MP की इस सीट पर गुरु-शिष्य में चुनावी मुकाबला, जानिए स्कूल की क्लास से सियासी मैदान तक की कहानी
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MP की इस सीट पर गुरु-शिष्य में चुनावी मुकाबला, जानिए स्कूल की क्लास से सियासी मैदान तक की कहानी

Bagli Assembly Election Result: मध्य प्रदेश में इस बार एक विधानसभा सीट पर गुरु और शिष्य के बीच भी चुनावी मुकाबला हो रहा है, दोनों बीजेपी-कांग्रेस से आमने-सामने हैं. 

गुरु-शिष्य में चुनावी मुकाबला

Bagli Assembly Election Result: मध्य प्रदेश में इस बार विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प हो रहा है. क्योंकि कई सीटों पर एक ही परिवार के प्रत्याशी हैं तो कई सीटों पर कभी एक दूसरे के करीबी आमने-सामने हैं. लेकिन मालवा अंचल की एक विधानसभा सीट कई मायनों में बेहद खास हैं, क्योंकि इस सीट पर गुरु और शिष्य के बीच चुनावी मुकाबला होने जा रहा है. गुरु बीजेपी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं तो कांग्रेस के टिकट पर शिष्य चुनाव लड़ रहा है. खास बात यह है कि जिस सीट पर यह चुनावी मुकाबला हो रहा है वह मध्य प्रदेश की राजनीति में खास सीट मानी जाती रही है. 

बागली में गुरु-शिष्य आमने-सामने 

दरअसल, देवास जिले की बागली विधानसभा सीट पर गुरु-शिष्य चुनावी मुकाबले में आमने-सामने हैं. बीजेपी ने यहां सिटिंग विधायक पहाड़ सिंह कन्नौजे का टिकट काटकर सरस्वती शिशु मंदिर के प्राचार्य रहे मुरली भंवरा को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस ने बागली में गोपाल भोसले को प्रत्याशी बनाया है, जो मुरली भंवरा के शिष्य रहे हैं. ऐसे में गुरु और शिष्य की यह चुनावी लड़ाई देवास ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा में आ गई है. 

भंवरा ने भोसले को पढ़ाया 

बता दें कि मुरली भंवरा ने कांग्रेस के गोपाल भोसले को सरस्वती शिशु मंदिर में 6वीं क्लास तक पढ़ाया है. पुराने दिनों में शायद ही दोनों को इस बात का अंदाजा नहीं होगा कि कभी उनके बीच चुनावी मुकाबला होगा. लेकिन स्कूल की क्लास से अब गुरु शिष्य चुनावी मैदान में आ गए हैं. मुरली भंवरा संघ से जुड़े रहे हैं, ऐसे में बीजेपी ने उन्हें यहां से उम्मीदवार बनाया है, जबकि गोपाल भोसले कांग्रेस में सक्रियता से राजनीति करते रहे हैं, ऐसे में पार्टी ने इस बार उन्हें मौका दिया है. 

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बागली विधानसभा सीट हैं खास 

बागली विधानसभा सीट मध्य प्रदेश की राजनीति में खास मानी जाती रही है. सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री कैलाश जोशी इस सीट से आठ बार विधायक रह चुके हैं, जबकि उनके बेटे और पूर्व मंत्री दीपक जोशी भी यहां से विधायक रहे चुके हैं. हालांकि 2008 के परिसीमन के बाद यह सीट अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित हो गई. लेकिन इस सीट पर बीजेपी की जीत का सिलसिला अभी भी जारी है. 

कांग्रेस को 1998 में केवल एक बार बागली विधानसभा सीट पर जीत मिली है. 1998 में कांग्रेस के प्रत्याशी श्याम होलनी यहां से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. ऐसे में कांग्रेस को पिछले 20 सालों से इस सीट पर जीत का इंतजार है. ऐसे में गुरु शिष्य के आमने-सामने आने से यहां मुकाबला दिलचस्प हो गया है. 

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