Mahakal Bhasma Aarti: अब उज्जैन के महाकाल मंदिर जाने वाले किसी भी श्रद्धालु को भस्म आरती में शामिल न हो पाने की कसक नहीं रहेगी. इसके लिए रेलवे खास इंतजाम करने जा रही है.
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Mahakal Bhasma Aarti by Indian Railways: उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर के दर्शन के लिए रोजाना देश-दुनिया से हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं. लेकिन दर्शनों के बावजूद काफी श्रद्धालुओं को इस बात की कसक रहती है कि वे रोजाना सुबह होने वाली भस्म आरती में शामिल नहीं हो पाए. अब भारतीय रेलवे उनकी इस कसक को दूर करने का इंतजाम कर रहा है. इस इंतजाम के बाद भक्तों को भस्म आरती का सीधा अनुभव मिलेगा.
स्टेशनों पर लाइव दिखेगी भस्म आरती
पश्चिम रेलवे के रतलाम रेल मंडल के जनसंपर्क निरीक्षक मुकेश कुमार ने इस व्यवस्था के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि रेलवे की ओर से उज्जैन और इंदौर के स्टेशन पर वीआर तकनीक से सुबह होने वाली भस्म आरती दिखाने का प्रबंध किया जा रहा है. इस इंतजाम के बाद जो भक्त सुबह भस्म आरती में शामिल नहीं पाएंगे, उन्हें रेलवे स्टेशन पर ही सीधे महाकाल मंदिर की भस्म आरती में शामिल होने का अनुभव मिलेगा.
वीआर तकनीक से करेंगे महाकाल के दर्शन
उन्होंने बताया कि वर्चुअल रियलिटी अर्थात वीआर तकनीक से भस्म आरती के दर्शन करवाने का जिम्मा भोपाल की एक निजी कंपनी को सौंपा गया है. इसके लिए कंपनी को रेलवे की ओर से उज्जैन और इंदौर स्टेशन पर 200 वर्ग फुट जगह दी जा रही है. कंपनी अपने खर्च से उपकरण खरीदकर वहां लगाएगी. इसके साथ ही रेलवे को प्रतिवर्ष करीब 10 लाख रूपए अदा भी करेगी.
श्रद्धालुओं को चुकाना होगा निर्धारित शुल्क
कुमार ने कहा कि इस तकनीक का उपयोग महाकाल की भस्म आरती के दर्शन के अलावा बाबा महाकाल के लाइव दर्शन और अन्य ऐतिहासिक स्थलों को दिखाने में भी किया जाएगा. जो श्रद्धालु यह सुविधा हासिल करना चाहेंगे, उन्हें कंपनी की ओर से तय निर्धारित शुल्क अदा करना होगा. अधिकारी ने बताया कि पहले चरण में करीब दो वर्ष के लिए कंपनी को ये काम सौंपा जा रहा है.
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है महाकालेश्वर
बताते चलें कि देश में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों में से उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भी एक है. इस मंदिर के दर्शनों के लिए देशभर से लाखों श्रद्धालु आते हैं. पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से महाकाल लोक गलियारे के पहले चरण के उदघाटन के बाद से तादाद और बढ़ गई है. उनमें से बहुत कम श्रद्धालुओं को ही सुबह होने वाली भस्म आरती में शामिल होने का मौका मिल पाता है. श्रद्धालु इस आरती को सीधे देख भी नहीं पाते है.
(एजेंसी भाषा)