मुंबई एनसीबी में समीर वानखेड़े का कार्यकाल समाप्त हुआ तो उन्हें वापस डीआरआई, नई दिल्ली में भेज दिया गया. वानखेड़े तब चर्चा में आए थे जब एक ड्रग पार्टी में उन्होंने शाहरूख खान के बेटे आर्यन को अरेस्ट किया था.
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नई दिल्ली: मुंबई के विवादों में रहे रीजनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े का एनसीबी में कार्यकाल समाप्त हो गया है और उन्हें वापस उनके मूल संगठन ‘डीआरआई’ में भेज दिया गया है. अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी.
भाषा की खबर के अनुसार, एनसीबी की मुंबई क्षेत्रीय इकाई का अतिरिक्त प्रभार एजेंसी के इंदौर क्षेत्रीय निदेशक बृजेंद्र चौधरी संभालेंगे, जो 2009 बैच के आईआरएस अधिकारी हैं. भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) के 2008 बैच के अधिकारी वानखेड़े को अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े मादक पदार्थ पहलू की एजेंसी द्वारा की जा रही जांच के मद्देनजर अगस्त 2020 में राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) में भेजा गया था. वानखेड़े (42), 31 अगस्त 2020 से एनसीबी की मुंबई इकाई में क्षेत्रीय निदेशक के तौर पर सेवा दे रहे थे और उनके कार्यकाल को कुछ समय के लिए बढ़ाया भी गया था.
अधिकारियों ने बताया कि एनसीबी में वानखेड़े का विस्तारित कार्यकाल 31 दिसंबर 2021 को समाप्त हो गया और चूंकि उनके कार्यकाल में विस्तार का आदेश नहीं दिया गया है, इसलिए उन्हें उनके मूल संगठन डीआरआई में भेज दिया गया है, जो केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड के तहत एक अन्वेषण एजेंसी के तौर पर काम करता है.
अधिकारियों ने बताया कि एनसीबी ने वानखेड़े का कार्यकाल बढ़ाने की मांग नहीं की थी. पिछले साल अक्टूबर में एनसीबी द्वारा मुंबई तट पर एक क्रूज जहाज पर छापा मारने की कार्रवाई करने के बाद वानखेड़े चर्चा में रहे थे. छापे के दौरान अभिनेता शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान और कई अन्य को गिरफ्तार किया गया था. इस कार्रवाई के शीघ्र बाद महाराष्ट्र में मंत्री एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता नवाब मलिक ने उनके खिलाफ कदाचार और भ्रष्टाचार के आरोप लगाये थे.
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इससे पहले, एनसीबी ने वानखेड़े के नेतृत्व के तहत, राकांपा नेता मलिक के दामाद समीर खान को मादक पदार्थ मामले में गिरफ्तार किया था. क्रूज ड्रग्स मामले में स्वतंत्र गवाह प्रभाकर सैल ने अदालत में एक हलफनामा दाखिल कर दावा किया था कि एजेंसी के कुछ अधिकारियों व अन्य द्वारा आर्यन को मामले में छोड़ने के लिए 25 करोड़ रुपये मांगे गये थे. सैल ने कहा था कि उन्होंने सुना था कि इस रकम में से आठ करोड़ रुपये वानखेड़े को अदा किये जाने थे. इन आरोपों को बाद में यहां एजेंसी मुख्यालय ने वानखेड़े को मामले से हटा दिया था. हालांकि वानखेड़े ने इन आरोपों से इनकार किया है.
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