बरखेड़ी अब्दुल्ला की सरपंच गांव में बेटी के जन्म की खुशी में 10 पौधे लगवाती हैं. वह अपनी 2 माह की सैलरी भी बच्ची की मां को उपहार के रूप में देती हैं.
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भोपालः अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हम लेकर आए हैं मध्य प्रदेश की उस महिला सरपंच की कहानी जिन्होंने अपने गांव का विकास करने के लिए अमेरिका की नौकरी भी छोड़ दी. यह हैं प्रदेश की राजधानी भोपाल से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित बरखेड़ी अब्दुल्ला गांव की सरपंच भक्ति शर्मा. एक समय जिस गांव में कच्चे मकान, बिजली का अभाव, अशुद्ध पानी जैसी अनेक समस्याएं थीं. आज उसी गांव के 80 प्रतिशत से ज्यादा कच्चे मकानों को पक्का कर लिया गया है. अब यहां पीने के साफ पानी के साथ ही बिजली और शौचालय की व्यवस्था भी स्थापित हो गई है. आइए जानते हैं इस बदलाव को साकार करने वाली महिला सरपंच भक्ती शर्मा की कहानी...
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गांव के विकास के लिए छोड़ दी अमेरिका की नौकरी
अपने कारनामों के कारण उन्हें भारत की सबसे प्रभावशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया गया. भोपाल के नूतन कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई कर चुकीं भक्ति वकालत भी कर रही हैं. सिविल सेवा की तैयारी की, लेकिन कई बार मिली असफलता से उन्होंने विदेश जाने का मन बनाया. वह अमेरिका गईं, लेकिन वहां नौकरी करने के बाद उन्हें अपने गांव के प्रति अहम जिम्मेदारी को पूरा करने का अहसास हुआ. वह देश लौटकर अपने गांव बरखेड़ी अब्दुल्ला जाने लगीं.
गांव वालों के कहने पर बनीं सरपंच
भोपाल जिले में आने वाला बरखेड़ी गांव मुख्य शहर से करीब 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. एक समय तक पिछड़े गांवों की श्रेणी में आने वाले इस गांव में 2015-16 में सरपंच के चुनाव होने थे. तभी अपने पिता और स्थानीय लोगों द्वारा प्रोत्साहित करने के बाद उन्होंने सरपंच पद के लिए नामांकन दाखिल किया. उन्हें गांव वालों का पूरा सपोर्ट मिला और उन्होंने बम्पर वोटों से चुनाव जीत कर सरपंच पद हासिल किया. जिसके कुछ ही सालों में उन्होंने गांव की तकदीर बदल दी.
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बच्ची के जन्म पर देती हैं अपनी 2 महीने की सैलरी
भक्ति गांव की महिलाओं और लड़कियों के विकास के लिए एक मुहिम भी चला रही हैं. इसके तहत गांव के किसी भी घर में लड़की के जन्म पर बच्ची की मां को वह उनके 2 महीने का वेतन उपहार में देती हैं. साथ ही बेटी के जन्म की खुशी में गांव में 10 पेड़ लगाए जाते हैं. अब तक गांव में लगाए करीब 6,500 से ज्यादा पौधों में से 75 प्रतिशत पेड़ बन गए हैं.
गांव तक पहुंचाईं सड़क, दिलाया पानी और बिजली
सरपंच पद हासिल करते ही उन्होंने तत्परता से काम शुरू किया और गांव को शहर से जोड़ने वाली सड़कें बनवाईं. गांव के 80 फीसदी से ज्यादा कच्चे मकानों को पक्का बनवाया. एक वक्त जहां बिजली और साफ पानी के लिए जूझते गांव में उन्होंने बिजली, पानी और शौचालय की सुविधा मुहैया कराई. उन्होंने अपनी ओर से प्रयास कर गांव के सभी लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त और मजबूत किया.
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गांव के लोगों को शिक्षा क्षेत्र में बना रहीं मजबूत
बरखेड़ी अब्दुल्ला गांव में एक समय तक बहुत कम ही शिक्षित लोग थे. लेकिन भक्ति ने गांव के लोगों को शिक्षा का महत्त्व समझाया, गांव की सभी सड़कों को स्कूलों से जोड़ा. वहां तक पहुंचाने के लिए बच्चों को साईकिल मुहैया कराई, जिससे बच्चों को स्कूल तक पहुंचने में दिक्कतें न हों. गांव में कुपोषण से लड़ने के लिए स्कूलों में बच्चो को मिड डे मील दिया जाता है. इसका असर कुछ ही सालों में नजर आया और यहां कुपोषण के आंकड़ों में भी कमी आईं.
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