Ujjain News: उज्जैन के बाबा महाकालेश्वर के धाम में महिला कावड़ियों ने जमकर हंगामा किया. बता दें कि महिला कावड़ियों ने बैरी गेटिंग तोड़ गणेश मंडपम से नंदी हॉल व गर्भ गृह में प्रवेश करने की कोशिश की.
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राहुल सिंह राठौड़/उज्जैन: मध्य प्रदेश (MP News) के उज्जैन (Ujjain News) के विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग बाबा महाकाल के धाम में बढ़ते वीआईपी कल्चर को लेकर एक बार फिर हंगामा खड़ा हो गया. मंदिर में श्रावण मास में अधिक भीड़ होने के चलते 4 जुलाई से 11 सितंबर तक गर्भ गृह में पुजारियों, साधु संत व साध्वियों को छोड़ पूर्णतः प्रवेश पर प्रतिबंधित किया हुआ है, लेकिन इस बीच कई वीआईपीयों ने नियमों को ताक में रख गर्भ गृह से दर्शन किए हैं. जिसकी तस्वीरें भी सामने आई हैं. इसी बात से आहत होकर महिला कावड़ियों ने हंगामा खड़ा कर दिया है और मंदिर के अंदर धरने पर बैठ गई हैं. बड़ी संख्या में हाथ में लोटा लिए जल चढ़ाने मंदिर पहुंची महिलाओं की सुरक्षा कर्मियों से व पुलिसकर्मियों से जद्दोजहद भी हुई. कई महिलाओं ने तो गणेश मंडपम के सामने लगे बैरीगेटिंग तक तोड़ दिए. हालांकि, वे अपनी कोशिश में सफल नहीं हो पाईं, लेकिन मंदिर में ही धरने पर भगवान शिव को गर्भ से जल चढ़ाने के लिए बैठी हुई हैं.
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इसलिए हुआ हंगामा
दरअसल, कांग्रेस नेत्री व शहर में नगर निगम में 5 बार से पार्षद माया राजेश त्रिवेदी शिप्रा नदी के श्री रामघाट से बड़ी संख्या में महिलाओं को लेकर भगवान महाकालेश्वर को जल अर्पित करने श्री महाकालेश्वर मंदिर पहुंची गईं. सालों से वे कावड़ लिए मंदिर पहुंच रही हैं , जहां पर सभा मंडप में गर्भ गृह के प्रवेश द्वार के यहां से प्रवेश करने लगी तो सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें प्रवेश देने से रोकदिया. माया राजेश त्रिवेदी के साथ महिलाओं की प्रवेश द्वार पर सुरक्षा कर्मियों से तीखी बहस हुई. जिस पर माया राजेश त्रिवेदी ने कहा कि मंदिर में सबके लिए व्यवस्था एक जैसी होना में इस व्यवस्था को लेकर कलेक्टर व मंदिर प्रशासक की कड़ी निंदा करती हूं. अगर गर्भ गृह में प्रवेश प्रतिबंध है तो वीआइपीओ को प्रवेश क्यों दिया जा रहा है? वीआईपी को प्रवेश दिया गया है तो हम भी गर्भ ग्रह से ही जल चढ़ा कर रहेंगे.
मंदिर प्रशासन ने नहीं दिया कोई जवाब
वहीं, धरने को लेकर मंदिर प्रशासक संदीप सोनी से संपर्क करने की कोशिश की गई तो संदीप सोनी ने फोन नहीं उठाया. फिलहाल, खबर लिखे जाने तक महिलाओं का धरना जारी है. अब देखना होगा कि मंदिर समिति इसको कितना गंभीरता से लेती है और कावड़ियों की भावनाओं का कितना और कैसे ख्याल रखती है.