मध्यप्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के दौरान हंगामा, भाजपा का बहिर्गमन
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मध्यप्रदेश में विधानसभा अध्यक्ष चुनाव के दौरान हंगामा, भाजपा का बहिर्गमन

कांग्रेस ने जहां एन.पी प्रजापति को उम्मीदवार बनाया तो वहीं भाजपा विजय शाह को मैदान में उतारना चाहती थी.

राज्यपाल को ज्ञापन सौंपने जाते पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (फोटो साभार- twitter)

भोपालः मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार का प्रस्ताव रखने की अनुमति न देने पर जमकर हंगामा हुआ और भाजपा विधायक सदन से बहिर्गमन कर गए. पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सदन में अपनाई गई प्रक्रिया को लोकतंत्र की हत्या की संज्ञा दी. विधानसभा सत्र का मंगलवार को दूसरा दिन है. आज विधानसभाध्यक्ष का चुनाव होना था. कांग्रेस ने जहां एन.पी प्रजापति को उम्मीदवार बनाया तो वहीं भाजपा विजय शाह को मैदान में उतारना चाहती थी.

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प्रोटेम स्पीकर दीपक सक्सेना ने प्रजापति के प्रस्ताव को तो स्वीकार लिया, वहीं भाजपा उम्मीदवार के प्रस्ताव को स्वीकारा ही नहीं. इस पर सदन में जमकर हंगामा हुआ. सदन की कार्यवाही दो बार हंगामे के कारण स्थगित की गई. उसके बाद तीसरी बार कार्यवाही शुरू हुई तो भाजपा विधायक बहिर्गमन कर गए. इस दौरान प्रोटेम स्पीकर ने ध्वनिमत और मत विभाजन से अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया को अपनाने का ऐलान किया.

वहीं विधानसभा अध्यक्ष के चुना के दौरान हुए हंगामें के बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिहं चौहान ने ट्वीट करते हुए कहा कि 'विधानसभा की कार्यवाही का पहला दिन प्रदेश के विधायी इतिहास का काला दिन रहा. सत्ता पक्ष द्वारा सदन में लोकतांत्रिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाई गईं. विधानसभा अध्यक्ष की निर्वाचन प्रक्रिया में नियमों एवं संसदीय परंपराओं को ताक पर रख दिया गया. हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं.' वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा कि 'विधानसभा में सत्ता पक्ष द्वारा किये गये असंसदीय आचरण और अध्यक्ष के चुनाव में नियमों की धज्जियां उड़ाए जाने पर इसके विरोध में हम पैदल मार्च करते हुए राज्यपाल महोदया को ज्ञापन सौंपने जा रहे हैं. किसी भी दशा में @BJP4MP लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन बर्दाश्त नहीं करेगी.'

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दूसरी ओर भाजपा ने विधानसभा के बाहर भी हंगामा किया. पूर्व मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि यह निर्णय पूरी तरह अलोकतांत्रिक है. पैदल मार्च कर राजभवन जाकर राज्यपाल को ज्ञापन देंगे. पूर्व संसदीय कार्यमंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि आज की कार्यसूची में पांच प्रस्ताव थे. चार प्रस्ताव प्रजापति के थे और पांचवां प्रस्ताव शाह का था मगर उसे पढ़ने ही नहीं दिया गया. (इनपुटः आईएएनएस)

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