कछार जिला प्रशासन ने कल रात सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी की थी और जिले में एनआरसी प्रक्रिया से असंबद्ध किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी थी.
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सिलचर: एनआरसी के पूर्ण मसौदे के प्रकाशन के आलोक में असम की स्थिति का जायजा लेने के लिए दो अगस्त को यहां आए तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को हवाई अड्डे पर ही रोक दिया गया. प्रतिनिधिमंडल के सदस्य सुखेंदु रॉय ने बताया कि पुलिस ने उनके पहुंचने के बाद हवाई अड्डे पर उन्हें यह कहकर रोक दिया कि उनकी यात्रा से समस्या खड़ी हो सकती है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बराक घाटी क्षेत्र के कछार जिले में यहां कुंभीग्राम हवाई अड्डे पर तृणमूल प्रतिनिधिमंडल वीआईपी विश्रामालय में रूका है. प्रतिनिधिमंडल में छह सांसद है.
कछार जिला प्रशासन ने कल रात सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा जारी की थी और जिले में एनआरसी प्रक्रिया से असंबद्ध किसी भी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी थी. तृणमूल प्रतिनिधिमंडल पार्टी सुप्रीमो और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के निर्देश पर वहां गया है. बनर्जी बीजेपी नीत केंद्र सरकार पर एनआरसी के मुद्दे पर ‘वोटबैंक की राजनीति’ करने का आरोप लगा रही हैं और कह रही हैं कि भारतीय नागरिक अपनी ही जमीन पर शरणार्थी बन गये हैं.
इस बीच नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (एनआरसी) मुद्दे पर रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया शैलेष से जी मीडिया ने खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने स्पष्ट कहा कि यह एक ड्रॉफ्ट है और ड्रॉफ्ट को ड्रॉफ्ट ही समझना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये एक ड्राफ्ट है और इसके ऊपर किसी भी तरह का एक्शन कोई अथॉरिटी नहीं लेगी. उन्होंने आगे की प्रक्रिया पर बातचीत करते हुए यह भी बताया कि इसके बाद हमें इस ड्रॉफ्ट को सुप्रीम कोर्ट के सामने प्रस्तुत करना होगा, उसके बाद फाइनल लिस्ट जारी होगी.
6.5 करोड़ डॉक्यूमेंट्स पहुंचे
आपत्तियों पर बातचीत करते हुए रजिस्ट्रार जनरल ने कहा कि हालांकि उस लिस्ट को लेकर भी अगर किसी को कोई आपत्ति है तो foreigners tribunal में 60 दिन के अंदर अपील फाइल कर सकते हैं. प्रक्रिया के बारे में विस्तार से बात करते हुए शैलेष ने कहा, "इस प्रक्रिया में 6.5 करोड़ डाक्यूमेंट्स 3.29 करोड़ आवेदकों के साथ आए थे. 90-95 फीसदी डाक्यूमेंट्स असम के ही थे जिनका वेरिफिकेशन वहां की सरकार ने करवाया. इसके अलावा करीब 6 लाख डाक्यूमेंट्स बाकी राज्यो में गए हैं. जिसमें काफी संख्या में डाक्यूमेंट्स पश्चिम बंगाल, बिहार, मेघालय, नागालैंड जैसे कई राज्यों में भेजे गए."
(इनपुट: एजेंसी भाषा से भी)