रकार सुभाष चंद्र का लेख.
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Expert Comment: मशहूर गजल है - इतना टूटा हूं कि छूने से बिखर जाउंगा. मध्य प्रदेश में कई कांग्रेसी बीते दो दिन से यही गुनगुनाते हुए अपने आंसूओं को छिपाते फिर रहे हैं. साल भर से उम्मीद बांधे हुए थे, बीते दो महीने से लाख जतन करके जन आक्रोश रैली में भीड़ जुटा पाए. लेकिन, कांग्रेस की ओर से जब प्रत्याशियों की सूची जारी हुई तो कइयों को हताशा हुई. अधिकतर ने बागी तेवर अपना लिये, कुछ एक ने दूसरे दल के टिकट पर चुनावी मैदान में आकर कांग्रेस प्रत्याशियों को सबक सिखाने कसम तक खा ली ह.
इनका टिकट कटना चौंकाने वाला
टीकमगढ़ जैसे आदिवासी इलाकों में पूर्व स्थापित नेता को साइड करने से भी जनता में रोष है. चौंकाने वाला निर्णय नरसिंहपुर जिले के गोटेगांव से विधायक और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति का टिकट काटना है. पन्ना जिले की गुनौर से विधायक शिवदयाल बागरी भी बेटिकट रहे.
कमलनाथ ने केवल अपनी चलाई
सियासी हलकों में चर्चा हो रही है कि कमलनाथ ने केवल अपनी चलाई है. जहां भी उन्हें मौका मिला, दिग्विजय सिंह को साइड कर दिया है. रतलाम जिले की आलोट सीट से पूर्व सांसद प्रेमचंद गुड्डू के लिए दिग्विजय समर्थक भोपाल तक पहुंचे. लेकिन, यहां मौजूदा विधायक मनोज चावला को इसलिए टिकट मिला. क्योंकि वे कमलनाथ की पसंद हैं.
इगो आ रहा सामने
भोपाल जिले की बैरसिया सीट से दिग्विजय सिंह राम मेहर के पक्ष में थे. मेहर दिग्विजय के सांसद प्रतिनिधि हैं. बैरसिया में कुछ महीने पहले दिग्विजय ने गुर्जर समाज के मंदिर तक नंगे पैर पदयात्रा की थी, बावजूद इसके राममेहर को टिकट नहीं मिला. कमलनाथ ने पिछले चुनाव में 13 हजार वोटों से हारी जयश्री हरिकरण के नाम पर मुहर लगाई है. ऐसे मामलों से कांग्रेस की आपसी ईगो सामने आ रही है.
क्या कांग्रेस को है छिंदवाड़ा की चिंता
गौर करने वाली बात है कि कांग्रेस की पहली सूची में छिंदवाड़ा जिले की सात सीटों में से सिर्फ छिंदवाड़ा से कमलनाथ का ही नाम घोषित हुआ है. बाकी छह सीटों पर भी कांग्रेस के ही विधायक हैं. इनके नाम होल्ड पर रखने की क्या वजह है? कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि कमलनाथ इन सीटों पर कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं.
छिंदवाड़ा जिले का रिजल्ट सीधे उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है. दूसरी पंक्ति के नेताओं के लिए खुली जमीन नहीं देना चाहते हैं. कारण उनका पुत्रमोह है. उनके पुत्र का सियासी राह निष्कंटक रहे, इसलिए कलमनाथ छिंदवाड़ा को लेकर अधिक अलर्ट हैं.
नोट- मध्य प्रदेश के चुनाव और कांग्रेस की टिकट पर ये लेख वरिष्ठ पत्रकार सुभाष चंद्र ने लिखा है. ये उनके निजी विचार हैं.