Manipur Violence: मणिपुर में क्यों मचा बवाल? क्या है नागा-कुकी और मैतेई विवाद, यहां समझिए पूरा मामला
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Manipur Violence: मणिपुर में क्यों मचा बवाल? क्या है नागा-कुकी और मैतेई विवाद, यहां समझिए पूरा मामला

Manipur Violence Inside Story: मणिपुर (Manipur) में हिंसा के बाद हालात बिगड़ गए हैं. हजारों लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया है. आइए जानते हैं कि मणिपुर में अभी विवाद क्यों हो रहा है?

Manipur Violence: मणिपुर में क्यों मचा बवाल? क्या है नागा-कुकी और मैतेई विवाद, यहां समझिए पूरा मामला

Violence In Manipur: मणिपुर (Manipur) में बवाल मचा हुआ है. बीते बुधवार को आदिवासी एकता मार्च के वक्त मणिपुर में हिंसा हुई और इसकी चपेट में 8 जिले आ चुके हैं. गृह मंत्रालय की मणिपुर हिंसा पर पैनी नजर है. हालात को काबू में करने के लिए देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए हैं. सुरक्षाबल यहां फ्लैग मार्च कर रहे हैं और चप्पे-चप्पे पर नजर रखी जा रही है. हर कोई जानना चाहता है कि मणिपुर में आखिर हिंसा क्यों हो रही है? मणिपुर में रहने वाले नागा (Naga), कुकी (Kuki) और मैतेई (Meitei) समुदाय का विवाद क्या है? आदिवासी एकता मार्च क्यों निकाला गया था? मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग का नागा और कुकी क्यों विरोध कर रहे हैं? आइए ये पूरा मामला समझते हैं.

मणिपुर की डेमोग्राफिक स्थिति

मणिपुर का इलाका करीब 90 फीसदी पहाड़ी और 10 प्रतिशत घाटी का क्षेत्र है. प्रमुख रूप से मणिपुर में 3 समुदाय हैं- मैतेई, नागा और कुकी. कुकी और नागा आदिवासी समुदाय हैं. वहीं, मैतेई आदिवासी नहीं हैं. मैतेई समुदाय करीब 53 फीसदी है, वहीं नागा और कुकी मिलाकर 40 फीसदी हैं. इन तीनों के सिवा यहां मुस्लिम आबादी भी है. गैर-आदिवासी समुदाय मयांग भी यहां रहते हैं. ये लोग देश के अलग-अलग भाग से मणिपुर में आकर बसे हैं.

किस बात पर हुई हिंसा?

बता दें कि मणिपुर हिंसा के पीछे का कारण जमीन पर कब्जे की जंग को माना जा रहा है. गैर-आदिवासी समुदाय होने की वजह से 53 फीसदी मैतेई समुदाय राज्य के 10 प्रतिशत घाटी के क्षेत्र में सीमित है. वहीं, 90 फीसदी एरिया जो पहाड़ी है उसमें राज्य का 40 फीसदी नागा और कुकी समुदाय रहता है. इतना ही नहीं नागा और कुकी चाहें तो घाटी में जाकर बस सकते हैं लेकिन गैर-आदिवासी होने की वजह से मैतेई पहाड़ों पर नहीं रह सकते. नागा और कुकी आदिवासी हैं और इसलिए उनके लिए कुछ प्रावधान अलग से हैं. यही वजह है कि नागा और कुकी, मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग का विरोध करते हैं.

मणिपुर में अभी हिंसा क्यों हुई?

गौरतलब है कि हाल ही में मणिपुर हाईकोर्ट ने कहा कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग पर राज्य सरकार को विचार करना चाहिए. मैतेई समुदाय का मानना है कि यह सिर्फ शिक्षा या नौकरी में आरक्षण का मुद्दा नहीं है. ये पहचान और संस्कृति का मुद्दा है. दरअसल, हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जब मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने की मांग पर विचार करने की चर्चा जोर पकड़ने लगी तो इसके विरोध में आदिवासी एकता मार्च निकाला गया, जिसमें हिंसा भड़क गई.

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