अब कश्मीर में धीरे-धीरे मुस्लिम ब्रदरहुड एक्टिव हो गया है. आशंका है यह नेटवर्क दुनिया में दुष्प्रचार फैलाने का काम शुरू कर चुका है. इसका बहुत बड़ा नेटवर्क है. इसके ऐसे सदस्य भी हैं, जो भारत के लिए गलत मंशा रख चुके हैं.
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श्रीनगर: कश्मीर में दम तोड़ते आतंकवाद को नया जीवन देने के लिए अब मुस्लिम ब्रदरहुड का अंंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क सक्रिय हो रहा है. केवल दो महीने के अंदर इस नेटवर्क ने कश्मीर में हो रहे तथाकथित नरसंहार पर एक अंतर्राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल की मीटिंग आयोजित की. सेनाध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे के खिलाफ कश्मीर में युद्ध अपराध का मुकदमा दायर किया और सेमीनार में अपने चुने हुए विशेषज्ञों के जरिए कश्मीर में मुसलमानों के काल्पनिक नरसंहार को साबित करने की कोशिश की.
इस नेटवर्क ने दशकों तक फिलिस्तीन में मुसलमानों के तथाकथित नरसंहार के प्रचार के बाद अब कश्मीर की वैसी ही तस्वीर दिखाने के लिए पूरी ताकत से अंतर्राष्ट्रीय मुहिम छेड़ दी है. एक कानूनी फर्म स्टोक व्हाइट ने 19 जनवरी को कश्मीर में सुरक्षा बलों के अत्याचारों पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की और अपनी ही रिपोर्ट के आधार पर यूके में भारतीय सेनाध्यक्ष और गृहमंत्री के खिलाफ युद्ध अपराधों का मुकदमा दायर कर दिया. व्हाइट स्टोक के डायरेक्टर हाकान कामुज तुर्की मूल के ब्रिटिश नागरिक हैं और उनके एर्दोगान परिवार के साथ पुराने और गहरे रिश्ते हैं.
बोस्निया-हर्जेगोविना की राजधानी सारायेवो के एक पांच सितारा होटल में 17 से 19 दिसंबर तक एक तथाकथित ट्रिब्यूनल आयोजित की गई. इसमें पूरी दुनिया के 45 से ज्यादा जजों ने हिस्सा लिया जिनमें से लगभग सभी मुस्लिम ब्रदरहुड से संबंधित थे. आयोजन करने वाले कुल 8 संगठन थे जिनमें से 6 जमाते इस्लामी या मुस्लिम ब्रदरहुड से संबंधित थे. इसमें आईएसआई का प्रमुख चेहरा गुलाम नबी फई, कश्मीर में नरसंहार के नाम पर लंबे अरसे से सक्रिय गुलाम मीर और बलात्कार के अपराधी लॉर्ड नाज़िर अहमद थे.
दुनिया में शुरू किया जाएगा दुष्प्रचार शुरू!
ज़ाहिर है कि इस ट्रिब्यूनल के जरिए पूरी दुनिया में भारत के खिलाफ फ़ासिज्म और नरसंहार के आरोपों को ताकत दी जाए और नए सिरे से दुष्प्रचार शुरू किया जाए. आयोजकों के मुताबिक ट्रिब्यूनल का खर्च कश्मीर सिविटाज नाम के संगठन ने उठाया. ये संगठन 2019 में बनाया गया है और पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक फरहान मुजाहिद चक इसका प्रमुख है, जो कतर में रह रहा है. केसी के बेस इस्तांबुल और बीजिंग के अलावा लंदन, टोरंटो और रोम में हैं.
केसी ने अक्टूबर 2021 में भारतीय कंपनियों के उत्पादों का बहिष्कार करने का अभियान चलाया था. इस अभियान को तुर्की के पैसे पर चल रही पाकिस्तानी ट्रोलों ने ट्विटर पर ट्रेंड भी कराया. ऐसे अभियानों के जरिए एक ओर तो भारत की छवि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खराब होती है साथ ही भारत की अर्थव्यवस्था पर भी बुरा असर पड़ता है. ट्विटर पर भारतीय कंपनियों की एक सूची भी शेयर की गई थी जिसमें टाटा, अडानी, महिन्द्रा, हीरो, रिलायंस और पतंजिल के अलावा जी मीडिया भी था.
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