अधिकांश गवाहों के मुताबिक गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे: रिपोर्ट
Advertisement

अधिकांश गवाहों के मुताबिक गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे: रिपोर्ट

पिछले साल जून में तत्‍कालीन सपा सरकार ने जस्टिस सहाय आयोग का गठन किया था.

सुभाष चंद्र बोस.(फाइल फोटो)

लखनऊ: फैजाबाद के गुमनामी बाबा की असल पहचान के लिए गठित जस्टिस (रिटायर्ड) विष्‍णु सहाय ने अपनी रिपोर्ट मंगलवार को राज्‍यपाल राम नाइक को सौंपी है. इस संबंध में टाइम्‍स ऑफ इंडिया से बातचीत करते हुए उन्‍होंने कहा कि उनके जांच कमीशन के समक्ष जो लोग उपस्थित हुए, उनमें से ज्‍यादातर लोगों ने कहा कि गुमनामी बाबा ही नेताजी सुभाष चंद्र बोस थे. 

  1. पिछली साल जून में जस्टिस सहाय आयोग का गठन हुआ
  2. इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशानुसार इसको गठित किया गया
  3. कमीशन ने मंगलवार को राज्‍यपाल को सौंपी रिपोर्ट

पिछले साल जून में तत्‍कालीन सपा सरकार ने जस्टिस सहाय आयोग का गठन किया था. इलाहाबाद हाई कोर्ट के निर्देशानुसार इसका गठन किया गया था. दरअसल इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. उसमें कहा गया था कि गुमनामी बाबा ही सुभाष चंद्र बोस हैं. उसके बाद हाई कोर्ट ने राज्‍य सरकार को इस संबंध में जांच आयोग का गठन करने का निर्देश दिया था. 

इस संबंध में टाइम्‍स ऑफ इंडिया से खास बातचीत में जस्टिस सहाय ने कहा, ''इस संबंध में कमीशन के समक्ष प्राथमिक रूप से प्रमाण लोगों की गवाही थी. ये गवाह कमीशन के समक्ष उपस्थित हुए या जिन्‍होंने हलफनामा दिया. इनमें से ज्‍यादातर गवाहों ने कहा कि गुमनामी बाबा ही नेताजी थे या वो हो सकते हैं. हालांकि कुछ गवाहों ने कहा कि वह नहीं थे.''
 
हालांकि जस्टिस सहाय ने रिपोर्ट के निष्‍कर्षों को साझा नहीं किया. कमीशन के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती के बारे में उन्‍होंने कहा कि गुमनामी बाबा की मृत्‍यु और उसके लंबे अंतराल के बाद गवाहों का बयान बड़ी चुनौती रहा. उन्‍होंने कहा कि गुमनामी बाबा की मृत्‍यु 1985 में हुई थी और गवाहों के बयान 2016-17 में दर्ज हुए. स्‍वाभाविक है कि तीन दशक से भी अधिक समय बीतने के कारण उनकी याददाश्‍त भी अब धुंधली हो गई हैं.

जस्टिस सहाय ने इस आशय की 347 पन्‍नों की रिपोर्ट सौंपी है. जस्टिस सहाय ने ही 2013 के मुजफ्फरनगर दंगों की भी जांच की थी.

Trending news