Morbi Bridge Collapse: मोरबी पुल हादसा, प्रधानमंत्री के निर्देश पर पीड़ितों को युद्धस्तर पर पहुंचाई जा रही है मदद
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Morbi Bridge Collapse: मोरबी पुल हादसा, प्रधानमंत्री के निर्देश पर पीड़ितों को युद्धस्तर पर पहुंचाई जा रही है मदद

Morbi Bridge Accident: पीएम मोदी 1 नवंबर को मोरबी में थे. उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिए थे कि राहत एवं बचाव कार्य के साथ ही पीड़ित परिवारों को जिस भी किसी योजना के तहत आर्थिक या किसी अन्य प्रकार की  सहायता प्रदान की जा सकती है, उसके लिए प्रशासन को उनकी पूरी कोशिश करे. 

Morbi Bridge Collapse: मोरबी पुल हादसा, प्रधानमंत्री के निर्देश पर पीड़ितों को युद्धस्तर पर पहुंचाई जा रही है मदद

Gujarat News: गुजरात के मोरबी में 30 अक्टूबर की शाम ‘झूलते पुल’ के गिरने के हादसे में मारे गए 135 लोगों के परिजनों को मुआवजा देने का काम जिला प्रशासन की तरफ से युद्ध स्तर पर किया जा रहा है. मोरबी जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक मृतकों के परिजनों से ना सिर्फ संपर्क कर लिया गया है बल्कि उन्हें राज्य सरकार की ओर को 4 लाख रुपए की राहत राशि का चेक जारी कर दिया गया है. 134 मृतकों के परिवारों को राहत राशि दी जा चुकी है. गुजरात राज्य के बाहर के एक मृतक के परिजनों से भी संपर्क हो चुका है और पहचान संबंधी प्रक्रिया पूरी होते ही उन्हें भी राहत राशि दे दी जाएगी.

राज्य सरकार की ओर से मुख्यमंत्री राहत कोष से अब तक कुल 5 करोड़ 40 लाख की रकम के चेक जारी हो चुके हैं. इस बात की पुष्टि मोरबी जिला प्रशासन ने की है. राज्य सरकार की ओर से दी जाने वाली सहायता राशि के अतिरिक्त केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री राहत कोष से 2 लाख रुपये प्रति पीड़ित परिवार राहत देने की घोषणा की है. उसके लिए भी सभी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. जिला प्रशासन में एक बड़ी टीम अलग-अलग योजनाओं के तहत मिलने वाली राहत राशियों के लिए जरूरी औपचारिकताओं को युद्ध स्तर पर पूरा कर रही है.

प्रधानमंत्री राहत कोष से मिलने वाली जो राशि है उसके लिए पीड़ित परिवारों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है, और निधि की ओर से दी जाने वाली जो भी राहत राशि है वह भी सीधे DBT यानी कि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के तहत लाभार्थी को ऑनलाइन ही ट्रांसफर की जाती है. इसके लिए जो भी औपचारिकताएं हैं उसे पूरा करने के लिए मोरबी जिला प्रशासन के कई उच्च अधिकारी लगे हुए हैं.

प्रधानमंत्री राहत कोष से अब तक मिली इतनी मदद
जिला प्रशासन से प्राप्त जानकारी के मुताबिक आज देर शाम तक प्रधानमंत्री राहत कोष के कुल 79 लाभार्थि परिवारों के डिटेल्ड फॉर्म पूरी तरीके से भरकर प्रधानमंत्री राहत कोष के पोर्टल पर जमा करा दिए गए हैं.  79  में से 49 लोगों को राहत राशि उनके अकाउंट में ट्रांसफर भी हो चुकी है, इस बात की पुष्टि मोरबी जिला प्रशासन ने की है.  प्रधानमंत्री राहत कोष की निधि जारी कराने के लिए जरूरी  औपचारिकताओं को पूरा करने वाले अधिकारियों  की टीम के एक सदस्य  ने बताया कि आज देर रात तक सभी 135 पीड़ित परिवारों को प्रधानमंत्री राहत कोष से  जो मदद मिलने वाली है, उसकी राशि उनके दिए हुए अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएगी.

