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जबलपुर: मध्य प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने के मामले में एक और मोड़ आया है, क्योंकि राज्य के जबलपुर हाई कोर्ट (Jabalpur High Court) ने राज्य सेवा आयोग की परीक्षा में 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर अंतरिम आदेश जारी करते हुए रोक लगा दी है. अब चयन सूची फिर से जारी होगी.
मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और न्यायमूर्ति मनिंदर सिंह भट्टी की युगलपीठ के समक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 27 प्रतिषत आरक्षण देने के मामले की सुनवाई बुधवार को हुई. यह याचिका बैतूल निवासी निहारिका त्रिपाठी न लगाई थी और अधिवक्ता आदित्य संघी ने पक्ष रखा.
वकील आदित्य संघी ने युगल पीठ के सामने अपना पक्ष रखते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के पुराने निर्देशों अैर फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि, किसी भी सूरत में आरक्षण का कुल प्रतिशत 50 से अधिक नहीं हो सकता. इसके बावजूद एमपी पीएससी द्वारा 31 दिसंबर, 2021 को पीएससी मुख्य परीक्षा-2019 का रिजल्ट घोषित करते हुए ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया. इस वजह से ओबीसी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति व ईडब्ल्यूएस का आरक्षण मिलाकर 50 फीसदी के पार पहुंच गया है. ओबीसी को सिर्फ 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना चाहिए.
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युगल पीठ ने ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने पर रोक का आंतरिम आदेश जारी किया दी है और अब ओबीसी को सिर्फ 14 प्रतिशत ही आरक्षण मिलेगा. साथ ही युगल पीठ ने राज्य सरकार, पीएससी और अन्य को नेाटिस जारी कर जवाब मांगा है.
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता संघी ने बताया कि उच्च न्यायालय के इस अंतरिम आदेश के बाद अब पीएससी को नए सिरे से सूची जारी करनी होगी. इसके तहत ओबीसी उम्मीदवारों के लिए 27 के बदले 14 प्रतिशत आरक्षण निर्धारित करना होगा.
(इनपुट- न्यूज एजेंसी आईएएनएस)
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