धान खरीदी पर बवाल: रमन बोले- केंद्र से पूछकर नहीं घोषित किया ₹2500 दाम, भूपेश सरकार का पलटवार
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धान खरीदी पर बवाल: रमन बोले- केंद्र से पूछकर नहीं घोषित किया ₹2500 दाम, भूपेश सरकार का पलटवार

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात कर इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा था. इसके बाद बीते रविवार को केंद्र सरकार ने एफसीआई को 24 लाख मीट्रिक टन चावल लिफ्ट करने की अनुमति दी थी.

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह (L), भूपेश बघेल सरकार में मंत्री मोहम्मद अकबर.

रायपुरः छत्तीसगढ़ में धान खरीदी को लेकर राज्य की भूपेश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार के बीच आरोप प्रत्यारोप की राजनीति जारी है. छत्तीसगढ़ सरकार किसानों को धान का मूल्य 2500 रुपया प्रति क्विंटल देने का दावा कर रही है.इसके लिए उसने राजीव गांधी किसान न्याय योजना चला रखी है, जिसमें किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार देने की व्यवस्था है. केंद्र सरकार इसे बोनस मान रही है और एफसीआई को इस मामले के निपटारे तक धान खरीदने से रोक रखा था.

छत्तीसगढ़ में बीते एक महीने से धान की खरीदी राज्य सरकार कर रही है. भूपेश सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार ने एक दाना चावल भी एफसीआई के जरिए सेंट्रल पूल में नहीं लिया है. ऐसी हालत में राज्य के खरीदी केंद्रों पर धाम का भंडारण बहुत अधिक मात्रा में हो गया और खरीदी प्रभावित हुई है. बीते दिनों मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री मोदी से फोन पर बात कर इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहा था. इसके बाद बीते रविवार को केंद्र सरकार ने एफसीआई को 24 लाख मीट्रिक टन चावल लिफ्ट करने की अनुमति दी थी.

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केंद्र से पूछकर दाम तय नहीं किया, अब मदद क्यों चाहिएः रमन
अब सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह भूपेश सरकार से पूछ रहे हैं कि क्या केंद्र सरकार से पूछकर धान का दाम प्रति क्विंटल 2500 रुपया देने की घोषणा उनकी ओर से की गई थी? जब घोषणा करने से पहले मशविरा नहीं किया तो अब कांग्रेस सरकार केंद्र सरकार की मदद क्यों चाहती है? डॉ. रमन सिंह ने कहा, ''प्रदेश सरकार ने 2500रुपए में धान खरीदने की घोषणा केंद्र सरकार से तो पूछकर की नहीं थी. अब समर्थन मूल्य के अलावा किसानों को जो राशि प्रदेश सरकार दे रही है, वह योजना भी केंद्र सरकार से पूछकर नहीं बनाई थी. बोनस संबंधी केंद्र सरकार की नीति के बारे में इनको पहले से पता था. इसके बावजूद राज्य सरकार केंद्र के खिलाफ बयानबाजी कर रही है. ऐसे बयानों से केंद्र की नीतियां नहीं बदला करतीं.''

रमन सिंह को भूपेश सरकार के प्रवक्ता मो. अकबर का जवाब
रमन सिंह के इस सवाल पर छत्तीसगढ़ के वन, आवास एवं पर्यावरण मंत्री व राज्य सरकार के प्रवक्ता मोहम्मद अकबर ने कहा है कि भूपेश सरकार अपने बूते ही किसानों से धान खरीद रही है. केंद्र सरकार इसमें अड़ंगा न लगाए. उन्होंने कहा, ''इस मामले में कांग्रेस कोई राजनीति नहीं कर रही है. राजनीति और षडयंत्र भाजपा का है. केंद्र सरकार ने 60 लाख मीट्रिक टन चावल लेने की सहमति दी थी. जब खरीदी शुरू हो गई तो केंद्र सरकार के रुख में परिवर्तन आया है.''

हम धान खरीद रहे, केंद्र अड़ंगा न लगाएः मंत्री मोहम्मद अकबर
मोहम्मद अकबर ने कहा, ''हम हर हाल में किसानों को 2500 रुपए प्रति क्विंटल का मूल्य देंगे. कांग्रेस तो इसे स्वीकार कर रही है. पिछले साल समर्थन मूल्य पर 1815 रुपए प्रति क्विंटल की दर से खरीदी हुई. शेष 685 रुपए की राशि राजीव गांधी किसान न्याय योजना के जरिए दी गई. राज्य सरकार अपने बूते ही धान खरीद रही है, अब केंद्र सरकार इसमें ऐसे अड़ंगे न लगाए.''

मोहम्मद अकबर को रमन सिंह का जवाब
डॉ. रमन सिंह ने भूपेश सरकार के प्रवक्ता और मंत्री मोहम्मद अकबर को जवाब देते हुए कहा, ''समितियों में धान जाम हो गया है. अफसरों और मुख्यमंत्री को समझ नहीं आ रहा है कि इस धान को लिफ्ट कर संग्रहण केंद्रों तक पहुंचाया जाना चाहिए. इन केंद्रों की क्षमता 35 लाख मीट्रिक टन है. अभी तक 02 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा धान संग्रहण केंद्रों तक नहीं पहुंचा है. हमारे शासनकाल में बफर लिमिट कभी 10 फीसदी से अधिक नहीं हुआ. आज बफर स्टॉक 66 फीसदी तक है.''

