पिता के पास बेटी को खाना खिलाने के लिए नहीं थे पैसे, किया कुछ ऐसा कि अब कुछ घंटे में कमा रहे हजारों
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पिता के पास बेटी को खाना खिलाने के लिए नहीं थे पैसे, किया कुछ ऐसा कि अब कुछ घंटे में कमा रहे हजारों

कोरोना के बाद लॉकडाउन ने प्रकाश के परिवार पर कमाई पर सीधा चोट किया. परिवार में ऐसा वक्त भी आया जब इनकी दो साल की बेटी के लिए खाने की चीजें नहीं थीं.

प्रकाश अपने रिक्शे के साथ

रजनी ठाकुर/ रायपुर:  कोरोना और लॉकडाउन ने कई लोगों का रोज़गार छीन लिया, रायपुर के प्रकाश पात्रे भी उनमें से एक है. पात्रे ई-रिक्शा चलाया करते थे, लोगों को एक चौराहे से दूसरे तक पहुंचाकर मिलने वाले मेहनताने से परिवार पाल रहे थे. लेकिन लॉकडाउन ने रोज़गार का ये ज़रिया छीन लिया, फिर प्रकाश ने ई-रिक्शा पर ही जनरल स्टोर बनाने की सोची. जिसके बाद छोटी ई-रिक्शा ही जनरल स्टोर में बदल गई.

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बेटी तक को खिलाने के पैसे नहीं थे
कोरोना के बाद लॉकडाउन ने प्रकाश के परिवार पर कमाई पर सीधा चोट किया. परिवार में ऐसा वक्त भी आया जब इनकी दो साल की बेटी के लिए खाने की चीजें नहीं थीं, मकान का किराया और ई-रिक्शा की किश्त देने के लिए रुपए नहीं थे. जब सब कुछ शहर में बंद था, अपनी पत्नी और बेटी के साथ बेबसी में जीने को मजबूर थे.

सोच ने बदली दिशा
इतनी मुसिबतों के बाद प्रकाश ने अपने ई-रिक्शा को जनरल स्टोर में बदलने की सोची. अब फिर इस मिनी डिपार्टमेंटल स्टोर में टूथ ब्रश, किचन के छोटे औजार जैसी दर्जनों चीजें मिलती हैं. 5 रुपए से लेकर 100 रुपए तक जरूरत का सामान इस ई-रिक्शा में लोगों को मिल जाता है. प्रकाश कहते हैं मज़बूरी में ये जुगाड़ करना पड़ा, लेकिन रायपुर के लोगों के लिए ये चलता फिरता डिपार्टमेंटल स्टोर अचरज का विषय जरूर है. 

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अब होती है अच्छी कमाई
प्रकाश ने बताया कि पहले दिनभर में 700 से 800 रुपए की कमाई होती थी. लेकिन अब सुबह करीब 7 बजे से घर से अपनी चलती फिरती किराने की दुकान लेकर निकलते हैं, दोपहर तक 1 हजार से 12 सौ रुपए तक कमा रहे हैं.

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