मुख्यमंत्री राहत कोष और प्रधानमंत्री राहत कोष से मिलने वाली सहायता राशि के अतिरिक्त गुजरात राज्य सरकार की ओर से चलाई जा रही कई अन्य योजनाओं के लिए भी पीड़ित परिवारों के लाभार्थी होने के संबंध में पड़ताल और पुष्टि की जा रही है और अगर किसी भी अन्य योजना में पीड़ित परिवार के लाभार्थी बनने की योग्यता रखते है तो उन्हें उस हर योजना का लाभ दिया जाएगा जो  गुजरात सरकार चला रही है, मोरबी जिला प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक वरिष्ठ  अधिकारियों  और कर्मचारियों की अलग अलग 18 टीमें बनाई गई हैं. ये 18 टीमें सभी पीड़ित परिवारों से मिल रही हैं और उन्हें गुजरात सरकार और केंद्र सरकार की ओर से चलाई जा रही 25 अलग-अलग योजनाओं के बारे में जानकारी दे रही हैं.  इनमें से किसी भी योजना में अगर किसी परिवार के लाभार्थी होने की संभावना है यानि कि अगर कोई परिवार उन 25 में से किसी भी योजना का लाभार्थी बनने की योग्यता रखता है तो उसे उस योजना के माध्यम से दी जाने वाली हर सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. अगर कोई परिवार उन 25 योजनाओं में से एक से अधिक योजना में लाभार्थी बनता है तो उसे उन सभी योजनाओं का लाभ मिलेगा जिन योजनाओं में वह एलिजिबल लाभार्थी हैं, इस बात की पुष्टि मोरबी जिला प्रशासन ने की है.

सरकारी योजनाओं के अतिरिक्त बैंकों की ओर से भी कुछ बीमा कराए जाते हैं और अगर उन इंश्योरेंस स्कीम का लाभ पीड़ित परिवारों को किसी भी तरीके से मिल सकता है तो इसके लिए भी जिला प्रशासन उनकी पूरी मदद करने को तैयार है. जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के रीजनल मैनेजर खुद जिला प्रशासन के संपर्क में हैं और पीड़ित परिवारों से संपर्क कर मृतकों के अगर कोई भी एसबीआई के अकाउंट थे तो उनकी जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं . अगर किसी भी तरह का इंश्योरेंस स्कीम एसबीआई के किसी भी अकाउंट के माध्यम से कराया गया था तो उसके सभी लाभ उन्हें दिए जाएंगे इस बात के लिए जिला प्रशासन और एसबीआई हर स्तर पर प्रयास कर रहा है.  जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक एसबीआई के अलावा अगर किसी अन्य बैंक से भी इस तरह की कोई योजना होगी तो उसके लिए पीड़ित परिवारों को जो भी मदद जिला प्रशासन की तरफ से लगेगी वह सारी मदद दी जाएगी.

पीएम मोदी ने दिए ये स्पष्ट निर्देश
जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक जब प्रधानमंत्री 1 नवंबर को मोरबी में थे तब उन्होंने प्रशासन को इस बात के स्पष्ट निर्देश दिए थे कि राहत एवं बचाव कार्य के साथ ही पीड़ित परिवारों को जिस भी किसी योजना के तहत आर्थिक या किसी अन्य प्रकार की  भी सहायता प्रदान की जा सकती है, उसके लिए जिला प्रशासन पूरी कोशिश करे.  जिला प्रशासन के सूत्रों ने इस बात की भी पुष्टि की है कि मोरबी में जो बचाव एवं राहत कार्य चलाए जा रहे हैं या पीड़ित परिवारों को जो भी राहत राशि किसी भी योजना के तहत दी जा रही है उसकी रेगुलर अपडेट पीएमओ को लगातार दी जा रही है . जानकारी के मुताबिक पीएमओ की एक टीम लगातार गुजरात सरकार और मोरबी जिला प्रशासन के संपर्क में भी है.

