Maharashtra 12th Paper Leak: महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में 12 वीं का परीक्षा लीक हो गया. सुबह 11 बजे से मैथ्स का एग्जाम शुरू होने वाला था. लेकिन यह पेपर 10.30 बजे से ही वाट्सअप ग्रुप में घूमने लगा था. यानी नकल माफिया को रोकने में देश का सिस्टम एक बार फिर नाकाम रहा.
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Buldhana Maths Paper Leak: क्या हमारे देश का सिस्टम इतना नकारा हो चुका है, इतना ध्वस्त हो चुका है कि वो 12वीं की एक परीक्षा भी ठीक से नहीं करवा सकता. जी हां! आज देश में कोई भी परीक्षा हो चाहे वो बोर्ड की परीक्षाएं हों या फिर प्रतियोगी परीक्षाएं. एक बात तय होती है और वो है पेपर का लीक होना. पेपर शुरू होने से पहले ही सोशल मीडिया पर लीक पेपर की कॉपियां आ जाती हैं. ये हालात किसी एक या दो प्रदेशों की नहीं है. देश के कमोबेश कई राज्यों का यही हाल है. अगर आप गूगल पर पेपर लीक लिख कर सर्च करेंगे तो आपको इससे जुड़ी इतनी ख़बरें मिल जाएंगी कि उन्हे गिन मुश्किल हो जाएगा.
सिस्टम का नकारापन
देश का शिक्षा तंत्र महाराष्ट्र के बुलढाना में एक बार फिर फेल हो गया है. जी हां बुलढाना में 12 वीं का गणित यानी मैथ्स का पर्चा परीक्षा से पहले लीक हो गया. यहां बोर्ड की परीक्षा चल रही है और शुक्रवार को 11 बजे से गणित का पेपर होना था. लेकिन इससे आधा घंटा पहले यानी करीब साढ़े 10 बजे पेपर की तस्वीर वायरल हो गई. जानकारी के अनुसार इस पेपर के जो पेज़ लीक हुए हैं. उनका एक बड़ा हिस्सा उस पेपर से हूबहू मिल रहा है जो छात्रों को बांटा गया था.
प्रशासन ने मानी नाकामी
मज़े की बात ये है कि प्रशासन दबी ज़ुबान में पेपर लीक होने की बात भी मान रहा है और जांच कराने की बात भी कर रहा है. लेकिन सरकार की नज़र में कोई पेपर लीक हुआ ही नहीं है. इसीलिए अभी तक इस परीक्षा को रद्द नहीं किया गया है. कम से कम महाराष्ट्र शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष शरद गोसावी की पहली प्रतिक्रिया से तो यही लग रहा है.
ये कोई पहला मामला नहीं
ये पेपर किसने लीक किया. किसने इसकी तस्वीरें वायरल कीं. क्या ये किसी नक़ल माफ़िया का काम है या कुछ और अब इन तमाम मुद्दों पर जांच होगी. लेकिन पेपर लीक या गड़बड़ी का कोई नया मामला नहीं है. 21 फरवरी को बोर्ड परीक्षा के पहले ही दिन मराठावाड़ा के परभणी में 12वीं कक्षा का अंग्रेजी विषय का पेपर लीक हो गया था. जिसके बाद 6 अध्यापकों के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की गई थी. यानी सिस्टम परीक्षा को लीकप्रूफ़ बनाने का दावा तो करता है.लेकिन उसके इस दावे पर न तो छात्रों को यक़ीन है और न ही सिस्टम को, क्योंकि ज़्यादातर मामलों में पेपर लीक करने वाले ख़ुद इसी सिस्टम के अंदर स्लीपर सेल की तरह मौजूद होते हैं.
छात्रों में बैठा ये डर कहीं ऐसा तो नहीं हो जाएगा...
नकल माफिया की कठपुतली बन चुके ये स्लीपर सेल जानते हैं कि देश में पेपर लीक के मामले पर क़ानूनी कार्रवाई से ज़्यादा सियासत होती है. और बुलढाना के पेपर लीक मामले में भी यही हुआ. हालांकि सियासत को अलग रख कर देखें तो एक सच्चाई ये भी है कि ये पेपर लीक परीक्षाओं की हक़ीकत बन चुके हैं. सरकारें आती हैं और चली जाती हैं लेकिन नकल माफ़िया स्थाई है, उसकी सत्ता कभी नहीं हिलती है. इसीलिए देश के करोड़ों छात्र जब परीक्षा देने जाते हैं तो उनके मन में परीक्षा से ज़्यादा डर इस बात का रहता है कि कहीं पेपर लीक तो नहीं हो जाएगा.
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