निर्भया केस : उस केस के छह साल, जिसने पूरे देश को हिला, जानें कब क्या-क्या हुआ
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निर्भया केस : उस केस के छह साल, जिसने पूरे देश को हिला, जानें कब क्या-क्या हुआ

छह साल पहले अंजाम दिए गए इस जघन्य अपराध के बाद दिल्ली के साथ साथ पूरे देश में इसके खिलाफ गुस्सा फूट पड़ा.

निर्भया केस : उस केस के छह साल, जिसने पूरे देश को हिला, जानें कब क्या-क्या हुआ

नई दिल्ली : राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 की रात एक ऐसा जघन्य अपराध अंजाम दिया गया, जिसने देश की आवाम के साथ साथ सियासत को हिलाकर रख दिया. 16 दिसंबर को दिल्ली के मुनीरका में 6 लोगों ने चलती बस में पैरामेडिकल की छात्रा से गैंगरेप किया. सामूहिक दुष्कर्म के बाद छात्रा के साथ दरिंदगी करने के बाद उसे सड़क पर फेंक दिया गया. उसके साथ उसके दोस्त को भी अधमरी हालत में सड़क पर पटककर दोषी फरार हो गए.

 जैसे ही ये खबर फैली, उसके साथ ही देश में गुस्सा और आक्रोश भी फैलता चला गया. खासकर युवाओं के गुस्से ने दिल्ली की सियासत को भी गर्मा दिया. इसी का परिणाम था कि पुलिस ने अपराधियों को पकड़ने की ताबड़तोड़ प्रयास शुरू कर दिए.

18 दिसंबर, 2012 को पुलिस ने इस मामले के चार दोषियों राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को धर दबोचा.

21 दिसंबर को पुलिस को फिर से बड़ी कामयाबी मिली. पुलिस ने एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे दोषी अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ्तार कर लिया.

इधर, 29 दिसंबर को पीड़िता की हालत में सुधार न होने के कारण उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल सिंगापुर भेजा गया. वहां अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई.  

3 जनवरी, 2013 को पुलिस ने दोषियों के खिलाफ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती का केस दर्ज करने के बाद चार्जशीट दाखिल की.

17 जनवरी, 2013 को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पांचों दोषियों पर आरोप तय किए. आरोपी तिहाड़ जेल में बंद थे.

इसी बीच 11 मार्च के दिन तिहाड़ जेल में सबसे बुजुर्ग आरोपी राम सिंह ने खुदकुशी कर ली.

10 सितंबर, 2013 को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने चार आरोपियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को दोषी ठहराया.

13 सितंबर को कोर्ट ने चारों दोषियों मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को मौत की सजा सुनाई.

31 अक्टूबर, 2013 को जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप और हत्या का दोषी करार दिया. उसको सुधार गृह में भेज दिया गया. कहा जाता है कि वही निर्भया के साथ सबसे ज्यादा दरिंदगी से पेश आया था.

13 मार्च, 2014 को दिल्ली हाईकोर्ट ने को चारों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा. 15 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को फांसी दिए जाने पर रोक लगाई.

20 दिसंबर, 2015 की तारीख इसलिए लोगों का गुस्सा फूटा, क्योंकि नाबालिग अपराधी को बाल सुधार गृह से रिहा कर दिया गया.

5 मई, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी. इसके बाद पिछले साल 9 नवंबर को एक दोषी मुकेश ने सुप्रीम कोर्ट में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर कऱ दिया.

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