गुजरात सरकार अपने राज्य में इस प्रकार की दुर्घटनाओं में अनाथ हुए बच्चों और निसंतान हुए माता-पिता को भी अलग-अलग योजनाओं में आर्थिक सहायता देता है.  गुजरात सरकार की ओर से अनाथ हुए बच्चों को प्रतिमाह ₹3000 उनकी आयु के 18 वर्ष पूरे होने तक दिए जाते हैं. मोरबी की पुल दुर्घटना में कुल 4 ऐसे बच्चे हैं जो अनाथ हुए हैं, दो बच्चे  मोरबी जिले के हैं एक अहमदाबाद का है, और एक राजकोट  जिले का है. इन चारों ही बच्चों की जो भी दस्तावेजी औपचारिकताएं थी वह पूरी कर ली गई हैं,  उनके लीगल गार्जियंस की पहचान भी कर ली गई है,  उनके सभी अकाउंट डिटेल्स आदि लेकर के उन्हें गुजरात सरकार की ओर से अनाथ बच्चों के लिए जो योजना चलाई जाती है उसके सभी लाभ दिए जाने संबंधी आदेश राज्य सरकार ने जारी कर दिए हैं.  मोरबी की दुर्घटना के बाद जो 4 बच्चे अनाथ हुए हैं उसमें से तीन बच्चे तो ऐसे हैं जिन्होंने अपने माता-पिता दोनों को मोरबी पुल दुर्घटना में ही खोया है . जबकि एक बच्चा ऐसा है जिसकी माता जी का निधन पहले ही हो चुका था और पिताजी का निधन मोरबी के पुल दुर्घटना में हुआ है.  चारों ही बच्चों को राज्य सरकार की ओर से जो भी योजनाएं चलाई जाती हैं,  जिसके लिए वे योग्य हैं उन सभी योजनाओं का लाभ इन्हें दिए जाने के लिए सभी औपचारिकताएं मोरबी जिला प्रशासन ने पूरी कर ली हैं.

ऐसे माता-पिता जो अब पूरी तरीके से निराधार हो गए हैं यानी कि उनके पास मोरबी पुल दुर्घटना के बाद कोई भी जीवित संतान नहीं बची है.  उन्हें भी गुजरात सरकार की योजना के तहत जो भी लाभ दिए जाते हैं वह मिलेंगे.  जिला प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक दो ऐसे दंपत्ति है जिन्होंने मोरबी पुल दुर्घटना के बाद अपने बच्चों को खो दिया है और अब उनकी कोई संतान नहीं बची है.  गुजरात सरकार की  योजना के तहत ऐसे माता-पिता को ₹1000 प्रति माह आजीवन दिए जाने की योजना के लाभ संबंधी सभी औपचारिकताएं मोरबी जिला प्रशासन ने पूरी कर ली हैं.

आपको बता दें की मोरबी की दुर्घटना में मरने वाले 135 लोगों में से 49 वयस्क पुरुष थे 34 वयस्क महिलाएं थीं . 24 बच्चे  और 12  बच्चियां  थी . साथ ही 12 से 18 आयु वर्ग के 10  लड़के और 6  लड़कियां थीं.

कानूनी औपचारिकताओं का रखा जा रहा है विशेष ध्यान
गुजरात राज्य सरकार और मोरबी जिला प्रशासन की ओर से अलग-अलग योजनाओं के तहत मृतकों के परिवारों को जो सहायता राशि दी जा रही है उसमें सभी कागजी औपचारिकताएं पूरी करने के साथ-साथ कानूनी औपचारिकताओं का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है.  किसी भी पीड़ित परिवार को मुआवजे की राशि देने के पहले सभी प्रकार की वेरिफिकेशन कर ली जा रही है. अधिकारियों और संबद्ध लोगों की मौजूदगी में  पंचनामा आदि करने के बाद एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट से मृतक के कानूनी वारिस होने का सर्टिफिकेट जारी किए जाने के बाद ही उन्हें सरकारी योजनाओं के लाभ से संबंधी राशि भेजी जा रही है. ताकि बाद में विवाद को कोई गुंजाइश न रहे. मोरबी जिला प्रशासन का कहना है कि  यह प्रक्रिया बहुत जटिल होने के बावजूद काफी तेजी से और बिना किसी त्रुटि के निपटाई जा रही है.

