महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2019) के मद्देनजर सत्तारूढ़ बीजेपी और शिवसेना के बीच सीटों को लेकर अभी सहमति नहीं बन पाई है.
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नई दिल्ली: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (Maharashtra Assembly Elections 2019) के मद्देनजर सत्तारूढ़ बीजेपी और शिवसेना के बीच सीटों को लेकर अभी सहमति नहीं बन पाई है. मीडिया में भी इसको लेकर कंफ्यूजन है. कभी रिपोर्ट आती है कि 288 सदस्यीय विधानसभा में दोनों दल फिफ्टी-फिफ्टी के फॉर्मूले पर सहमत हो गए हैं. कभी ये खबरें आती हैं कि बीजेपी ने शिवसेना को 126 से ज्यादा सीटें देने से इनकार कर दिया है. इस तरह की भी सूचना आई कि बीजेपी 144 और शिवसेना 126 सीटों पर लड़ने के लिए तैयार हो गए हैं और डिप्टी सीएम का पद शिवसेना के खाते में जाएगा. इस तरह की तमाम खबरों के बीच नामांकन की अंतिम तारीख निकट आने के बावजूद फिलवक्त दोनों दलों के बीच सीटों पर सहमति नहीं बन सकी है.
वैसे भी शिवसेना नेता संजय राउत पहले ही कह चुके हैं कि महाराष्ट्र में सीटों का बंटवारा भारत-पाकिस्तान विभाजन से कम नहीं है. ऐसे में ये कयास भी लगाए जा रहे हैं कि यदि अंतिम समय में दोनों दलों के बीच गठबंधन के फॉर्मूले पर सहमति नहीं बन पाई तो क्या होगा?
दरअसल बीजेपी ने इसके लिए पहले से तैयारी कर ली है. इस कड़ी में उसने सभी 288 विधानसभा क्षेत्रों में अपनी तैयारियों की समीक्षा की है.
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सूत्रों के मुताबिक गुरुवार को अमित शाह और जेपी नड्डा के साथ महाराष्ट्र बीजेपी के दिग्गज नेताओं ने दिल्ली में चुनाव तैयारियों को लेकर बैठक की. इसमें मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस और पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल समेत महाराष्ट्र भाजपा के वरिष्ठ नेता बैठक में मौजूद थे.
सूत्रों के मुताबिक, ‘‘बैठक में 21 अक्टूबर के चुनाव की तैयारियों और सभी 288 विधानसभा सीटों की समीक्षा की गई.’’
'कभी हां-कभी ना'
सूत्रों के मुताबिक अभी तक दोनों दलों में बात नहीं बन पाने की सबसे बड़ी वजह ये है कि बीजेपी ने शिवसेना को अधिकतम 120 सीटें देने का प्रस्ताव रखा है. दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना की मांग है कि सीटों का बराबर बंटवारा किया जाए और दोनों दल ढाई-ढाई साल तक मुख्यमंत्री पद संभालें.