Mughal History: जब औरंगजेब का इस महिला पर आ गया था दिल, मौसा को अपने हरम की औरत देकर की थी अदला-बदली
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Mughal History: जब औरंगजेब का इस महिला पर आ गया था दिल, मौसा को अपने हरम की औरत देकर की थी अदला-बदली

Mughal Harem: अपने क्रूर शासन के लिए कुख्यात मुगलों का शासन भारत के इतिहास के लिए ऐसी कड़वी याद है, जिसे लोग गलती से भी याद नहीं रखना चाहते हैं. यह दौर ऐसा था, जब मुगलों ने अपनी हवस को पूरा करने के लिए मानवता को ताक पर रख दिया था. 

Mughal History: जब औरंगजेब का इस महिला पर आ गया था दिल, मौसा को अपने हरम की औरत देकर की थी अदला-बदली

Aurangzeb Hirabai Love Story: भारत पर 300 सालों तक कब्जा कर लाखों हिंदुओं का धर्म परिवर्तन करवाने और हजारों महिलाओं का शील भंग करवाने वाले मुगलों का इतिहास क्रूरता और वासना से भरा हुआ है. इसी मुगल वंश का सबसे क्रूर बादशाह औरंगजेब था. वह अपने आपको खुदा का सबसे बड़ा उपासक और फकीर कहता था लेकिन उसके अंदर भी अय्याशी कूट-कूटकर भरी थी. उसने अपने हरम में सैकड़ों महिलाओं को ताकत के बल पर शामिल कर रखा था, जिनसे वह मौजमस्ती करता था. एक बार उसका दिल अपने अपने मौसा की खूबसूरत दासी पर आ गया. इसके बाद उसने औरंगजेब ने उस दासी को पाने के लिए वह काम किया, जिससे सब हैरान रह गए.

नवाब का आया हीराबाई पर दिल

इतिहासकार जदुनाथ सरकार की किताब के मुताबिक कश्मीर की रहने वाली हीराबाई (Hirabai) एक हिंदू लड़की थी, जिसने परिस्थितिवश खान-ए-जमान के यहां नृत्य करना शुरू किया था. उसकी खूबसूरती और नृत्यकला से खुश होकर मध्य प्रदेश में बुरहानपुर के नवाब का दिल उस पर डोल गया और उसने हीराबाई को जबरन अपने हरम का हिस्सा बना लिया. 

मौसी की दासा पर औरंगजेब फिदा

इसी बुरहानपुर में औरंगजेब (Aurangzeb) की मां मुमताज महल दफनाई गई थी और बुरहानपुर का नवाब औरंगजेब का सगा मौसा था. एक बाह 35 साल की उम्र में औरंगजेब ने औरंगाबाद जाते समय बुरहानपुर वाला रास्ता चुना और अपनी मौसी सुहेला बानो से मिलने पहुंच गया. वहां उसकी नजर मौसी के साथ आई एक खूबसूरत दासी पर पड़ी. वह दासी और कोई नहीं बल्कि हीराबाई (Hirabai) थी. 

मौसी को बताई मन की चाहत

उसे देखते ही खुद को फकीर कहने वाला औरंगजेब (Aurangzeb) उसका दीवाना हो गया. उसे देखने की चाहत में औरंगजेब दोबारा से महल में पहुंचा और वहां पर जानबूझकर बेहोश होने का नाटक किया. जब सुहेला बानो ने बेहोशी की वजह पूछी तो शहजादे ने हीराबाई को पाने की चाहत उनके सामने रख दी. यह सुनते ही सुहेला बानो चुप हो गई और कोई जवाब नही दे पाई. इसकी वजह ये थी कि हीराबाई (Hirabai) को उसके पति यानी और औरंगजेब के मौसा ने जबरन अपने हरम में शामिल कर अपनी रखैल बना रखा था और वह उसे औरंगजेब को बिल्कुल नहीं सौंपता. 

औरत के बदले औरत

मुगल इतिहास पर लिखी गई किताब ‘एहकाम-ए-आलमगिरी’ के अनुसार, औरंगजेब ने अपनी चाहत पूरी करने के लिए सीधे मौसा से बात करने का फैसला किया. उसने मौसा को अपनी चाहत बताई तो मौसा ने एक शर्त रख दी. मौसा ने औरंगजेब से कहा कि अगर उसे हीराबाई (Hirabai) चाहिए तो अपने हरम से खूबसूरत चित्राबाई को उसे सौंपना होगा. औरंगजेब ने यह शर्त खुशी-खुशी कबूल कर ली और दोनों अय्याश सुल्तानों ने दोनों महिलाओं की मर्जी पूछे बिना आसानी से उनकी अदला-बदली कर ली. 

आखिर में हुआ ये अंजाम

अपने हरम में शामिल करने के बाद औरंगजेब ने उसका नाम बदलकर जैनाबादी महल कर दिया. जैनाबादी महल पर पूरी तरह आसक्त औरंगजेब जब अपना अधिकतर समय हरम में बिताने लगा तो उसका वालिद शाहजहां परेशान हो गया. उसने उसे दक्कन में जाकर मुगल दरबार संभालने का हुक्म दिया. अपने वालिद का हुक्म मानकर औरंगजेब (Aurangzeb) औरंगाबाद में पहुंचा तो एक दिन हरकारे ने आकर संदेश दिया कि हीराबाई (Hirabai) चल बसी. इसके बाद औरंगजेब ने अपना होश खो दिया और जमकर शराब पी. 

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