Ujjain Mahakal Corridor: महाकाल कॉरिडोर के पहले चरण के तहत महाकाल पथ, महाकाल वाटिका, रुद्रसागर तालाब के किनारे का डेवलेपमेंट किया गया है. यहां श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन के अलावा धार्मिक पर्यटन भी कर सकेंगे.
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नई दिल्लीः मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर (Ujjain Mahakal Corridor) का कॉरिडोर लगभग तैयार हो चुका है. महाकाल कॉरिडोर की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर खासे वायरल हो रहे हैं, जिनमें महाकाल कॉरिडोर की भव्यता कमाल की लग रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे. महाकाल कॉरिडोर की भव्यता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके विकास पर सरकार करीब 800 करोड़ रुपए खर्च कर रही है.
देश का पहला नाइट गार्डन
महाकाल कॉरिडोर में देश का पहला नाइट गार्डन भी बनाया गया है. यहां भगवान शिव, शक्ति और अन्य धार्मिक घटनाओं से जुड़ी करीब 200 मूर्तियां स्थापित की गई हैं. यहां श्रद्धालु भगवान शिव से जुड़ीं कथाओं के बारे में जान सकेंगे. यहां सप्त ऋषि, नवग्रह मंडल, त्रिपुरासुर वध, कमल ताल में भगवान शिव की मूर्ति, शिव तांडव की विभिन्न भाग-भंगिमाओं की प्रतिमाएं और नंदी की विशाल प्रतिमा यहां दिखाई देंगी. मूर्तियों में क्यूआर कोड स्कैन करके उनके बारे में जान सकेंगे.
महाकाल कॉरिडोर के पहले चरण के तहत महाकाल पथ, महाकाल वाटिका, रुद्रसागर तालाब के किनारे का डेवलेपमेंट किया गया है. यहां श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन के अलावा धार्मिक पर्यटन भी कर सकेंगे. कॉरिडोर में घूमने, फिरने और आराम करने की सुविधाएं मिलेंगी.
महाकाल कॉरिडोर के डेवलेपमेंट से जुड़े कुछ फैक्ट्स
महाकाल मंदिर कॉरिडोर के विकास में 793 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं. इनमें से 421 करोड़ मध्य प्रदेश सरकार और 271 करोड़ रुपए केंद्र सरकार ने दिए हैं. जिसके बाद मंदिर का एरिया 2 हेक्टेयर से बढ़कर 20 हेक्टेयर हो गया है.
महाकाल पथ से सटे ऐतिहासिक रुद्रसागर तालाब की साफ-सफाई कर इसे विकसित किया गया है. साथ ही रुद्रसागर तालाब में गिरने वाली गंदगी को रोक दिया गया है.
11 अक्टूबर को जब पीएम मोदी कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे, उस वक्त उज्जैन में देव दीपावली जैसा माहौल होगा.
लोकार्पण के दौरान उज्जैन के करीब 5 लाख घरों में प्रसाद के साथ पुस्तिका भी पहुंचाई जाएगी और लेजर शो और आतिशबाजी होगी.
महाकाल कॉरिडोर के विकास के लिए 152 भवनों का अधिग्रहण किया गया और मंदिर को क्षिप्रा नदी से जोड़ा गया है.