Bihar Politics: जेडीयू और आरजेडी दोनों ही जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मुखर हैं. देखना दिलचस्प होगा कि अगले साल के विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे पर ऊंट किस करवट बैठता है?
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Nitish Kumar and Tejashwi Yadav: बिहार में फिर से नई बयार बह रही है. ऐसा सियासतदां कह रहे हैं. वैसे तो सभी संकेत एक-दूसरे से भिन्न हैं लेकिन दिशाएं सबकी एक तरफ ही हैं. बिहार में अगले साल विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. इसलिए समीकरण बन-बिगड़ रहे हैं. जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी के बारे में कहा जा रहा था कि हालिया दौर में वो पार्टी लाइन के बाहर जाने लगे थे इसलिए राष्ट्रीय प्रवक्ता पद से इस्तीफा देना पड़ा. यानी जेडीयू, केंद्र या राज्य में बीजेपी के साथ संबंध बिगाड़ने के पक्ष में नहीं है.
वहीं दूसरी ओर चिराग पासवान केंद्र की सत्ता में रहकर भी अपना अलग अस्तित्व बनाए रखने की कोशिशों में लगे हैं. यूपीएससी में लेटरल एंट्री से लेकर जातिगत जनगणना और आरक्षण को लेकर वो मुखर हैं. हालांकि ये भी बात सही है कि जातिगत जनगणना की सबसे मुखर मांग बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने उस वक्त शुरू की थी जब आरजेडी के साथ महागठबंधन सरकार थी. नीतीश कुमार ने तो बाकायदा जातिगत जनगणना कराकर उसके आंकड़े भी प्रकाशित कराए.
अब आरएसएस भी कुछ शर्तों के साथ जातिगत जनगणना के पक्ष में हैं. केंद्र में इंडिया गठबंधन राहुल गांधी के नेतृत्व में जातिगत जनगणना को लेकर सरकार पर हमलावर है.
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बिहार का सियासी तापमान बढ़ा
इन सब सियासी परिस्थितियों के बीच इस वक्त जातीय जनगणना और आरक्षण को लेकर बिहार की राजनीति गर्म है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इसे लेकर जमकर आरोप-प्रत्यारोप जारी है. ऐसे ही सियासी माहौल में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विपक्ष के नेता तथा पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के बीच लंबे समय के बाद हुई मुलाकात को लेकर प्रदेश का सियासी तापमान अचानक बढ़ गया है. कहा जा रहा है कि आठ महीने के बाद दोनों नेता पहली बार मिले हैं.
दरअसल, मुख्यमंत्री मंगलवार को मुख्य सचिवालय पहुंचे थे. कुछ देर के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव भी वहां पहुंचे. इसके बाद बिहार की राजनीति में तरह-तरह की चर्चा होने लगी. हालांकि, यह मुलाकात काफी लंबे समय तक नहीं चली, फिर भी प्रदेश की सियासत गर्म हो गई. कई तरह के कयास लगाए जाने लगे.
सूत्रों का कहना है कि सूचना आयुक्त की नियुक्ति होनी है, जिसमें विपक्ष के नेता की भी सहमति ली जाती है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात के बाद तेजस्वी यादव जब बाहर निकले तो उन्होंने खुद ही स्थिति सामने रख दी. उन्होंने पत्रकारों को बताया कि कुछ नियुक्तियां होनी है जिस पर चर्चा हुई है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इसकी विधिवत जानकारी देगी.
बिहार में बढ़े आरक्षण की सीमा को नौवीं अनुसूची में शामिल कराने के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि सीएम से बात हुई है. मामला कोर्ट में है. हमने भी कहा कि हम भी कोर्ट पहुंच गए हैं. आप अपनी बात को कोर्ट में रखिए हम भी अच्छे से अपनी बात रखेंगे.
इस बीच लालू प्रसाद यादव ने बुधवार को आरजेडी नेताओं की बैठक भी बुलाई. इस बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे आरजेडी के विधायक इजहार अशफी ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि दोनों नेताओं की मुलाकात हुई है. कुछ न कुछ तो बात होगी. गौरतलब है कि जेडीयू और आरजेडी दोनों ही जातिगत जनगणना के मुद्दे पर मुखर हैं. देखना दिलचस्प होगा कि अगले साल के विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे पर ऊंट किस करवट बैठता है?