Gwalior News: कांग्रेस आलाकमान के नेताओं ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने का निमंत्रण अस्वीकार कर दिया है. जिसके बाद पार्टी के अंदर भी अंतर्कलह दिख रही है. कांग्रेस के नेता ने 48 साल बाद पार्टी को छोड़ दिया है.
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Jyotiraditya Scindia: अयोध्या में 22 जनवरी को होने जा रहे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम का निमंत्रण कांग्रेस नेताओं ने अस्वीकार कर दिया है. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी को निमंत्रण भेजा गया था. लेकिन उनकी तरफ से निमंत्रण अस्वीकार कर दिया गया, जिसके बाद से ही पार्टी में कही न कही अंतर्कलह दिखी है. ग्वालियर में कांग्रेस के सीनियर नेता ने 48 साल बाद पार्टी का दामन छोड़ दिया. उनका कहना है कि जो राम का नहीं वो उनका भी नहीं. जिसके बाद यह मामला चर्चा में बना हुआ है.
पूर्व पार्षद आनंद शर्मा का इस्तीफा
दरअसल, ग्वालियर में कांग्रेस के पूर्व पार्षद आनंद शर्मा ने पार्टी छोड़ दी. ग्वालियर शहर में कांग्रेस के 48 साल पुराने नेता आनंद शर्मा ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने कहा है कि वह पिछले कुछ सालों में बहुत कुछ नजर अंदाज करते आ रहे थे, लेकिन अब पार्टी ने मेरे आराध्य प्रभु श्रीराम का ही विरोध कर दिया तो ऐसी जगह मेरे रहने का क्या मतलब है. इसलिए मैंने 48 साल बाद कांग्रेस पार्टी छोड़ने का फैसला कर लिया था.
निमंत्रण अस्वीकार करने पर छोड़ी पार्टी
आनंद शर्मा ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा ग्वालियर कांग्रेस के जिला अध्यक्ष देवेंद्र शर्मा को सौंप दिया है. उनका कहना है 'कांग्रेस पार्टी की लंबे समय तक सेवा की है. इंदिरा गांधी के समय से कांग्रेस से जुड़े थे, राजीव गांधी के आदर्शों पर लगातार चलकर काम किया. इस दौरान कई ऐसे मौके भी आए जब मुझे अपमानित भी महूसस करना पड़ा. लेकिन मैं पार्टी के साथ खड़ा रहा. लेकिन अब जब पार्टी ने मेरे आराध्य प्रभु श्री राम का ही अपमान करने का मन बना लिया है, निमंत्रण अस्वीकार करके करोड़ों सनातनियों को अपमानित किया है तो मुझे पार्टी छोड़ने का फैसला करना पड़ा. इसलिए मैंने कांग्रेस पार्टी छोड़ दी है.'
सिंधिया ने ज्वाइन कराई बीजेपी
खास बात यह है कि कांग्रेस नेता आनंद शर्मा पार्टी छोड़ने के बाद सीधे दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया से मुलाकात की थी. जिसके बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने उन्हें बीजेपी में शामिल करवाया है. शर्मा को ग्वालियर में सिंधिया का करीबी भी माना जाता है. लेकिन जिस तरह से उन्होंने राम के नाम पर पार्टी छोड़ी हैं, उसकी चर्चा प्रदेश के सियासी गलियारों में हो रही है. ़
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