मोरबी जिला प्रशासन ने इस बात की भी जानकारी दी है कि एक मृतक गुजरात से बाहर का था और उनका शव उनके पैतृक स्थान तक ले जाए जाने  की पूरी व्यवस्था मोरबी जिला प्रशासन ने अपनी ओर से की.  मृतक जो पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के था,  उनके परिजनों से बात करके उनका शव को अहमदाबाद से हवाई जहाज के द्वारा पहले कोलकाता भेजा गया और वहां से फिर उसे वर्धमान तक भेजे जाने का इंतजाम मोरबी जिला प्रशासन ने किया और अब मुख्यमंत्री राहत कोष प्रधानमंत्री राहत कोष और गुजरात सरकार की अन्य योजनाओं के जो भी आर्थिक लाभ हैं वह मृतक के कानूनी वारिसों को ही मिले इस बात के लिए भी सारी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं. मोरबी जिला प्रशासन ने वेरिफिकेशन के लिए मृतक के परिजनों के संबंध में जो भी जानकारी चाहिए उसके लिए वर्धमान जिला प्रशासन को संपर्क किया है. जैसे ही वेरिफिकेशन हो जाएगा वर्धमान जिला प्रशासन की ओर से प्रमाणित किए गए कानूनी वारिस को सभी आर्थिक लाभ भेज दिए जाएंगे. इस बात की जानकारी मोरबी जिला प्रशासन ने दी है.

राहत एवं बचाव के साथ-साथ इस मामले में लापरवाही अनियमितता और इन सब चीजों से जुड़ा हुआ जो आपराधिक मामला है उसकी जांच भी काफी तेज गति से की जा रही है इस बात की पुष्टि भी गुजरात सरकार के सूत्रों  ने की है.  इस दुर्घटना की जांच के लिए एक हाई पावर कमिटी का गठन किया गया है और उन्हें इस घटना से जुड़े सभी पहलुओं पर विचार कर जल्द से जल्द एक रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपने के आदेश दिए गए हैं.

राहत एवं बचाव कार्य,  पीड़ित परिवारों को हर प्रकार की सहायता मुहैया कराने और जल्द से जल्द इस मामले के सभी आपराधिक पहलुओं की पूरी तरह जांच करने की चुनौती के ही साथ-साथ गुजरात सरकार और मोरबी जिला प्रशासन के सामने एक बड़ी चुनौती इस मामले में अलग-अलग प्रकार के फर्जी दावों और सूचनाओं  से निपटने की भी है. मोरबी में एक  व्यक्ति ने कुछ स्थानीय समाचार पत्रों से बात करते हुए यह आरोप लगाया था कि उसकी बहन  मोरबी पुल दुर्घटना में लापता है और प्रशासन की तरफ से उसे कोई मदद नहीं दी जा रही है. इसके बाद जब उस व्यक्ति की पहचान कर मोरबी प्रशासन की एक टीम उसके घर पहुंची तब उसके पिता ने बताया कि ऐसी कोई घटना उनके परिवार में नहीं हुई है,  और उनके जिस बेटे ने यह जानकारी स्थानीय समाचार पत्रों को दी वह मानसिक रूप से अस्थिर है.

