शतरंज के खेल में राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता खिलाड़ी चाय बेच कर अपना जीवन यापन करने पर मजबूर है.
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धार: देश मे बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है. क्या आम और क्या खास सभी इस बेरोजगारी से परेशान है. लोग चाय-पकौड़े बेचकर भी जीवन यापन कर रोजमर्रा की जरूरतों की पूर्ति कर रहें है. ऐसा ही नजारा धार जिले में देखने मिला. जहां आर्थिक तंगी के चलते शतरंज के खेल में राष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता खिलाड़ी चाय बेच कर अपना जीवन यापन करने पर मजबूर है. दरअसल, धार के पीजी कॉलेज के सामने छोटी सी गुमटी में चाय बना रहे इस नौजवान युवक का नाम कुलदीप चौहान है. कुलदीप इसी कॉलेज में फाइनल ईयर का स्टूडेंट है. वह शतरंज का बहुत अच्छा खिलाड़ी है. लेकिन आज वह चाय बेचने को मजबूर है.
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शतरंज में कई अवार्ड जीते
कुलदीप मध्य प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में शतरंज की प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अवार्ड जीत चुका है. 17 साल की उम्र से ही कुलदीप शतरंज खेल रहा है. उसने पंजाब, तमिलनाडु, राजस्थान, महाराष्ट्र सहित विभिन्न हिस्सों में अपना लोहा मनवाया. राजस्थान और महाराष्ट्र में तो उसे वेस्ट जोन में तीसरा स्थान भी हासिल किया. वह 2016 में पंजाब में हुई ओपन चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल भी हासिल कर चुका है, साथ ही पांच बार स्टेट और 5 बार राष्ट्रीय खेल भी खेल चुका हैं. बावजूद इसके उसे आज कोई मदद नहीं मिल रही. यही वजह है कि वह चाय बेचने को मजबूर है.
आर्थिक स्थिति से परेशान
कुलदीप के पिता विजय सिंह बताते हैं कि उनके बेटे में देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा है. वह लगातार मेहनत करता है. परंतु आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण उसे चाय बेचना पड़ रही है. उसने गले में मेडल पहन कर चूल्हे के पास अपने सर्टिफिकेट और डिग्रियां की फाइल भी रखी है, ताकि कोई उसका दर्द समझ सकें. कुलदीप ने स्पोर्ट्स कोटे में नौकरी के लिए भी कई जगह अप्लाई किया लेकिन फिजिकल गेम्स वालों को प्राथमिकता के कारण कुलदीप को नौकरी नहीं मिल पाई.
खेल एवं युवा कल्याण विभाग में लगाई गुहार
इस सबके बीच कुलदीप का कहना हैं कि वह कॉलेज की तरफ से तो खेल पा रहा है परंतु ओपन टूर्नामेंट में नहीं खेल पा रहा है. उसे शासन प्रशासन की तरफ से ओपन टूर्नामेंट में खेलने के लिए मदद नहीं मिल पा रही है. उन्होंने इसके लिए खेल एवं युवा कल्याण विभाग से मदद की गुहार भी लगाई है. कुलदीप का कहना हैं कि मुझे आगे बढ़ने का मौका नहीं मिल रहा है. घर की स्थिति अच्छी नहीं है इसलिए काम कर रहा हूं. सारा जीवन मैं खेल में नहीं निकाल सकता हूं.
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