ऐसे पढ़ेगा तो कैसे बढ़ेगा इंडिया! हाई स्कूल स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे चपरासी, गणित-विज्ञान के शिक्षक हैं ही नहीं
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ऐसे पढ़ेगा तो कैसे बढ़ेगा इंडिया! हाई स्कूल स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे चपरासी, गणित-विज्ञान के शिक्षक हैं ही नहीं

स्कूल की पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है. टीचर समय पर नहीं आते, उनकी कमी के चलते स्कूल के चपरासी से भी बच्चों को पढ़ाने का काम लिया जा रहा है.

ऐसे पढ़ेगा तो कैसे बढ़ेगा इंडिया! हाई स्कूल स्टूडेंट्स को पढ़ा रहे चपरासी, गणित-विज्ञान के शिक्षक हैं ही नहीं

संजय लोहानी/रीवाः अजब मध्य प्रदेश के गजब कारनामों की कई खबरें आए दिन सामने आती रहती हैं. अब एक मामला रीवा जिले से सामने आया, जहां बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा. यहां का कन्या हाईस्कूल भगवान भरोसे ही चल रहा है. यहां पढ़ाने के लिए स्कूल में शिक्षक तक नहीं है, मिडिल स्कूल के शिक्षक हाई स्कूल के छात्रों को पढ़ा रहे हैं. यहां तक कि चपरासी तक स्टूडेंट्स को आकर किताबों का ज्ञान दे रहे हैं. स्कूल की व्यवस्था से परेशान हो छात्राएं भी स्कूल छोड़ने लगी हैं. 

कन्या हाई स्कूल में शिक्षक ही नहीं!
शहर के बीच नगर निगम के स्वागत भवन के पास संचालित कन्या हाई स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है. यहां स्थिति ये हो गई है कि 9वीं-10वीं के छात्रों को पढ़ाने के लिए टीचर नहीं है. मिडिल स्कूल के शिक्षक कुछ विषयों को तो पढ़ा पा रहे हैं, लेकिन गणित और विज्ञान के शिक्षक नहीं होने से परेशानी हो रही है. हर साल अतिथि शिक्षकों के सहारे काम चलाया जा रहा था, लेकिन इस साल उन्हें भी नहीं अपॉइंट किया गया. 

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1965 से संचालित हो रहा स्कूल
नगर निगम द्वारा संचालित कन्या हाई स्कूल में प्राइमरी और मिडिल स्कूल के छात्र पढ़ते हैं. 1965 में शुरू हुए इस स्कूल में पहले प्राइमरी कक्षाएं संचालित होती थीं, फिर मिडिल स्कूल कक्षाएं शुरू हुईं. फिर 1980 में इसे हाई स्कूल बना दिया गया. लेकिन शिक्षकों की कमी के चलते शिक्षा का स्तर लगातार गिरता जा रहा है. इस कारण विद्यार्थियों की संख्या भी लगातार कम होती जा रही है. 

चपरासी तक कर रहे पढ़ाने का काम!
नगर निगम ने स्कूल की देखरेख के लिए एक महिला को अपॉइंट किया है. उनके अनुसार स्कूल की पढ़ाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है. टीचर समय पर नहीं आते, उनकी कमी के चलते स्कूल के चपरासी से भी बच्चों को पढ़ाने का काम लिया जा रहा है. यहां पहलीं से दसवीं तक करीब 300 स्टूडेंट्स थे, लेकिन यह संख्या अब घटकर आधी हो गई. यहां अब प्राइमरी के 40, मिडिल के 36 और हाई स्कूल के 55 यानी कुल 131 स्टूडेंट्स बचे हैं. 

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सफाई व्यवस्था ध्वस्त
विद्यार्थियों की संख्या कम होने से ज्यादातर कमरे बंद हैं, जहां धूल की परत जम चुकी है. इन कमरों को स्टोर रूम के तौर पर यूज किया जा रहा है. शौचालय में भी सफाई नहीं हो रही. स्कूल में प्रिंसिपल और स्थाई शिक्षक समेत कुल 3 लोगों का स्टाफ है. ये अपनी सेवाएं जरूर दे रहे हैं, लेकिन कोरोना के खतरे के बावजूद सतर्कता नहीं बरती जा रही. छात्र बगैर मास्क के ही पढ़ाई कर रहे हैं, यहां तक कि सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान भी नहीं रखा जा रहा. 

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