MP में पेटेंट होगी महुआ से बनी हेरिटेज वाइन! इन लोगों को मिलेगा बड़ा फायदा
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MP में पेटेंट होगी महुआ से बनी हेरिटेज वाइन! इन लोगों को मिलेगा बड़ा फायदा

आदिवासी जिलों को छोड़कर अन्य जिलों में महुआ शराब के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध है. हालांकि इसके बावजूद चोरी-छिपे महुआ शराब की बिक्री की जाती है. 

MP में पेटेंट होगी महुआ से बनी हेरिटेज वाइन! इन लोगों को मिलेगा बड़ा फायदा

आकाश द्विवेदी/भोपालः मध्य प्रदेश सरकार महुआ से बनने वाली हेरिटेज वाइन को पेटेंट करने की तैयारी कर रही है. बता दें कि हेरिटेज वाइन पॉलिसी को लेकर मंत्रिमंडल उपसमिति की बैठक में महुआ की शराब को पेटेंट कराने पर सहमति बनी. हेरिटेज वाइन पॉलिसी के तहत सरकार जनजातियों में मदिरा निर्माण संबंधी कौशल को विकसित करने, निर्माण, संग्रह और मार्केटिंग में भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगी. 

गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा की अध्यक्षता में मध्य प्रदेश हेरिटेज मदिरा नीति 2022 की बैठक हुई. जिसमें आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा, वन मंत्री विजय शाह, स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी भी बैठक में शामिल हुए. बैठक के दौरान प्रमुख सचिव ने मध्य प्रदेश हेरिटेज मदिरा नीति 2022 का प्रजेंटेशन दिया और मंत्री समूह को नीति में प्रस्तावित प्रावधानों से अवगत कराया.  

बता दें कि मध्य प्रदेश में आदिवासी समाज खुद महुआ शराब बनाता है और इसका सेवन करता है. लोगों को 5 लीटर तक शराब बनाने की ही अनुमति है लेकिन आदिवासी जिलों को छोड़कर अन्य जिलों में महुआ शराब के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध है. हालांकि इसके बावजूद चोरी-छिपे महुआ शराब की बिक्री की जाती है. 

यही वजह है कि सरकार ने नई आबकारी नीति में महुआ से बनी शराब को पेटेंट कराकर हेरिटेज शराब के रूप में उसकी बिक्री को वैध करने का फैसला किया है. इससे ना सिर्फ आदिवासियों को आमदनी का जरिया मिलेगा, साथ ही सरकार को भी राजस्व की प्राप्ति होगी. बता दें कि बीते जनवरी में ही मध्य प्रदेश सरकार ने नई आबकारी नीति का ऐलान किया था. जिसमें अंग्रेजी शराब सस्ती करने के साथ ही घर में शराब रखने की लिमिट भी बढ़ा दी गई है. एक अप्रैल 2022 से यह नई आबकारी नीति लागू हो जाएगी. 

बता दें कि महुआ के फूलों से शराब बनाई जाती है. महुआ की शराब आदिवासी संस्कृति का पारंपरिक रूप से हिस्सा रही है. आदिवासी समाज के विभिन्न कर्मकांडों में, जन्म, मृत्यु, शादी आदि विभिन्न अवसरों पर महुआ की शराब पीने-पिलाने का रिवाज रहा है. यही वजह है कि आदिवासी खुद को महुआ का संरक्षक मानते हैं. यही वजह है कि सरकार की नई शराब नीति में हेरिटेज शराब के तहत महुआ की शराब को पेटेंट करने से प्रदेश के आदिवासी समाज को बड़ा फायदा होगा. 

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