चंबल का डाकू म्यूजियम: देख सकेंगे फूलन देवी और मोहर सिंह की बंदूकें, वीर पुलिस वालों की कहानी
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चंबल का डाकू म्यूजियम: देख सकेंगे फूलन देवी और मोहर सिंह की बंदूकें, वीर पुलिस वालों की कहानी

इस पुलिस स्टेशन को हेरिटेज लुक में सजाया-संवारा जाएगा. इस संग्रहालय में वर्ष 1960 से लेकर 2011 तक चंबल इलाके में सक्रिय रहे दस्युओं की पूरी हिस्ट्रीशीट, फोटो, गिरोह के सदस्यों की जानकारी और उनका अंत तक की कहानी बताई जाएगी. 

मोहर सिंह (L), मलखान सिंह.

प्रदीप शर्मा/भिंड: भिंड पुलिस ने अपराध की दुनिया मे कदम रखने वालों को सबक और संदेश देने के लिए चंबल में डाकू म्यूजियम बनाने का फैसला किया है. पुलिस चंबल में बागी दस्युओं के खात्मे और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लौटाने की कहानी को इस संग्रहालय के माध्यम से लोगों को बताएगी. कुख्यात दस्यु रहे मोहर सिंह के निवास क्षेत्र मेहगांव में इस म्यूजियम के लिए एक ब्रिटिश कालीन पुलिस थाने का चयन भी कर लिया गया है.

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1960 से 2011 तक के चंबल की कहानी कहेगा डाकू म्यूजियम
इस पुलिस स्टेशन को हेरिटेज लुक में सजाया-संवारा जाएगा. इस संग्रहालय में वर्ष 1960 से लेकर 2011 तक चंबल इलाके में सक्रिय रहे दस्युओं की पूरी हिस्ट्रीशीट, फोटो, गिरोह के सदस्यों की जानकारी और उनका अंत तक की कहानी बताई जाएगी. उनके हथियारों को भी प्रदर्शित किया जाएगा. साथ ही उन बलिदानी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के किस्से सुनाए जाएंगे, जिन्होंने अपने जान की परवाह किए बिना इन खूंखार डकैतों की गोलियों का सामना किया. 

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देख सकेंगे फूलन देवी और मोहर सिंह की बंदूक  
इस म्यूजियम में आप फूलन देवी की वह बंदूक भी देख पाएंगे जिसके साथ उन्होंने सरेंडर किया था. डाकू मोहर सिंह उर्फ दद्दा की माउजर, राइफल, कारतूस और फौज की वर्दी में दिखने वाले अरविंद सिंह की SLR भी इस म्यूजियम में रखी जाएगी. डाकू म्यूजियम भिंड की पुलिस लाइन में बनाया जा रहा है. इसमें डाकुओं और पुलिस की बड़ी मुठभेड़ों को फिल्म के जरिए दिखाया जाएगा. इसके लिए बकायदा सीन रिक्रिएट किया जा रहा है. शूटिंग चल रही है. 

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म्यूजियम में होगी हर दशक की एक गैलरी
इस म्यूजिसम में पान सिंह तोमर और मलखान सिंह समेत 80 डाकुओं की कहानियां प्रदर्शित की जाएंगी. बताया जाएगा कि कैसे पान सिंह तोमर जो एक आम आदमी था, सेना में जवान बना, एक शानदार एथलीट बना फिर बागी हुआ और कुख्यात बन गया. इसके अलावा चंबल के बीहड़ों में पिछले 30 साल में शहीद हुए 40 पुलिस जवानों और अफसरों की बहादुरी के किस्से भी म्यूजियम में प्रदर्शित किए जाएंगे. म्यूजियम में 1960 से लेकर 2011 तक हर दशक की एक गैलरी बनाई जाएगी. 

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डाकू म्यूजियम बनाने में खर्च होंगे 30 लाख
हर दशक की गैलरी में उस दौर के डकैतों, उनकी बड़ी वारदातों, पुलिस से मुठभेड़ की झलकियां, फोटो व स्टोरी टेलिंग के जरिए दिखाई और सुनाई जाएंगी. भिंड पुलिस के मुताबिक डाकू म्यूजियम को तैयार करने में 30 लाख रुपए तक का खर्च आएगा. पुलिस के जवान इसके लिए डोनेशन दे रहे हैं. भिंड के पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार सिंह ने कहा कि बागियों के बारे में सभी जानना चाहते हैं. इसलिए डाकू म्यूजियम बनाने का फैसला किया गया है, जो भिंड में पर्यटकों को आकर्षिक करने का एक बड़ा जरिया बनेगा.

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