Ladakh में सहमति के बावजूद भारत को China पर भरोसा नहीं, लंबी 'जंग' की तैयारी में Modi Govt
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Ladakh में सहमति के बावजूद भारत को China पर भरोसा नहीं, लंबी 'जंग' की तैयारी में Modi Govt

भारत और चीन (India and China) के बीच सैन्य कमांडर स्तर की 12वें दौर की बातचीत में गोगरा पेट्रोलिंग पॉइंट से सेनाएं हटाने के लिए सहमति बनी है, लेकिन इसके बावजूद मोदी सरकार (Modi Govt) इस सकारात्मक परिणाम को विवाद का अंत नहीं मान रही है.

भारत-चीन के बीच पिछले साल मई से सीमा पर तनाव जारी है.

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन के साथ पिछले साल शुरू हुआ सीमा विवाद अब भी जारी है. हालांकि दोनों देशों ने तनाव को खत्म करने के लिए सहमति जताई है और हाल ही में सैन्य कमांडर की 12वें दौर की वार्ता भी हुई. बातचीत के दौरान दोनों देश गोगरा पेट्रोलिंग पॉइंट से सेनाएं हटाने के लिए राजी हो गए हैं, लेकिन इसके बावजूद भारत को चीन पर भरोसा नहीं है और मोदी सरकार इसे विवाद का अंत मानने में जल्दबादी नहीं करना चाहती है.

  1. भारत-चीन ने तनाव को खत्म करने के लिए सहमति जताई है
  2. लद्दाख में लंबी 'जंग' की तैयारी में मोदी सरकार
  3. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह एक अंतहीन रात है
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लद्दाख में लंबी 'जंग' की तैयारी में मोदी सरकार

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, चीन की पिछली हरकतों को देखते हुए नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi government) पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ लंबी 'जंग' के लिए तैयार है. अरुणाचल प्रदेश में साल 1986 के सुमदोरोंग चू सैन्य गतिरोध को हल करने में लगभग आठ साल का समय लगा था. इसे देखते हुए मोदी सरकार पूर्वी लद्दाख में वर्तमान गतिरोध पर भारतीय स्थिति को एकतरफा कमजोर किए बिना सैन्य वार्ता के आगे के दौर के लिए तैयार है. इसके साथ ही भारतीय सेना पूर्वी क्षेत्र पर पैनी नजर बनाए हुए है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'यह एक अंतहीन रात है.'

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इन इलाकों में आक्रामक मोड में है चीनी सेना

लद्दाख कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन (Lt Gen PGK Menon) ने कहा, 'भारतीय दृष्टिकोण यह है कि दोनों सेनाओं के बीच सभी विवादास्पद बिंदुओं को हल किया जाना चाहिए. इसमें देपसांग बुलगे और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स शामिल हैं, जहां पीएलए (चीनी सेना) आक्रामक मोड में बना हुआ है.'

कूटनीति सुझाव पर विचार नहीं कर रही मोदी सरकार

मोदी सरकार बहुत स्पष्ट है कि चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों की बहाली का रास्ता पहले कदम के रूप में लद्दाख एलएसी के प्रस्ताव से होकर जाता है. 1980 के दशक की समानांतर कूटनीति सुझाव देने वाले किसी भी प्रस्ताव पर मोदी सरकार विचार नहीं कर रही है. जैसे- 'पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध के दौरान आर्थिक संबंधों को बहाल करना. ऐसा इसलिए है, क्योंकि PLA पूरी तरह से पूर्वी लद्दाख में LAC के पार तैनात है. इसके अलावा चीनी एयरफोर्स उन्नत लड़ाकू विमानों और मिसाइल प्रणालियों के साथ पश्चिमी थिएटर कमांड में अपने हवाई अड्डों को मजबूत कर रहा है.

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