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पटना: बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के बगावती तेवर सामने आए हैं। सूत्रों के अनुसार, मांझी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया है।
सूत्रों ने यह दावा किया है कि जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के नेतृत्व ने मांझी से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा मांगा है। नीतीश कुमार के फिर से मुख्यमंत्री बनने के अटकलों के बीच जेडीयू का यह कदम अब सामने आया है। सूत्रों के अनुसार, जेडीयू ने मांझी से इस्तीफा मांगा, जिस पर मांझी ने इनकार कर दिया। साथ ही उन्होंने पूछा कि पार्टी नेतृत्व यदि चाहे तो मुझे बर्खास्त करे। मांझी ने संकेत दिया है कि से वे खुद सीएम पद से नहीं हटेंगे। पार्टी चाहे तो उन्हें हटा दे। सूत्रों ने बताया कि मांझी के इनकार के बाद जेडीयू नेताओं की बैठक हुई, जिसमें आगे की रणनीति पर विचार किया गया।
गौर हो कि जीतन राम मांझी पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास पर पिछले वर्ष लोकसभा का चुनाव लड़ने वाले जदयू के उम्मीदवारों की बुधवार को आयोजित बैठक में शामिल नहीं हुए थे। बैठक के दौरान मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने तथा नीतीश कुमार से फिर से मुख्यमंत्री बनने के लिए कहे जाने की अटकलें लगाई जा रही थीं। इस बैठक के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि मांझी को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। यह मुद्दा एजेंडा में नहीं था। मांझी को मुख्यमंत्री पद से हटाने को लेकर अटकलों को गंभीरतापूर्वक नहीं लेते हुए शरद ने कहा कि यह बैठक आगामी 15 फरवरी को पटना में आयोजित जदयू की राज्यव्यापी रैली को लेकर थी।
गौर हो कि मांझी को हटाने की अटकलें काफी दिनों से चल रही हैं और उन्हें 15 फरवरी से पहले हटाया जा सकता है। लेकिन मांझी के तेवरों और मंत्रियों में इसको लेकर एक राय नहीं बन पाने के कारण पार्टी नेतृत्व असमंजस में है।
बीते दिनों मीडिया में आई कुछ रिपोर्टों के अनुसार, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के अधिकांश विधायक इस बात के पक्ष में हैं कि जीतन राम मांझी की जगह नीतीश कुमार फिर से मुख्यमंत्री पद संभालें। पार्टी के अधिकतर मंत्री और विधायक नीतीश के समर्थन में हैं। वहीं, नीतीश अपने आवास पर हर दिन विधायकों और नेताओं के साथ बैठक करते रहे हैं ताकि उनका फीडबैक मिल सके। इनमें से अधिकांश जेडीयू नेताओं का कहना है कि मांझी के मुख्यमंत्री बनने के बाद से जनता में गलत संदेश जा रहा है। विकास का काम ठप्प पड़ा है और केवल बयानबाजी हो रही है। नीतीश पर इन नेताओं की तरफ से भी फिर से बिहार की सत्ता संभालने का दबाव पड़ रहा है।
गौर हो कि बिहार में विधानसभा चुनाव सिंतबर महीने में होने की संभावना है। इसके मद्देनजर पार्टी के नेताओं का मानना है कि चुनाव में अब कुछ ही महीने बचे हैं, ऐसे में बिहार सरकार की गिरती साख और कानून-व्यवस्था की वजह से पार्टी को चुनाव में भारी नुकसान हो सकता है। यदि बीजेपी से मुकाबला करना है, तो सरकार को मजबूत नेतृत्व देना होगा। वह तभी संभव होगा जब नीतीश कुमार आगे बढ़कर अगुवाई करते हैं और फिर से सीएम बनते हैं।