इंदौर में कोरोना वैक्सीन के लिए नहीं है 'कोल्ड स्टोरेज', ट्रायल से पहले लगा ब्रेक
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इंदौर में कोरोना वैक्सीन के लिए नहीं है 'कोल्ड स्टोरेज', ट्रायल से पहले लगा ब्रेक

मध्य प्रदेश के एजुकेशन हब कहे जाने वाले इंदौर में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की तैयारियां चल रही है. लेकिन शहर में वैक्सीन आने से पहले ही कोल्ड स्टोरेज की समस्या आ गई.

सांकेतिक तस्वीर

इंदौर/ वैभव शर्माः मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कोरोना वैक्सीन के ट्रायल प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही इंदौर ने भी वैक्सीन के ट्रायल की तैयारी करना शुरू कर दिया था. राजधानी में ICMR (Indian Council of Medical Research) की मदद से बनी कोवैक्सीन का ट्रायल 27 नवंबर को शुरू किया जा चुका है. लेकिन CMHO के मुताबिक शहर में जो कोल्ड स्टोरेज हैं वो वैक्सीन रखने से लिए अनुकूल नहीं हैं.  

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स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कोल्ड स्टोरेज के बिना वैक्सीन नहीं 
आईसीएमआर (ICMR) के अनुसार कोरोना वैक्सीन को एक निश्चित तापमान (fixed temperature) में रखा जाना अनिवार्य है. उसी के लिए कोल्ड स्टोरेज की जरूरत होती है, जिसमें एक निश्चित तापमान को सेट कर वैक्सीन रख सकते हैं. लेकिन इंदौर में इस वक्त वैक्सीन के लिए कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नहीं है. उनके मुताबिक कोल्ड स्टोरेज के बिना शहर में वैक्सीन नहीं आ सकती है. 

सांसद लिख चुके हैं केंद्रीय मंत्री को चिट्ठी 
इंदौर में कोल्ड स्टोरेज की समस्या को देखते हुए सांसद शंकर लालवानी ने भी केंद्रीय उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी को पत्र लिखा है. सांसद ने मांग की है की इंदौर एयरपोर्ट के कार्गो टर्मिनल पर कोल्ड स्टोरेज की आधुनिक व्यवस्था की जाए. बता दें कि वर्तमान में जो कोल्ड स्टोरेज है उसमें माइनस 15 डिग्री सेल्सियस तापमान सहने की क्षमता नहीं है. 

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29 हजार फ्रंटलाइन वर्कर्स को सबसे पहले 
चीफ मेडिकल ऑफिसर (CMHO) प्रवीण जड़िया ने कहा, ''इंदौर में करीब 29 हजार फ्रंटलाइन वर्कर्स हैं, जो सीधे तौर पर कोरोना की व्यवस्था में लगे हुए हैं. लिहाजा कोराना वैक्सीन का ट्रायल सबसे पहले इन्हीं पर किया जाएगा.'' इंदौर में टीकाकरण के लिए सरकारी और प्राइवेट अस्पताल में करीब 2000 स्वास्थ्यकर्मी हैं, जो शहर वासियों को कोरोना वैक्सीन का टीका लगाने वाले हैं. 

भोपाल में वॉलेंटियर्स की हो रही मॉनिटरिंग 
भोपाल में भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का ट्रायल 7 लोगों पर शुरू किया गया है. पहले डोज के बाद उन्हें 28 दिन तक मॉनिटर किया जाएगा फिर वैक्सीन का दूसरा डोज दिया जाएगा. 6 महीने तक इन वॉलेंटियर्स की निगरानी की जाएगी. सबकुछ सही रहने की स्थिति में वैक्सीन का डोज दूसरे लोगों को भी दिया जा सकेगा. 

बता दें कि आईसीएमआर (ICMR) के सहयोग से भारत बायोटेक पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन का ट्रायल कर रहा है.  

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