शहीद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की आखिरी चिट्ठी, 168 घंटों की जंग के बाद तोड़ा दम
Advertisement
trendingNow11048536

शहीद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की आखिरी चिट्ठी, 168 घंटों की जंग के बाद तोड़ा दम

जनरल बिपिन रावत के हेलिकॉप्टर क्रैश के दौरान एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का भी देहांत हो गया. वरुण सिंह एक फाइटर थे और उन्होंने मौत से 168 घंटों तक लड़ाई लड़ी. 

शहीद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की आखिरी चिट्ठी, 168 घंटों की जंग के बाद तोड़ा दम

नई दिल्ली: बुधवार को एक और दुखद खबर आई कि जनरल बिपिन रावत (CDS General Bipin Rawat) के हेलिकॉप्टर क्रैश के दौरान एकमात्र जीवित बचे ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह (Varun Singh) का भी देहांत हो गया. वरुण सिंह एक फाइटर थे और उन्होंने मौत से 168 घंटों तक लड़ाई लड़ी. 

  1. ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का निधन
  2. CDS रावत के प्लेन में सवार थे वरुण
  3. आखिरी चिट्ठी में दे गए लाइफ चेंजिंग मैसेज

आखिरी चिट्ठी में छुपी देशभक्ति की बातें

ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह अकेले ऐसे व्यक्ति थे, जो इस दुर्घटना के पीछे की सही वजह बता सकते थे? वो जानते थे कि उस दिन जनरल बिपिन रावत को Wellington ले जा रहा हेलिकॉप्टर क्यों क्रैश हुआ था. लेकिन अब ये उम्मीद भी टूट गई है. हालांकि, अपनी मृत्यु से पहले वो देश की युवा पीढ़ी के लिए एक खास संदेश छोड़ कर गए हैं. इसका जिक्र उन्होंने इसी साल 18 सितंबर को हरियाणा के आर्मी पब्लिक स्कूल को लिखी अपनी एक चिट्ठी में किया था. आइए जानते हैं कि उस चिट्ठी में क्या था.

'औसत होना कोई बुरी बात नहीं है'

इस चिट्ठी में वो लिखते हैं कि 'औसत होना कोई बुरा नहीं है, ये ठीक है. हर कोई स्कूल में अच्छा नहीं करेगा और ना ही हर कोई परीक्षा में 90% Marks ला सकता है. अगर कोई ऐसा करता है, तो ये उसकी उपलब्धि है और इसके लिए उसकी तारीफ होनी चाहिए. लेकिन अगर कोई ऐसा नहीं कर पाता है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि वो जीवन में कुछ नहीं कर पाएगा. आप भले ही स्कूल में औसत रहे हों, लेकिन इससे आपका भविष्य तय नहीं होगा. आप अपनी पसंद के क्षेत्र में आगे बढ़ो और ये कुछ भी हो सकता है. कला, साहित्य या फिर ग्राफिक डिजाइन. बस आप जिस भी क्षेत्र में काम करें, बस पूरी लगन से करें.' ये विचार ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने अपनी आखिरी चिट्ठी में लिखे थे.

एवरेज स्टूडेंट ही थे ग्रुप कैप्टन 

इसी चिट्ठी में वो आगे ये भी लिखते हैं कि, 'जीवन में कभी आशा नहीं छोड़नी चाहिए. कभी भी ऐसा मत सोचो कि तुम उस चीज में अच्छे नहीं हो सकते, जो तुम होना चाहते हो. ये आसान नहीं होगा और आपको खूब मेहनत करनी पड़ेगी और इसके लिए समय और आराम का बलिदान देना होगा. जैसा कि उन्होंने अपने जीवन में किया. वो लिखते हैं कि वो भी एक औसत दर्जे के छात्र थे, लेकिन फिर उन्होंने अपने करियर में एक बड़ी मंजिल हासिल की. इसलिए वो लिखते हैं कि ऐसा कभी मत सोचो कि 12वीं क्लास की बोर्ड परीक्षा के मार्क्स आपका भविष्य तय करेंगे. खुद पर विश्वास रखो और इस दिशा में काम करो.'

यादों में रहेंगी वरुण सिंह की बातें

वरुण सिंह की चिट्ठी में जो बातें लिखी हैं, अगर ये डायलॉग किसी फिल्म में कोई अभिनेता बोलता या कोई बड़ा सेलिब्रिटी बोलता तो शायद आप बहुत तालियां बजाते और कहते कि वाह क्या बात है. लेकिन हमारा आपसे सवाल है कि क्या आप जिस तरह फिल्मों के डायलॉग याद रखते हैं, क्या वैसे ही शहीद ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह की इन बातों को याद रख पाएंगे? इस चिट्ठी में एक जगह वरुण सिंह ये भी लिखते हैं कि अगर वो इस पत्र के जरिए एक भी बच्चे को प्रेरणा दे पाएंगे तो उनके लिखने का उद्देश्य पूरा हो जाएगा और हम चाहते हैं कि आप उनकी इन बातों से प्रेरणा लेकर इस उद्देश्य को जरूर पूरा करें. 

देशभक्त परिवार के जांबाज बेटे वरुण सिंह

42 वर्षीय ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का जन्म दिल्ली में हुआ था. लेकिन उनका परिवार उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले का रहने वाला है. उनका परिवार भारत की तीनों सेनाओं से जुड़ा रहा है. वो खुद भारतीय वायु सेना में थे. उनके पिता रिटायर्ड कर्नल के.पी. सिंह आर्मी एयर डिफेंस की रेजिमेंट में थे और उनके छोटे भाई लेफ्टिनेंट कमांडर तनुज सिंह आज भी भारतीय नौसेना में हैं.

अभिनंदन के साथी थे वरुण सिंह

बहुत कम लोग जानते हैं कि भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन अभिनंदन वर्धमान और ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह दोनों ही वायु सेना के 2000 बैच में एक साथ थे. यानी Batchmate थे. शहीद वरुण सिंह को इसी साल स्वतंत्रता दिवस पर शौर्य चक्र से भी सम्मानित किया गया था. ये पुरस्कार उन्हें 12 अक्टूबर 2020 की एक घटना के लिए मिला था. उस दिन वो एक Training Sortie के लिए लड़ाकू विमान तेजस उड़ा रहे थे.

इस वजह से मिला शौर्य चक्र

इस उड़ान के दौरान उन्हें पता चला कि विमान के कॉकपिट का प्रेशर सिस्टम फेल हो गया है. ऐसी स्थिति में उनके पास दो ही विकल्प थे, एक या तो वो खुद को इजेक्ट करके अपनी जान बचा लेते और विमान को क्रैश होने देते. ऐसा करने में बहुत खतरा था क्योंकि विमान अगर किसी रिहायशी इलाके पर गिरता तो कई लोगों की जान जा सकती थी. दूसरा विकल्प था वो अपनी जान की परवाह ना करके विमान को लैंड कराने का प्रयास करते. जैसा कि उन्होंने किया भी.

राजनाथ सिंह ने ऐसे जीता दिल

बुधवार को दोपहर में जब उनके निधन की खबर आई तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह देहरादून में आयोजित सैनिक सम्मान यात्रा में भाषण दे रहे थे. जैसे ही उन्हें खबर मिली तो उन्होंने लोगों को इसके बारे में बताया और उन्हें श्रद्धांजलि भी दी.

Video

Breaking News in Hindi और Latest News in Hindi सबसे पहले मिलेगी आपको सिर्फ Zee News Hindi पर. Hindi News और India News in Hindi के लिए जुड़े रहें हमारे साथ.

TAGS

Trending news