New parliament building inauguration row: नई संसद के उद्घाटन को लेकर जारी तकरार यानी विपक्षी दलों की बयानबाजी और बहिष्कार के बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम रहे गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कांग्रेस समेत विरोध करने वाले दलों को 35 साल पुरानी कहानी सुनाते हुए बड़ी नसीहत दी है.
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Ghulam Nabi Azad on new parliamnet: एक लंबे दौर तक कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और गांधी परिवार के बेहद करीबी सहयोगी रहे गुलाम नबी आजाद ने नई संसद के उद्घाटन समारोह को लेकर जारी हंगामे को गैरजरूरी बताते हुए उन्हें आईना दिखाया है. आजाद ने ये भी कहा कि विपक्षी दलों को इस ऐतिहासिक आयोजन का बहिष्कार करने के बजाए रिकॉर्ड समय में नई संसद बनाने के लिए सरकार की प्रशंसा करनी चाहिए, जबकि वो सरकार की आलोचना कर रहे हैं. मैं विपक्ष द्वारा इसका बहिष्कार करने के सख्त खिलाफ हूं. गुलाब नबी आजाद ने कहा कि अगर वो दिल्ली में होते तो जरूर इस आयोजन का गवाह बनते.
नई संसद को लेकर 35 साल पुरानी कहानी
दशकों तक भारतीय राजनीति के पटल पर अपनी मजबूत छाप छोड़ने वाले आजाद ने कहा, वो यह नहीं समझ पा रहे हैं कि विपक्षी पार्टियां क्यों इतना चिल्ला रही हैं. जबकि संसद का निर्माण उनका वो सपना है जो उन्होंने 35 साल पहले देखा था. उन्होंने बताया कि जब वो पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की कैबिनेट में संसदीय मंत्री थे तब उन्होंने नई संसद के निर्माण के लिए नरसिम्हा राव से चर्चा की थी, तब एक नक्शा भी बना था लेकिन नई संसद का निर्माण तब नहीं हो सका.
#WATCH | I would surely attend the inauguration ceremony of the new Parliament building if I was in Delhi. The opposition should praise the government to build the new Parliament in record time, whereas they are criticising the govt. I am strictly against the opposition… pic.twitter.com/fo5bayAwcn
— ANI (@ANI) May 27, 2023
नई संसद समय की जरूरत: आजाद
आजाद ने कहा, 'नई संसद समय की मांग थी. आजादी के बाद, देश की आबादी 5 गुना से अधिक बढ़ गई है, उस हिसाब से सांसदों की संख्या भी बढ़ी है. इसलिए नए संसद भवन का निर्माण तो हर हाल में होना ही था.'
कौन हैं गुलाम नबी आजाद?
यूं तो भारत की राजनीति में गुलाम नबी आजाद का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. वो जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके हैं जिनकी गिनती कभी गांधी फैमिली के सबसे करीबी नेताओं और पार्टी के टॉप लीडर्स में होती थी. पिछले कुछ सालों में उनकी राजनीति में कई उतार चढ़ाव देखने को मिले. 50 साल तक कांग्रेस के प्रति वफादारी निभाने के बाद आजाद ने पार्टी हाई कमान से नाराजगी जताते हुए इस्तीफा देने के बाद नई पार्टी का गठन किया था.