इसके अलावा गुजरात राज्य के बाहर से भी एक कॉलर ने फोन कर मोरबी प्रशासन को यह कहा है कि उसके परिवार से भी एक व्यक्ति मोरबी आए थे और  पुल दुर्घटना के बाद से ही  लापता हैं. लेकिन मोरबी प्रशासन को उसके दावे पर संदेह है क्योंकि अपने जिस परिजन का विवरण वह व्यक्ति दे रहा है, उनके विषय में उसके बयान लगातार बदल रहे हैं और कई बार तो वह जरूरी सवालों के संतोषजनक उत्तर भी नहीं दे पा रहा है.  इसलिए अब मोरबी  जिला प्रशासन ने इस मामले में मोरबी पुलिस की क्राइम ब्रांच  को उस कॉलर के दावे की पूरी जांच कर उसे वेरीफाई करने के निर्देश दिए हैं.  अपने जिस परिजन के विषय में उस व्यक्ति ने दावा किया है उसके संबंध में जो भी जानकारी मोरबी क्राइम ब्रांच के पास है, उसके आधार पर जांच पूरी कर एक रिपोर्ट गुरुवार दोपहर तक जिला प्रशासन ने मोरबी पुलिस को देने के लिए कहा है. लेकिन इसके साथ ही मोरबी जिला प्रशासन ने इस बात की भी पुष्टि की है कि भले ही लोगों के गायब होने के संदर्भ में जो जानकारियां उन्हें मिल रही हैं उन पर उन्हें संदेह है और दावों का  वेरिफिकेशन अभी जारी है लेकिन इसके चलते मच्छु नदी में जो सर्च ऑपरेशन जारी है उसे न तो धीमा किया जाएगा ना ही रोका जाएगा. ये सर्च ऑपरेशन तब तक नहीं रुकेगा जब तक मोरबी पुलिस की क्राइम ब्रांच इस मामले की जांच पूरी नहीं कर लेती और किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचती तब तक वह अपना सर्च ऑपरेशन जारी रखेंगे.

लगातार सर्च ऑपरेशन जारी 
मच्छु नदी में दुर्घटना के बाद से ही मोरबी जिला प्रशासन, गुजरात फायर सर्विसेज, एनडीआरएफ, भारतीय नौसेना, भारतीय सेना आदि की एक ज्वाइंट टीम लगातार सर्च ऑपरेशन जारी रखे हुए है. आज तो सर्च ऑपरेशन में  लगी हुई एनडीआरएफ की टीम के मुखिया  कमांडेंट प्रसन्ना कुमार ने भी यह बात कही कि जिस तरीके का सघन सर्च ऑपरेशन चलाया गया है उसके बाद भी कोई डेड बॉडी ना मिलना आश्चर्यजनक है,  और उन्हें भी अब इस बात की कम ही संभावना नजर आती है कि कोई डेड बॉडी अभी भी मच्छु नदी के अंदर दबी हुई या कहीं कोने में छुपी हुई हो सकती है.

मोरबी पुलिस की ओर से इस मामले में जो एफआईआर दर्ज की गई है उसकी जांच के दौरान 9 लोगों की गिरफ्तारी हुई है सभी गिरफ्तार लोगों को मंगलवार को मोरबी मजिस्ट्रेट के सामने रिमांड के लिए पेश किया गया था जहां से 5 आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और 4 आरोपियों को आगे की जांच के लिए मोरबी पुलिस की रिमांड में दिया गया है मोरबी पुलिस के पास फिलहाल कस्टडी में जो 4 लोग हैं उसमें से 2 लोग ऐसे हैं जो ओरेवा कंपनी के मैनेजर है और 2 लोग वह हैं जो कांट्रेक्टर के लिए फेब्रिकेशन का काम करते थे.

मंगलवार को  इस मामले की सुनवाई के दौरान मोरबी पुलिस ने कोर्ट को एक एफएसएल की रिपोर्ट भी सौंपी है ,इस मामले से जुड़े सरकारी वकील का कहना है कि यह एफएसएल रिपोर्ट पुल की रेनोवेशन में इस्तेमाल किए गए केबल के संबंध में थी जिसमें  यह बताया था की रिपेयरिंग के दौरान सिर्फ झूलते पुल की फ्लोरिंग थी उसे ही बदला गया जबकि जिस केबल से झूलता ब्रिज टिका हुआ था वह पूराना केबल जस का तस छोड़ दिया गया था . यह रिपोर्ट फिलहाल अदालत को दी जा चुकी है लेकिन मोरबी पुलिस ने कहा है कि इस विषय में अभी आगे की जांच की जा रही है और अगर किसी तरह की  अनियमितता या  किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ सबूत मिलते हैं तो मामले में उन्हें आरोपी बनाया जायेगा और आवश्यकता पड़ने पर उनकी गिरफ्तारी भी की जाएगी.

(रिपोर्टर - अश्विनी पांडेय)

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