ऑपरेशन के वक्त छूट गई थी ड्रेसिंग पट्टी, गठान के शक में कराते रहे इलाज, खर्च हो गए 12 लाख
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ऑपरेशन के वक्त छूट गई थी ड्रेसिंग पट्टी, गठान के शक में कराते रहे इलाज, खर्च हो गए 12 लाख

उज्जैन की रहने वाली महिला ने डेढ़ साल पहले पेट में गांठ का ऑपरेशन करवाया था. ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर महिला के पेट में पट्टी भूल गया.

चेतना के पेट में 17 महीनों तक ड्रेसिंग पट्टी थी

रतलामः गए थे नमाज पढ़ने, उल्टा रोजे गले पड़ गए! ऐसा ही कुछ हाल एक महिला का हो गया, जिसका इलाज रतलाम के रहने वाले डॉक्टर ने किया था. उज्जैन की इस महिला को 2019 में पेट में गांठ के बारे में पता चला. वह अपने पिता के साथ डॉक्टर के पास इलाज कराने पहुंची. उसका इलाज तो सफल रहा लेकिन ऑपरेशन करने वाला डॉक्टर महिला के पेट में ड्रेसिंग करने वाली पट्टी भूल गया.

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बाद में महिला के पेट में दर्द उठा तो डॉक्टर ने स्कैन कराने की सलाह दी. उसमें पता चला कि महिला के पेट में पट्टी छूट गई है. महिला इस बात की शिकायत कराने पुलिस थाने पहुंची. लेकिन पुलिस वालों ने शिकायत लिखने से मना कर दिया. दो पुलिस स्टेशन से महिला को यह कहकर लौटा दिया गया कि मामला उनके थाना क्षेत्र में नहीं आता है.

जानिए क्या है पूरा मामला?
उज्जैन निवासी चेतना को जुलाई 2019 में पेट दर्द की समस्या हुई. महिला ने यह बात अपने पिता तोलाराम को बताई, जो रतलाम जिले के सिखेड़ी में रहते हैं. वह बेटी को इलाज कराने के लिए रतलाम जिला अस्पताल लाए. यहां डॉ. बीएल तापड़िया ने महिला का इलाज किया.

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डॉ तापड़िया से इलाज के 1 महीने बाद ही महिला के पेट में फिर से तेज दर्द उठा और सूजन भी आने लगी. उसने ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर से इस बारे में बात की. उन्होंने कहा कि कोई बड़ी दिक्कत नहीं है, ऑपरेशन के बाद अक्सर ऐसा होता है.

लॉकडाउन में बढ़ा दर्द तो गए बड़ौदा
2020 की शुरुआत में महिला का दर्द और भी ज्यादा बढ़ गया. उसके गरीब पिता ने पहले इंदौर में इलाज कराया, जिसमें काफी खर्च आया. लेकिन दर्द तब भी जारी रहा, महिला को अब खाना खाने में परेशानी होने लगी.

बड़ौदा में दोबारा कराना पड़ा ऑपरेशन, खर्च हुए 12 लाख
पिता तोलाराम 27 दिसंबर 2020 को अपनी बेटी को लेकर बड़ौदा के धीरजशाह हॉस्पिटल पहुंचे.
यहां इलाज के दौरान पता चला कि महिला के पेट में गांठ तो समाप्त हो चुकी है, लेकिन पट्टी छूट गई है, जिस कारण उसे बार.बार समस्या हो रही है. ऑपरेशन कर पट्टी को निकाला गया, तब जाकर महिला को राहत मिली.

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पिता तोलाराम ने बताया कि बेटी के इलाज के लिए उन्हें अपनी जमीन गिरवी रखनी पड़ी. लोगों से रुपये उधार लिए, तब जाकर उसका इलाज हो पाया. इस दौरान 17 महीने में उन्होंने 12 लाख रुपये खर्च कर दिए. अब इस गरीब किसान के ऊपर लाखों रुपये का कर्ज हो गया है.

डॉक्टर ने अपनी गलती से झाड़ा पल्ला
बड़ौदा से इलाज कराने के बाद पिता और बेटी रतलाम में डॉ तापड़िया के पास पहुंचे. उन्होंने डॉक्टर से लापरवाही की शिकायत करते हुए न्याय की गुहार लगाई, जिस पर डॉ. तापड़िया ने कहा कि उन्होंने डेढ़ साल पहले इलाज किया था. अब इतने दिनों बाद यह लोग आरोप लगा रहे हैं. इतने दिनों में क्या हुआ उसकी जानकारी उन्हें नहीं है.

पुलिस नहीं लिख रही शिकायत
पुलिस इस मामले में लापरवाही दिखा रही है. मरीज ने अपने पिता के साथ स्टेशन रोड थाना में लिखित शिकायत दी. लेकिन पुलिस ने कहा कि डॉ बीएल तापड़िया का घर उनके थाना क्षेत्र में नहीं आता है. फिर दोनों थाना माणकचौक  गए लेकिन यहां उन्हें कहा गया कि ऑपरेशन उनके थाना क्षेत्र में नहीं हुआ है.

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