MP Politics: दमोह कांग्रेस शहर अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा! जानिए क्यों दलित नेता ने पार्टी को कहा अलविदा?
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MP Politics: दमोह कांग्रेस शहर अध्यक्ष ने दिया इस्तीफा! जानिए क्यों दलित नेता ने पार्टी को कहा अलविदा?

Damoh News: मध्य प्रदेश में कांग्रेस को एक और झटका लगा है. दमोह शहर अध्यक्ष कोमल अहिरवार ने प्रदेश नेतृत्व द्वारा उपेक्षा का हवाला देते हुए पार्टी छोड़ दी. दलित नेता अहिरवार ने स्थानीय और प्रदेश स्तर के पार्टी पदाधिकारियों पर लगातार उपेक्षा का आरोप लगाया.

Komal Ahirwar left Congress

Komal Ahirwar left Congress: एमपी में हर दिन कमजोर होती दिख रही कांग्रेस को एक के बाद एक झटके लग रहे हैं. हर दिन लोग कांग्रेस पार्टी छोड़ रहे हैं. जिसके चलते कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी कटघरे में खड़े हैं. प्रदेश के दमोह से बड़ी खबर आई है. जहां कांग्रेस शहर अध्यक्ष और जाने-माने दलित नेता कोमल अहिरवार ने पार्टी को अलविदा कह दिया है. कोमल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पार्टी छोड़ने की बात कही है. इस दलित नेता के पार्टी छोड़ने से चुनाव के समय कांग्रेस को बड़ा नुकसान होने की सम्भावना जताई जा रही है.

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कौन हैं कोमल अहिरवार 
आपको बता दें कि कोमल अहिरवार युवावस्था में ही पुलिस की नौकरी छोड़कर समाज सेवा के क्षेत्र में आ गए थे और फिर वह बसपा में शामिल हो गए. उन्होंने बसपा से विधानसभा चुनाव भी लड़ा और फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. इस युवा नेता के आने से कांग्रेस को दलित वर्ग में और मजबूती दिखी, इसलिए पार्टी ने उन्हें दमोह शहर कांग्रेस का अध्यक्ष नियुक्त किया. 2021 के विधानसभा उपचुनाव और फिर 2023 के आम चुनाव में कोमल की सक्रियता दिखी थी और उनकी टीम भी सक्रिय थी, लेकिन हालिया लोकसभा चुनाव में कोमल सक्रिय नहीं दिखे. इसलिए उन्हें लेकर अटकलों का बाजार गर्म था. कोमल के मुताबिक पार्टी का स्थानीय धड़ा और प्रदेश कांग्रेस लगातार उनकी अनदेखी कर रही है. पिछले कुछ महीनों से जब पार्टी को एक-एक कार्यकर्ता की जरूरत है तब भी इस चेहरे को नजरअंदाज किया जा रहा है.

नजरअंदाज करना का लगाया आरोप
कोमल का कहना है कि यह अलग बात है कि दमोह जिला कांग्रेस अध्यक्ष रतन चंद जैन और पूर्व विधायक अजय टंडन उन्हें लगातार नजरअंदाज कर रहे हैं, लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी द्वारा उन्हें नजरअंदाज किया जाना उन्हें पसंद नहीं आया. कोमल के अनुसार, लोकसभा चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद से उन्होंने कई बार जीतू पटवारी से संपर्क करने की कोशिश की. हालांकि, पटवारी ने फोन कॉल अटेंड नहीं किए गए, व्हाट्सएप मैसेजों का जवाब नहीं दिया गया और जब उन्होंने संगठन के जिम्मेदार राज्य पदाधिकारियों से संपर्क किया, तो भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. कोमल ने इन सभी परिस्थितियों की जानकारी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़के, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को दी, फिर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. कोमल का कहना है कि हाल ही में जीतू पटवारी दमोह लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी तरबर लोधी का नामांकन दाखिल करने पहुंचे थे. शहर अध्यक्ष होने के बावजूद उन्हें उनकी सभा में जगह नहीं दी गई. वे इस सब को दलित वर्ग का अपमान बता रहे हैं. कांग्रेस को अलविदा कहने के बाद फिलहाल कोमल किसी भी राजनीतिक पार्टी में शामिल होने से साफ इनकार कर रहे हैं. उनके मुताबिक वह दलितों और वंचितों को उनका अधिकार दिलाने के साथ-साथ संविधान बचाने के यज्ञ में शामिल होने के लिए राजनीति में आये थे और अब वो इस मिशन में तेज़ी के साथ लगेंगे. उन्होंने किसी भी पार्टी में शामिल होने की अटकलों पर विराम लगाया और वह सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय रहेंगे.

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