मनी लॉन्ड्रिग केस: ED के सामने पेश नहीं होंगे अनिल देशमुख के बेटे, बताई ये बड़ी वजह
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मनी लॉन्ड्रिग केस: ED के सामने पेश नहीं होंगे अनिल देशमुख के बेटे, बताई ये बड़ी वजह

प्रवर्तन निदेशालय ऋषिकेश देशमुख से‌ चार कंपनी, दिल्ली के दो हवाला कारोबारी और इससे भी पहले साई शिक्षण संस्थान में आए पैसों को लेकर पूछताछ करने की कोशिश कर रही है.

फाइल फोटो.

मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले (Money Laundering Case) की जांच के सिलसिले में महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख (Anil Deshmukh) के बेटे को पूछताछ के लिए शुक्रवार को बुलाया था. लेकिन जानकारी मिल रही है कि अनिल देशमुख के बेटे ऋषिकेश देशमुख (hrishikesh Deshmukh) आज ED के सामने पेश नहीं होंगे.  

मांगेंगे 7 दिन का समय

जानकारी के मुताबिक ऋषिकेश देशमुख ED के सामने पेश होने के लिए समय मांगेगे. उनके वकील इंद्रपाल सिंह ने बताया कि ऋषिकेश देशमुख आज नहीं आएंगे. इंद्रपाल सिंह ने कहा कि देशमुख ED के सामने पेश होने के लिए 7 दिन का समय मांगेंगे. अपनी लीगल टीम से बातचीत करने के बाद ही 7 दिन बाद वो ED के सामने आएंगे.

दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय ऋषिकेश देशमुख से‌ चार कंपनी, दिल्ली के दो हवाला कारोबारी और इससे भी पहले साई शिक्षण संस्थान में आए पैसों को लेकर पूछताछ करने की कोशिश कर रही है.

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क्या है पूरा मामला

प्रवर्तन निदेशालय को मिली जानकारी के मुताबिक नागपुर के श्री साई शिक्षण संस्थान में चेक के जरिए हुए ट्रांजेक्शन की जानकारी मिली थी. श्री साई शिक्षण संस्थान एक चैरिटेबल ट्रस्ट है, जिसके डायरेक्टर अनिल देशमुख और उनके परिवार के सदस्यों के अलावा उनका PA कुंदन शिंदे भी है. ये संस्थान नागपुर में इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक का बड़ा संस्थान है. ईडी की टीम ने नोटिस किया कि ट्रस्ट के खाते में दिल्ली की 4 कंपनी के जरिए 4 करोड़ 18 लाख का ट्रांजेक्शन पिछले कुछ वक्त में लगातार होता रहा है. 

ईडी के तहकीकात में पता चला कि दिल्ली के पते पर मौजूद रिलायबल फाइनेंस कॉर्पोरेशन प्राइवेट लिमिटेड, वीए रियलकॉन प्राइवेट लिमिटेड, उत्सव सिक्योरिटीज लिमिटेड और Sital Leasing and finance ये चारों कंपनियां केवल पेपर पर ही मौजूद हैं, जो केवल ट्रांजेक्शन के लिए बनाई गई थीं. इन चारों सेल कंपनियों के फर्जी डायरेक्टर सुरेंद्र कुमार जैन और वीरेंद्र जैन थे. इनके संबंध ऋषिकेश से जुड़े होने के तार प्रवर्तन निदेशालय को मिले हैं.

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