जबलपुर में 'सारंग' गन का हुआ सफल परीक्षण, जानिए क्या हैं इसकी खासियतें
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जबलपुर में 'सारंग' गन का हुआ सफल परीक्षण, जानिए क्या हैं इसकी खासियतें

बताया जा रहा है कि सारंग गन की मारक क्षमता करीब 39 किलोमीटर है. सारंग गन के सेना में शामिल होने पर सालाना 100 करोड़ रुपये की बचत होगी. 

देश की सबसे बड़ी गन (तोप) सारंग का जबलपुर में सफल परीक्षण किया गया.

कर्ण मिश्रा/जबलपुर: देश की सबसे बड़ी गन (तोप) सारंग का जबलपुर में सफल परीक्षण किया गया. जबलपुर में एलपीआर रेंज में सारंग का परीक्षण किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि सारंग गन की मारक क्षमता करीब 39 किलोमीटर है. सारंग गन के सेना में शामिल होने पर सालाना 100 करोड़ रुपये की बचत होगी. 

देश की सबसे ताकतवर गन सारंग का जबलपुर की लॉन्ग प्रूफ रेंज खमरिया में सफल परीक्षण किया गया. स्वदेशी तकनीक से लैस 39 किलोमीटर की मारक क्षमता रखने वाली सारंग देश की सबसे बड़ी गन है. 155 एम एम कैलिबर वाली इस गन को गन कैरिज फेक्ट्री में अपग्रेड किया गया है. इसकी मारक क्षमता को बढ़ाया गया है. मेक इन इंडिया के संकल्प को साकार करती हुई यह गन स्वदेशी आधुनिक तकनीक से युक्त है. अभी तक यह रशियन गन थी, जिसकी पहले मारक क्षमता 27 किलोमीटर हुआ करती थी. इसका बैरल पहले 130 एमएम का था, जिसे अब करीब 25 एमएम बढ़ाया गया है. जिसके चलते अब यह 155 एमएम बैरल के साथ मारक क्षमता में बढ़त के साथ दुश्मनों का काल बन गई है. जिस स्वदेशी तकनीक के साथ इसे मॉडिफाई किया गया. जिसके चलते अब भारतीय सेना की ताकत दोगुना हुई है. अब इस गन के माध्यम से सैनिक अंधेरे में भी दुश्मन पर वार कर सकते हैं.

इन सबके साथ जबलपुर शहर के नाम एक प्रमुख उपलब्धि दर्ज हो गई है. जबलपुर एकमात्र ऐसा शहर बन गया है, जहां आयुध निर्माणियों में गन की मैन्युफैक्चरिंग के साथ उसका मॉडिफिकेशन और एलपीआर रेंज में उसकी टेस्टिंग भी की जाना सम्भव हो सकेगी. ऐसा करने वाला भारत का यह एकमात्र शहर जबलपुर बन गया है. परीक्षण के दौरान मौके पर मौजूद एलपीआर खमरिया के कमांडेंट निश्चय राउत अनुसार 14 महीने की कड़ी मेहनत के बाद जबलपुर एक बड़े डिफेंस हब के रूप में विकसित हो रहा है.

उन्होंने कहा कि 5 से ज्यादा आयुध निर्माणियों और लगातार आधुनिक तोपों का निर्माण और उनका सफल परीक्षण कहीं ना कहीं निजी क्षेत्र के रक्षा कंपनियों को भी अपनी ओर आकर्षित कर सकता है. इतना ही नहीं इस सफल परीक्षण के साथ सरकार को करोड़ों रुपये की बचत भी होगी. जिसका उपयोग कई अन्य रक्षा संसाधनों की खरीद फरोख्त व उनके विकास में किया जाना सम्भव हो सकेगा.

बहरहाल, सारंग गन से 15 डिग्री, 45 डिग्री, 0 डिग्री व 15 डिग्री में 14 किलोमीटर की फायरिंग रेंज में 4 फायर कर सेना की ताकत की बुलंदियों को और अधिक ऊंचा किया है. वहीं आने वाले समय मे ओर भी कई आधुनिक स्वदेशी गन व तोपों का परीक्षण यहां किया जाना जारी रहेगा. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ओएफबी चेयरमैन सौरभ कुमार जीसीएफ के दौरे पर भी आये थे और उन्होंने सारंग तोप के अपग्रेडेशन की जानकारी ली थी.

उन्होंने समीक्षा बैठक में 130 एमएम सारंग तोप 26 जनवरी की दिल्ली परेड में भी शामिल करने पर गंभीरता से चर्चा की थी. हालांकि, निर्माणी प्रशासन को यह तोप दिल्ली भेजने को लेकर अभी रक्षा मंत्रालय के निर्देशों का इंतजार है. ऐसे में 26 जनवरी को परेड में स्वदेशी सारंग को शामिल किया जाएगा, यह अभी तय होना बाकी है.

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