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वादा तुम्हारा है, पूरा भी तुम्हीं करोगे: रमन
उन्होंने कहा, ''वादा तुम्हारा था तो निभाना भी तुम्हें पड़ेगा. अथक मेहनत से उपजा धान क्या यूं ही सड़ेगा? न बहाना चलेगा न कोई चालाकी काम आएगी.  ₹2500 क्विंटल का वादा अब तुम्हें निभाना पड़ेगा. अन्नदाताओं से जो छल कपट किया है तुमने अब उसका फल भी तुम्हें ही भुगतना पड़ेगा. केंद्र सरकार अपनी ओर से यथासंभव इसमें सहयोग करेगी. आज तक छत्तीसगढ़ के किसानों को पिछले वर्ष के धान का पूरा भुगतान नहीं मिला है. यह आरोप मैंने विधानसभा में लगाया था और अभी भी अपनी उस बात पर कायम हूं.''

विवाद की जड़ में धान पर एमएसपी के बाद का बोनस
छत्तीसगढ़ सरकार और केंद्र सरकार के बीच यह पूरा विवाद धान की कीमत को लेकर खड़ा हुआ है. पूर्ववर्ती रमन सरकार धान उत्पादक किसानों को प्रति क्विंटल 300 रुपया बोनस देती थी. यह धान पर घोषित समर्थन मूल्य के अतिरिक्त था. केंद्र की भाजपा सरकार ने 2015 में अनाज उत्पादन पर बोनस देने से मना कर दिया. किसानों को घाटा महसूस हुआ और राज्य में आंदोलन शुरू हो गए. विधानसभा चुनाव से एक साल पहले वोटबैंक का हवाला देकर पूर्ववर्ती रमन सरकार यह नियम शिथिल कराने में सफल रही और 2017.18 में किसानों को बोनस दिया गया.

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इधर कांग्रेस ने किसानों से वादा किया कि वह सत्ता में आई तो प्रति क्विंटल 2500 में धान खरीदी करेगी. छत्तीसगढ़ में पूर्ण बहुमत की कांग्रेस सरकार बनी. भूपेश बघेल मुख्यमंत्री बने और 2500 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी की नीति बनी. पहले वर्ष खरीदी में कोई परेशानी नहीं आई. दूसरे वर्ष केंद्र सरकार ने एमएसपी के अतिरिक्त बोनस देने की स्थिति में चावल लेने से साफ इनकार कर दिया. 

कई दौर की बातचीत के बाद भी हालात नहीं सुधरे तो राज्य सरकार ने राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की. इसके तहत किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रुपए नकद राशि दी जाती है. केंद्र सरकार इसे भी बोनस मान रही है. इसी को लेकर पूरा पेच फंसा है. दरअसल समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी केंद्र सरकार करती है, लेकिन यह राज्यों के जरिये किया जाता है. 

केंद्र सरकार ही तय करती है कि खरीदी किस तरह के बोरे में की जाएगी, मिलिंग कैसे होगी, उसे अरवा चावल चाहिए या उसना चावल. छत्तीसगढ़ सरकार सहकारी समितियों के जरिए किसानों से धान खरीदती है. मार्कफेड समर्थन मूल्य 1868 रुपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों को धान का भुगतान करता है. बाद में उसकी मिलिंग कर चावल एफसीआई में जमा कर दिया जाता है. केंद्र सरकार समर्थन मूल्य की दर से पूरी खरीदी का भुगतान राज्य सरकार को वापस कर देती है. राज्य सरकार समर्थन मूल्य और अपने वादे के मूल्य 2500 रुपए प्रति क्विंटल में अंतर की राशि किसान न्याय योजना के तहत किस्तों में जारी करती है.

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अब तक केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच क्या-क्या हुआ?
छत्तीसगढ़ में धान की सरकारी खरीदी 01 दिसम्बर से शुरू हुई और 90 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य तय हुआ. विपक्ष ने 21 दिसम्बर को विधानसभा में बारदाना संकट और धान खराब होने के आरोप लगाए. जांच कराने की मांग की. मुख्यमंत्री बघेल ने 30 दिसम्बर को मंत्रियों के साथ आपात बैठक कर हालात की समीक्षा की. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार चावल जमा करने की अनुमति नहीं दे रही.

राज्य सरकार के छह मंत्रियों ने किसान प्रतिनिधियों से चर्चा कर उन्हें पूरे मामले की जानकारी दी और सहयोग मांगा. 31 दिसम्बर को ही मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात कर हस्तक्षेप की मांग की. राज्य भाजपा नेतृत्व ने भूपेश सरकार पर पिछले वर्ष का बकाया चावल जमा नहीं कर पाने का आरोप लगाया. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आरोप लगाया कि धान खरीदी को प्रभावित करने के लिए रमन सिंह और प्रदेश भाजपा षडयंत्र कर रहे हैं. 

रमन सिंह ने कहा कि कांग्रेस सरकार धान खरीदी से बचने का बहाना ढूंढ रही है. केंद्र सरकार ने 1 जनवरी को एफसीआई को पत्र लिखकर पिछले साल के बकाया चावल का स्टॉक जांचने को कहा और सात दिनों में रिपोर्ट मांगी. तीन जनवरी को केंद्र सरकार ने 24 लाख मीट्रिक टन चावल केंद्रीय पूल के लिए जमा करने की अनुमति जारी कर दी. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद कहा.

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