इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट द्वारा सजा का ऐलान किए जाने के बाद सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
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नई दिल्ली : साल 1988 के रोडरेज मामले पर आज(15 मई) सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को जानबूझकर चोट पहुंचाने का दोषी ठहराते हुए 1000 रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माने की राशि भरने के बाद सिद्धू को जेल नहीं जाना होगा. इस मामले में सुनवाई करते हुए न्यायाधीश जे.चेलमेश्वर और न्यायाधीश संजय किशन कौल की पीठ ने सिद्धू को रोडरेज के दौरान गैर इरादतन हत्या के मामले में बरी कर दिया है लेकिन जानबूझकर चोट पहुंचाने के मामले में दोषी ठहराते हुए उन पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने एक अन्य आरोपी उनके कजिन रुपिंदर सिंह सिद्धू को भी सभी आरोपों से बरी कर दिया है.
हाईकोर्ट ने सुनाई थी 3 साल की सजा
इस मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने सिद्धू को तीन साल की कैद की सजा सुनाई थी. हाईकोर्ट द्वारा सजा का ऐलान किए जाने के बाद सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.
Punjab Minister Navjot Singh Sidhu convicted under section 323 and acquitted under section 304( (II) in 1988 road rage case by Supreme Court pic.twitter.com/ogdFoBGM4V
— ANI (@ANI) May 15, 2018
Navjot Singh Sidhu acquitted under section 304 (II){culpable homicide not amounting to murder} and convicted under section 323(punishment for voluntarily causing hurt) in 1988 road rage case by Supreme Court https://t.co/Y3BJsG4qJN
— ANI (@ANI) May 15, 2018
ट्रायल कोर्ट से बरी हो चुके हैं सिद्धू
साल 2006 में हाईकोर्ट ने बेशक से सिद्धू और एक अन्य आरोपी रुपिंदर सिंह संधू को 3 साल की सजा सुनाई हो, लेकिन 1999 में ट्रायल कोर्ट में सुनवाई के दौरान दोनों आरोपियों को बरी कर दिया था. मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचने के बाद 2007 में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दोनों को दोषी ठहराने के फैसले पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही सिद्धू अमृतसर से विधानसभा चुनाव लड़ पाए थे.
क्या है पूरा मामला
अभियोजन के अनुसार सिद्धू और रुपिंदर सिंह संधू 27 दिसंबर, 1988 को पटियाला में शेरनवाला गेट चौरोह के पास सड़क के बीच में कथित रुप से खड़ी जिप्सी में थे. उसी समय गुरनाम सिंह और दो अन्य पैसे निकालने के लिए मारुति कार से बैंक जा रहे थे. गुरनाम ने सिद्धू और संधू से जिप्सी हटाने को कहा, इस पर दोनों पक्षों में कहासुनी हो गई. सिद्धू ने सिंह को बुरी तरह पीटा और अस्पताल में उनकी मौत हो गई.
पंजाब सरकार की ओर से उपस्थित वकील सनराम सिंह सरों ने 30 साल पुराने मामले में सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति जे चेलामेश्वर और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष कहा कि साक्ष्य के अनुसार सिद्धू द्वारा मुक्का मारने से पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी.सरकार ने कहा कि निचली अदालत का यह निष्कर्ष गलत था कि सिंह की मौत ब्रेन हैमरेज से नहीं, बल्कि हृदय गति रुकने से हुई थी. इसने कहा कि इस बारे में एक भी सबूत नहीं है जिससे यह पता चले कि मौत की वजह दिल का दौरा था, न कि ब्रेन हैमरेज. पंजाब सरकार के वकील ने कहा, 'निचली अदालत के फैसले को उच्च न्यायालय ने सही निरस्त किया था. आरोपी ए 1 ( नवजोत सिंह सिद्धू ) ने गुरनाम सिंह को मुक्का मारा था जिससे ब्रेन हैमरेज हुआ और उसकी मौत हो गई.'